सा रे जहाँ से अछा - एक नये रूप में, देश की महीलाओं के संग

author-image
Swati Bundela
New Update
Advertisment


इस स्वतंतरा दिवस शी द पीपल की यह ख़ास प्रस्तूति ' सा रे जहाँ से अछा' - वैसे तो अन्य सेलेब्रिटी और बोल्लयऊूद के हीरो हेरोयिन देश के गाने गाते हुए दिहत्ते है किंतु यह प्रस्तूति आज तक नही पेश की गयी जहाँ महीलायें - उध्यामि, लेखक, गायक, बिज़्नेस वुमन, पत्रकार, टीचर, दुकानदार - एक साथ सा रे जहाँ से अच्छा गेया रही है. शी द पीपल ने इनडिपेंडेन्स दे के लिए इन सब औरतों को एक साथ लेकर, प्रगया और परोमा दासगुप्ता की आवाज़ में मोहमम्मद इक़बाल के यह गाने को एक ख़ास रूप दिया है.
Advertisment

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी वो गुलसिताँ हमारा


ग़ुरबत में हों अगर हम रहता हो दिल वतन में समझो वहीं हमें भी दिल है जहाँ हमारा

Advertisment

परवत वो सब से ऊँचा हम साया आसमाँ का वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा


Advertisment

गोदी में खेलती है इसकी हज़ारों नदियाँ गुलशन हैं जिनके दम से रश्क-ए-जहां हमारा


ए आब-ए-रूद-ए-गंगा वो दिन है याद तुझको? उतरा तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा

Advertisment

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा


Advertisment

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशान हमारा


कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा

Advertisment

इक़्बाल कोई मेहरम अपना नहीं जहाँ में मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहाँ हमारा

she the people Independence day women entrepreneurs of india सा रे जहाँ से अछा