हमारे समाज को आज़ाद महिलाओं का विचार ही पसंद नहीं हैं- अलंकृता श्रीवास्तव

author-image
Swati Bundela
New Update

‘लिपस्टिक अंडर माय बुरखा’ की निदेशक अलंकृता श्रीवास्तव आखरी दो साल में हुई अपनी चुनौतियों और सफलताओं के विषय में बात करती हैं. उनकी फिल्म को ९ पुरस्कार मिल चुके हैं. इंडियन सर्टिफिकेशन बोर्ड ने इस फिल्म को बन कर दिया था क्यूंकि उनके अनुसार यह फिल्म भारतीय दर्शकों के लिए ठीक नहीं थी. यह समाचार दुनिया और सोशल मीडिया में आग की तरह फ़ैल गयी. ऐसी बहुत सी भारतीय महिलाएं और पुरुष थे जिन्होंने फिल्म को भारत में रिलीज़ करवाने की कोशिश करि.


https://twitter.com/IshmeetNagpal/status/868085233492443136

अलंकृता ने हमें फेमिनिस्ट रानी पर हमारे साथ अपने विचार व्यक्त करे.


Advertisment

"यह फिल्म ४ महिलाओं की कहानी पर आधारित है. इसमें प्रत्येक महिला एक अलग समुदाय की है. ऐसा इसलिए है क्यूंकि पितृसत्ता से स्वतंत्रता पाने की इच्छा केवल एक समुदाय की महिला को नहीं है. ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जिनकी अलग अलग पहचान है. हम उनकी कहानियाँ पर्दे पर क्यों न लाएं? हम ऐसी फिल्में क्यों नहीं बनाते जो महिलाओं में विविधता दर्शाएं? लिपस्टक एक बहुत ही प्रगतिशील चीज़ है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं जो अलग अलग संस्कृतियों के लोग दर्शाती है. लिपस्टिक उसी विविधता का प्रतीक है.


हम निरंतर महिलाओं को यह कह रहे हैं की यदि वह अपनी सीमाओं से बाहर कदम रखेंगी तो उन्हें उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. "बॉम्बे एक अच्छा उदहारण है. यह महिलाओं के रहने के लिए एक अच्छा शहर है परन्तु अविवाहित महिलाओं के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है.  मैंने बहुत सालों तक इसका सामना किया है.", अलंकृता कहती हैं. "एक ऐसी महिला जो समाज के बने पारंपरिक संस्थानों को नहीं मानती, उनको समाज अच्छी नज़रों से नहीं देखता."


हमारे समाज को आज़ाद महिलाओं का विचार पसंद नहीं है - अलंकृता श्रीवास्तव


हो सकता है सेंसर बोर्ड को इस फिल्म में दिखाया,"महिला दृष्टिकोण" पसंद न आया हो. भारत में दिखाए जाने वाला सिनेमा पितृसत्ता को जोखिम में  डाल देता है, मुंबई की यह निदेशक कहती हैं.


Advertisment

अलंकृता इस फिल्म के द्वारा समाज और सिस्टम की चुनौतियों के विषय में बात करती हैं. एक बड़ी चुनौती यह भी हैं की महिलाओं के पास खुद की अभिव्यक्ति करने का भी अवसर नहीं हैं. उनके लिए, यह एक लम्बी लड़ाई हैं. "केवल ऐसी फिल्म बनाना जो केवल पुरुष की इच्छाओं को पूरा करें और किसी भी और दृष्टिकोण के बारें में बात न करें, यह एक पाखंड है”, वह कहती हैं.


women achievers she the people Alankrita Shrivastava feminist rani अलंकृता श्रीवास्तव