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शबनम अगरवाल एक उद्यमी महिला नेता है, वह India में शिक्षा प्रणाली बदल रही है

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Swati Bundela
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शबनम अगरवाल को बचपन से कुच्छ बनाने का जुनून था. बचपन के खेलों का असल दुनिया में निर्माण करने का आइडिया उन्हे रास्ता सिलिकन वॅली के कॉर्पोरेट ऑफीस में बोर होते हुए आया. शबनम keleverkid नामक संस्था चलाती हैं, जो शाहर में हो रए बच्चों के सीखने लायक चीज़ों की जानकारी शेयर करती हैं. उन्हे 2015 में इन्फ़ोसिस के मोहनदास पाई से फंडिंग मिली. अपने बच्चे के लिए स्कूल गतिविधि ट्यूटर्स, या विशेषज्ञ कोच, यह माता-पिता और बच्चों के बीच एक गुणवत्ता संबंध बनाने के लिए प्रयास करती हैं.

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शबनम ने 4 अलग शहरों में रह कर 5 कंपॅनीयैयो के लिए काम किया है. और तो और उन्होने 3 स्टार्टाप शुरू किए जिसमें से 2 नाकामयाब रहे. पेश है रिया दस से उनकी हुई ख़ास बात-चीत:


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आप किन स्थितियों में बड़े हुए? कई बार बचपन का अनुभव जीवन में आपका काम तय करता है.


हाआँ. बिल्कुल! मैं सिलिकन वॅली में विश्व के सबसे अभिनव लोगों के समीप बड़ी हुई. बापन में मुझे लेगोस खेलने का बहुत शौक था, जिससे में रॉकेट शिप्स, उड़ती गाड़ियाँ और कंप्यूटर बनती थी. मेरे पिता कहते थे के मैं अमेरिका की पहली महिला प्रेसीडेंट बन सकती हूँ. दूसरी तरफ मेरी माता मुझे भारत के ग़रीब बच्चों की कहानियाँ सुनाती थी जिनके पास ना के बराबर संपत्ति थी. जल्द ही मैं उन सब के लिए कुच्छ बनाने में लग गयी.

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पहले तो मैने बचों को बुरे शिक्षकों से बचाने की वकालत की, पर जल्द ही मुझे समस्या का असल कारण समझ में आने लगा. मुझे समझ में आया के बच्चे जो करें उन्हे उसमें मज़ा आना चाहिए. अगले सात वर्षों में मैने 4 शहरों की 5 अलग कंपनीज़ में कम किया, 3 स्टारटूप्स खड़े किए जिसमें से मैं 2 बार नाकामयाब रही, और हर महीने भारत छोड़ने की सोची. बिज़्नेस खड़ा करना कुच्छ युद्ध करने जैसा है- कामयाबी हासिल करने से पहले आपको भरोसा हासिल करना होता है.


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kleverkid की शुरुआत कैसे हुई और इसका क्या भविष्य है?


सात वर्ष पहले मैं भारत के बच्चों के लिए कुच्छ करने का सपना लेके आई थी. मैने शुरुआत एक ऐसी कंपनी बनाने से की जो बच्चों को मोबाइल गेम्स के द्वारा अँग्रेज़ी सिखाती है. एक दिन, मैं एक प्रिन्सिपल के ऑफीस के बाहर बैठी अंदर बुलाए जाने की प्रतीक्षा कर रही थी, जब मैं एक परेशान माँ से मिली. वे असमंजस में थी की कौन सी शिक्षक उनकी बेटी के लिए बेस्ट होगा, किस आर्ट क्लास में उनकी बेटी की रचनात्मकता खिल के बाहर आएगी और आख़िर में कौन सा मेद्स टूटर उनकी बेटी को अच्छे नंबर्स से पास कराएगा. उनकी सभी समस्या का हल मेरे दिमाग़ में था- kleverkid.

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उद्यमशीलता की सबसे बड़ी चुनौती क्या लगती है?


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सिखाना. अपनी टीम की किसी ग़लती पे चिल्लाना बहुत आसान होता है. कती होता है एक गहरी साँस लेना और यह सोचना के ग़लती कहाँ  हुई, और अपने टीमेट कुच्छ नया और अलग सिखाना इस बात की परवाह किए बिना के कितना समय लगेगा और और कितने काम बाकी हैं. मैं अभी भी यह करना सीख रही हूँ.


अगर सिखाना सबसे कती है, तो सबसे सुखद क्या है?

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सिखाना!! जब मैं कुच्छ सही सीखा पाती हूँ, मेरे टीम के लोग कुच्छ नया सीखते है और बढ़ते हैं और यह दुनिया की सबसे अच्छी चेतना है. मैं उन लोगों की बहुत प्रशंसा करती हूँ जो अपना जीवन लोगों को कुच्छ सिखाने में व्यतीत करते हैं: यह सबसे कठिन है, सबसे तका देने वाला और कई बार निराशाजनक भी. और कई बार, सबसे कम आय पैदा करने वाला भी.


आप जो करते हो, उसके लिए किस कौशल की ज़रूरत है?


धैर्य, आस्था और सहानुभूति. मुझमें यह तीनों अलग अलग मात्रा में है, पर इनका सही संतुलन बनाकर हम काफ़ी कुच्छ प्राप्त कर सकते हैं.


आपके इस रास्ते में आपको सबसे ज़्यादा प्रभावित किसने किया?


मेरी माँ. उनमें धैर्य, आस्था और सहानुभूति का सही संतुलन है. वे मेरी सबसे बड़ी समर्थक और चॅलेंजर भी हैं. वे मेरी सबसे बड़ी समर्थक और चॅलेंजर हैं. मेरे जीवन की सर्वश्रेष्ट शिक्षक. आज मैं जो भी हूँ, उनकी वजह से हूँ.


महिलायें कार्यस्थल में क्या ताक़त ला सकती हैं?


महिलाओं में प्राकृतिक रूप से ज़्यादा सहानुभूति होती है, और वे पुरुषों से अधिक विविधता प्रोत्साहित करती हैं. firstround द्वारा हाल ही में किए गये स्टार्ट्प सर्वे में यह मालूम पड़ा के महिलाओं द्वारा स्थापित किए गये स्टार्ट्प में 44 प्रतिशत लिंग विविधता था और दूसरी ओर पुरुषों द्वारा स्थापित संस्थाओं में सिर्फ़ 25 प्रतिशत.


आपके अनुसार आपकी आज तक की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही है?


एक ऐसी टीम बना और पोषित कर पाना जिसमें कुच्छ ऐसे काबिल लोग हैं जिन्होने ज़्यादा आय प्रदान करने वाले विकल्पों को छोड़ बच्चों के लिए काम करने की ओर महनत करने की ठानी.


आपकी कामयाबी का इकलौता, सबसे महत्वपूर्ण कारण क्या रहा है?


मेरे शिक्षक. मेरे कुच्छ बहुत बुरे शिक्षक भी रहे, पर सबने में मुझे कुच्छ ना कुच्छ सिखाया. मैने अच्छा और बुरा, सब साथ में लेकर वो रास्ता बनाया जिसपर मैं चली और जिसका मुझे गर्व है.


जो महिलायें उद्यमशीलता में आ रही हैं, उनके लिए आपकी कोई राय?


एक महान संरक्षक ढूँधो, जो आपकी भावनाओ और सपनों की इज़्ज़त करता हो, और जिसपर आप मुश्किल घड़ी में भरोसा कर सकते हों. कोई  जो आपसे हमेशा सच कहे, चाहे जितना भी कड़वा हो.
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