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कुछ दिन पहले ही एक इंडियन बैंक ने नई गाइडलाइंस जारी की है। इसमें बैंक ने 12 हफ्तों से ज्यादा समय की प्रेग्नेंट महिला को मेडिकली अनफिट घोषित कर दिया है। बैंक की यह नई गाइडलाइंस और यह स्टेटमेंट महिलाओं के प्रति भेदभाव करती है।
गाइडलाइंस में यह भी लिखा है कि लेबर के 6 हफ्तों बाद महिला का फिर से पूरा मेडिकल चैकअप किया जाना चाहिए। इस चेकअप में अगर महिला पूरी तरह फिट होगी तभी वह दोबारा बैंक जॉइन कर सकती है।
महिलाओं के प्रति भेदभाव करने वाली इन गाइडलाइंस ने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी है। लोग इसका विरोध कर रहे हैं और दिल्ली कमिशन फॉर विमेन ने भी बैंक को गैर कानूनी हायरिंग पॉलिसी बनाने के लिए नोटिस भिजवाया है।
तमिलनाडु बैंक ने भी जारी की गाइडलाइंस
तमिलनाडु के एक बैंक में भी इसी तरह की गाइडलाइंस जारी की है। इसके तहत 6 महीने से ज्यादा समय की प्रेग्नेंट महिलाओं को बैंक में काम करने की इजाजत नहीं होगी। वे डिलीवरी के कम से कम 3 महीने बाद ही दोबारा बैंक ज्वाइन कर सकती हैं। वह भी पूरे मेडिकल एग्जामिनेशन और सर्टिफिकेट के साथ।
क्या ये mysogynistic guideline है सही?
घर हो या ऑफिस महिलाओं के साथ भेदभाव भारत में शुरू से ही होता आया है। वर्कप्लेस में महिलाओं और पुरुषों के बीच बहुत सी चीजों को लेकर भेदभाव किया जाता है। महिलाओं को कम तनख्वाह दी जाती है और उन्हें कम काबिल समझा जाता है।
प्रेगनेंसी, शादी और पेरेंटिंग एक व्यक्ति के जिंदगी का अभिन्न हिस्सा होते हैं। लेकिन एक छोटे बच्चे को सबसे ज्यादा जरूरत उसकी मां की होती है इसलिए इसकी जिम्मेदारी महिलाओं पर थोड़ी ज्यादा आ जाती है। इस वजह से वर्कप्लेस मदरहुड को अपने लिए नुकसान मानते हैं।
इसलिए वे जानबूझकर महिलाओं के लिए कई रुकावटें पैदा करते हैं। मेडीकल एग्जामिनेशन और सर्टिफिकेट की प्रक्रिया पूरा करते-करते महिलाओं को काम ज्वाइन करने में देरी हो जाते हैं जिसकी वजह से आगे चलकर उनकी सीनियरिटी और तनख्वाह कम रहती है।
भर्ती में भेदभाव
ज्यादातर कंपनियां और वर्कप्लेस महिलाओं को नौकरी के लिए हायर करते वक्त यह देखते हैं कि महिला की शादी और परिवार ना हो। वह प्रेग्नेंट महिलाओं को या मांओं को जल्दी नौकरी नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि वे जल्दी ही काम से छुट्टी ले लेंगे।
बहुत सी कंपनियां महिलाओं को नौकरी पर रखने से बचती है। क्योंकि महिलाओं को नौकरी देने पर उन्हें मेटरनिटी लीव देनी पड़ती है जिसका खर्च वे नहीं उठाना चाहती।
वे महिलाओं को जॉब पर रखने से खुद को नुकसान नहीं होने देना चाहते।
लेकिन मदरहुड को आधार बनाते हुए महिलाओं के कौशल को नजरअंदाज करना बिल्कुल गलत है।