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हम कब महिलाओं के सही गुणों को महत्वव देना शुरू करेंगे?

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Swati Bundela
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हमारे समाज में, महिलाओं को उनकी सुंदरता के लिए सरहाया जाता है और यदि वह सुंदरता के सामाजिक मानकों को नही मिल पाती तो आसानी से स्वीकार नही किया जाता. कुछ मामलों में, महिलाओं की सुंदरता ही उनका जीवन में आगे बढ़ने का या असफलता का कारण बन जाती है.

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शीदपीपल.टीवी ने अनेक महिलाओं से इस बारें में उनके विचार जानने के लिए बात करी. लॉ की पढ़ाई कर रही राशि गोयल ने कहा," जब एक सुन्दर महिला अपना काम अच्छे से करती है तो ऐसा माना जाता है की वह अपनी सुंदरता के कारण ही आगे बढ़ पायी है. जब एक बहुत सुन्दर न दिखने वाली महिला आगे बढ़ती है तो मन जाता है की बॉस ने ज़रूर उस पर दया करी होगी."



"आज के युग में, जेंडर रोल्स बदल रहे हैं, ऐसे बहुत से आदमी हैं जो ग्रूमिंग, हैटकट्स और मनिक्योर्स के लिए सैलून जाते हैं. अब समय आ गया है की हम पुरुषों को उनकी सुंदरता के लिए और महिलाओं को उनके नेतृत्व कौशल के लिए मान्यता दे." कहती हैं शुभपूजा.कॉम की फाउंडर सौम्या वर्धन.

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शिरीन महरा, वीमेन न क्लाउड्स की फाउंडर, को लगता है की अब समय आ गया है की महियालों को उनकी सुंदरता के अलावा और भी गुणों के लिए मान्यता मिले.



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"एक ऐसे समाज में रहना जहाँ केवल सुंदरता को पूजा जाता है थोड़ा कठिन है. हमारी समझदारी, नेतृत्व कौशल और बुद्धिमत्ता को भी उतना ही महत्त्व मिलना चाहिए. महिलाओं को अक्सर नेताओं के रूप पे नहीं देखा जाता. इससे सदा समाज असंतुलित ही रहेगा."



"मेरे अनुसार, हम सब एक दिन बूढे हो जायेंगे. चहरा एक बहुत ही अस्थायी चीज़ है. कोण कितने छे कपड़े पहनता है, इससे कोई फर्क नही पड़ता. समाज में अपनी कला और समझदारी से कुछ परिवर्तन लाना ज्यादा ज़रूरी है. मेरा मानना है की सुंदरता से ज़्यादा दिमाग ज़रूरी है." - साक्षी तलवार, रुग्स एंड बियॉन्ड की फाउंडर.

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फ्रीलान्स राइटर और ब्लॉगर रितिक तिवारी को लगता है की एक इंसान केवल अपने काम जितना ही अच्छा है."पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अपने काम में अच्छे होने के लिए सुन्दर दिखने की ज़रुरत नही है." हाली में हुए अमेरिका के चुनाव में देखा गया की मीडिया को हिलेरी क्लिंटन के पैन्ट्स सुइट्स पर ज़्यादा ध्यान दे रही थी. पर किसी को भी पुरुष उम्मीदवारों के कपड़ों से कोई लेना देना नही था.



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"माता पिता के लिए छोटी लड़कियों को यह बताना जरूरी है की गुलाबी रंग के कपड़े पहनना ज़रूरी नही है. अपने काम को अच्छे से करना ज़्यादा मान्यता रखता है. इंदिरा नूयी या चंदा कोच्चर कैसी लगती हैं, हम्म इससे नही बल्कि वह कैसा काम करती है उससे मतलब होना चाहिए."



"ऐसा माना जाता है की महिलाएँ अपने जीवन काल में सब कुछ अपनी सुंदरता के बलबूते पर ही अपने लक्ष्य को हासिल कर पाती हैं. इससे लड़कियों का मानसिक बल कमज़ोर हो जाता है क्योंकि वह ऐसी आलोचना का सामना नही कर पाती. मुझे इतना बुरा लगता है जब एक बहुत ही गुस्सा आता है जब समाज के इन असूलों की वजह से मेरे रियल स्किल्स को महत्त्व नही दिया जाता . इससे मेरा आत्मविश्वास भी काम हो जाता है.

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फोटोग्राफी स्टूडेंट , अभिधा शर्मा, कहती हैं की महिलाओं को केवल उनकी सुंदरत एके कारण मान्यता दी जाती है. पर दुनिया को नेतृत्व कौशल के लिए एक पुरुष ही चाहिए. ऐसा क्यों? मैं ऐसी अनेक महिलाओं को जानती हूँ जो बहुत सुन्दर न होने के कारण अपने करियर में आगे नही बढ़ पा रही. दुनिया को समझना चाहिए की महिला में सुंदरता के अलावा और भी गुण हो सकते हैं.



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राजनीति की पढ़ाई कर रही आरती पवार कहती हैं : "समाज में किताबों के मुकाबले मेक-अप कीटस खरीद रही महिलाएँ ज़्यादा है. यह उनकी गलती नही है. गलती लड़कियों को दी जाने वाली परवरिश में है. यदि कोई महिला नेतृत्व का पद संभालती भी है, तो भी उसकी सुंदरता और कपड़े पहनने के ढंग सदा चर्चा का विषय रहता है. यह गलत है और इसे बदलना चाहिए.



कॉर्पोरेट प्रोफेशनल सोनम जैन का कहना है -" मुझे लगता है बॉलीवुड मूवीज का महिलाओं को स्टीरियोटाइप करने में बहुत बड़ा हाथ है. अभिनेत्रियों को अक्सर वस्तुओं की तरह देखा जाता है जिनका काम केवल दर्शकों को खुश करना है. ऐसे कितने सरे गीत लिखे जाते हैं जिसमें महिलाओं की सुंदरता का उल्लेखन होता है. हम महिलाओं के व्यक्तित्त्व को केवल उनकी सुंदरता तक सीमित नही कर सकते. हमें ऐसी 'नीरजा' चाहिए जो दुनिया की महिलाओं की ओर देखनी की दृष्टि ही बदल दे.



"इन् महिलाओं ने बिलकुल साफ़ कर या है की "ब्यूटी ओवर ब्रेन" एक बहुत ही पुराना आदर्श है जिसे बदलना चाहिए.



हम कब महिलाओं को सही गुणों के लिए महत्वव देना शुरू करेंगे?

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