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हर लड़की अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीना चाहती है, लेकिन अक्सर समाज हमें ऐसे Toxic कॉमेंट्स के ज़रिए रोकने की कोशिश करता है जो हमारे सपनों को दबा देते हैं और हमारी आज़ादी पर सवाल उठाते हैं। ये बातें ना सिर्फ outdated हैं, बल्कि महिलाओं की हिम्मत और अधिकारों की खुलकर अनदेखी भी हैं। अब वक्त आ गया है कि हम इन बातों को सामने लाएं और साफ़ कर दें कि ये कहने वाले खुद किस हद तक पीछे रह गए हैं।
जानिए वो 5 ज़हरीली बातें जो समाज लड़कियों से कहता है
1. “तुम लड़की हो, ये मत करो।”
इस लाइन में छुपा है एक बड़ा ज़हर सोच कि लड़कियां सीमित होती हैं, कमजोर होती हैं, और उन्हें अपनी मरज़ी से जीने का कोई हक़ नहीं। लेकिन सच ये है कि लड़की होना कमजोरी नहीं, ताकत है। जो भी ये बोले, उसे ये समझना चाहिए कि लड़कियां अब अपने फैसले खुद लेने में विश्वास रखती हैं। तुम ये तभी कह सकते हो जब खुद उस हिम्मत के साथ खड़े हो जो लड़की दिखाती है।
2. “इतनी पढ़ाई-लिखाई की क्या ज़रूरत?”
पढ़ाई को लेकर ये सवाल उठाना तो बस अपनी सोच की सीमा दिखाने जैसा है। अगर पढ़ाई से डर लगती तो लड़कियां इतनी ऊंचाइयों पर नहीं पहुंचतीं। ये तभी कहो जब तुम खुद ज्ञान के समंदर में गोता लगा सको। वरना ये बात सुनकर लड़कियों को उनकी मेहनत और काबिलियत से दूर मत करो।
3. “शादी के बाद तुम्हारा काम घर संभालना है।”
शादी कोई बॉर्डरलाइन कर्फ्यू नहीं, जहां लड़की की दुनिया बस घर तक सिमट जाए। ये कहना कि शादी के बाद सिर्फ घर संभालना है, ना सिर्फ एक stereotype है, बल्कि उसकी ज़िंदगी के सपनों को छोटा करने जैसा है। ये बात तभी कहो जब तुम्हारे पास अपनी ज़िंदगी का भी सही प्लान हो। वरना, अपनी राय दबाकर बैठो।
4. “लड़कियों को ज़्यादा लड़कों से बात नहीं करनी चाहिए।”
ये लाइन तो सीधे-सीधे लड़कियों की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है। लड़कियां अपनी पसंद से किसी से भी बात कर सकती हैं। अगर तुम सोचते हो कि उनकी बात-चीत गलत है, तो पहले खुद अपनी सोच को सुधरो। ये कहने वाले तभी इस बात का अधिकार रखते हैं जब वे खुद इज्ज़त देना सीख लें।
5. “इतनी जल्दी शादी कर लो, उम्र निकल जाएगी।”
किसी की ज़िंदगी को टाइमलाइन में बाँधना सबसे बड़ा ग़लत काम है। शादी किसी प्रेशर का विषय नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से लिया गया फैसला होना चाहिए। ये बात तब कहो जब तुम्हें अपनी जिंदगी में टाइम मैनेजमेंट का भी पता हो। वरना ये बात सुनकर लड़की की मेहनत, उसकी इच्छाएं, सब नज़रअंदाज़ होती हैं।
इन Toxic बातों को सुनना और सहना अब बंद होना चाहिए। महिलाओं की ज़िंदगी, उनकी पसंद और उनकी आज़ादी पर सवाल उठाना किसी भी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती। जब तक ये सोच बदलेगी नहीं, तब तक असली बदलाव नामुमकिन है। इसलिए जो भी ये बातें कहे, उन्हें याद दिलाओ “तुम ये तब तक मत कहो जब तक खुद इन बातों पर खरे न उतर सको!”
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