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5 बातें जिन्हें सुन-सुनकर थक चुकी हैं लड़कियां

समाज का एक बड़ा हिस्सा, भले ही अनजाने में ही सही, कभी-कभी ऐसी बातें कर देता है जो महिलाओं को थका देती हैं। ये वाक्य भले ही किसी खास इरादे से न बोले गए हों, पर वे धारणाओं और रूढ़ियों को मजबूत करते हैं। जानें अधिक इस ओपिनियन ब्लॉग में -

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Vaishali Garg
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समाज का एक बड़ा हिस्सा, भले ही अनजाने में ही सही, कभी-कभी ऐसी बातें कर देता है जो महिलाओं को थका देती हैं। ये वाक्य भले ही किसी खास इरादे से न बोले गए हों, पर वे धारणाओं और रूढ़ियों को मजबूत करते हैं, और महिलाओं को लगता है कि उनकी आवाज़ सुनी नहीं जा रही है। 

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5 बातें जिन्हें सुन-सुनकर थक चुकी हैं महिलाएं

1. "अरे इतनी पढाई? शादी के बाद सब छूट जाता है।"

ये वाक्य महिलाओं की शिक्षा और महत्वाकांक्षाओं को छोटा दिखाता है। ये मान लेना कि शादी के बाद महिलाओं का करियर खत्म हो जाएगा, गलत और हतोत्साहित करने वाला है। हर महिला को अपने भविष्य को खुद तय करने का हक है, और यह समाज का फर्ज है कि उसकी शिक्षा और सपनों को पूरा करने में उसका साथ दे।

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2. "लड़के को बाहर काम करना होता है, तुम तो घर-गृहस्थी संभालो।"

घर का काम सिर्फ महिलाओं का नहीं है। हर रिश्ते में ज़िम्मेदारियों को बांटना ज़रूरी है। ये वाक्य महिलाओं के घरेलू काम के योगदान को नज़रअंदाज़ करता है और ये रूढ़ी ही रिश्तों में असंतुलन पैदा करती है।

3. "लड़कियों को इतना हंसना-बोलना नहीं अच्छा लगता।"

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ये वाक्य महिलाओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को दबाने का प्रयास है। महिलाओं को भी उतना ही हंसने, बोलने और अपनी राय रखने का हक है जितना किसी और को है। ऐसी धारणाएं महिलाओं को समाज में दबाकर रखती हैं।

4. "तुमने ये कपड़े क्यों पहने हैं? लोग क्या कहेंगे?"

ये वाक्य महिलाओं की पसंद और आज़ादी को नियंत्रित करना चाहता है। महिलाओं को ये तय करने का हक है कि वो क्या पहनेंगी और समाज को उनकी पसंदों का सम्मान करना चाहिए। बाहरी दबाव से कपड़े चुनने की वजह से महिलाएं असहज महसूस करती हैं।

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5. "शादी कब करोगी? तुम्हारी उम्र निकल रही है।"

ये वाक्य महिलाओं की शादी पर लगातार दबाव डालता है और उनके जीवन के दूसरे आयामों को महत्वहीन बताता है। शादी करना ज़रूरी नहीं है और हर महिला को अपने जीवन की समयसीमा खुद तय करने का हक है।

ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं, ऐसे कई वाक्य हैं जो महिलाओं को सुनकर थकान महसूस होती है। हमें अपनी सोच में बदलाव लाने की ज़रूरत है और महिलाओं को बराबरी का दर्जा और सम्मान देना चाहिए। उन्हें अपनी पसंद, शिक्षा, करियर और जीवन के हर पहलू को अपने हिसाब से जीने का हक है। आइए इन रूढ़ियों को तोड़ें और एक ऐसा समाज बनाएं जहां हर आवाज़ को सुना जाए और हर व्यक्ति को बराबरी का सम्मान मिले।

शादी समाज
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