/hindi/media/media_files/R1WFBrDIp9cRboQXd7MK.png)
Are society's beauty standards reducing women's self-confidence: भारतीय संस्कृति ने महिलाओं को सदैव खूबसूरत माना है लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया इसका पैमाना बदलता गया और नए मानक बनने लगे। और अब गोरा रंग, पतला शरीर, लंबे घने बाल, और एक विशेष प्रकार का चेहरा महिलाओं में खूबसूरती की पहचान बन चुका है। आज ये ब्यूटी स्टैंडर्ड आपको मीडिया विज्ञापन से लेकर फिल्मों और सोशल मीडिया से लेकर वास्तविक दुनिया में मिल जायेंगे, जहां महिलाओं इन ब्यूटी सैंडर्स के बेसिस पर जज किया जाता है। कुछ विज्ञापन इनको बार बार दोहराते है जिससे ये एक महिला इनको सच मान बैठती है और दिखाए गए के अनुरूप ढलने की कोशिश करती है। साथ ही समाज भी महिलाओं पर इन स्टैंडर्ड्स को अपनाने का दबाव बनता है जो महिलाओं के मन पर सीधे असर डालती है और उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करती है इन मानकों के अनुरूप सुंदर दिखने की। ऐसे में आइए जानते है समाज के ये ब्यूटी स्टैंडर्ड कैसे एक महिला के आत्मविश्वास को कम कर सकती है।
समाज के beauty standards महिला के आत्मविश्वास को कैसे कम करते हैं
1. शारीरिक बनावट पर अत्यधिक जोर
समाज महिला के बॉडी स्ट्रक्चर को जज करता है। कुछ लोगों के अनुसार अगर कोई महिला पतली है तभी सुंदर है। ऐसे में जिस महिला का वजन ज्यादा है या इन मानकों से मेल नहीं खाती, उसे अस्वीकार्य और कम आकर्षक समझा जाता है, जिससे उसका आत्मविश्वास गिरता है।
2. सोशल मीडिया पर तुलना
इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर 'परफेक्ट' दिखने वाले चेहरों और शरीरों को देखकर महिलाएं खुद की तुलना करने लगती हैं, जिससे उन्हें खुद में कमियाँ नजर आने लगती हैं। ऐसे में वो फिल्टर की दुनिया में चली जाती है जहां खुद को गोरा और आकर्षक दिखने की होड़ लगी है और समय के साथ आत्मविश्वास कम होता चला जाता है।
3. ब्यूटी इंडस्ट्री का दबाव
आज मीडिया विज्ञापनों में कॉस्मेटिक और फिटनेस को लेकर एक अलग स्टैंडर्ड सेट है और ये इसके लिए महिलाओं को खुद को देखने का एक अलग ही नजरिया देते है और बताते है कि महिलाओं को सुंदर दिखने के लिए किसी खास प्रोडक्ट या सर्जरी की जरूरत है। यह विश्वास महिलाओं को असंतुष्ट बना देता है और वो लो में जा सकती है।
4. प्रोफेशनल अवसरों में भेदभाव
समाज में कई ऐसे क्षेत्र है जहां सुंदरता को सफलता से जोड़ा जाता है, जिससे जो महिलाएं पारंपरिक सौंदर्य मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, उनके आत्मविश्वास पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण कुछ महिलाएं प्रोफेशनल जगहों पर भी दबाव महसूस करती है।
5. मानसिक स्वास्थ्य पर असर
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि समाज द्वारा सेट ब्यूटी स्टैंडर्ड के बेकार मानकों को पाने की कोशिश में महिलाएं डिप्रेशन, एंग्जायटी और बॉडी डिस्मोर्फिया (body dysmorphia) जैसी समस्याओं का शिकार हो जाती हैं, जिससे आत्मविश्वास और कम होता जाता है।
ऐसे में समाज द्वारा बनाए गए सौंदर्य मानक महिलाओं पर केवल अनावश्यक दबाव डालते हैं साथ ही उनके आत्मविश्वास को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। ऐसे में जरूरत है कि हम विविधता को अपनाएं और हर व्यक्ति की नेचुरल ब्यूटी को स्वीकार करने की कोशिश करे।