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weight loss Photograph: (Freepik)
Can only people of certain weight can fit into society: क्या इस समाज में फिट होने के लिए किसी एक वज़न का होना ज़रूरी है? ये सवाल आज की दुनिया में हर उम्र की लड़कियों और लड़कों के मन में कहीं न कहीं आता है। सोशल मीडिया, फैशन इंडस्ट्री और एंटरटेनमेंट की दुनिया ने "परफेक्ट बॉडी" की एक तस्वीर बन गई है, जिसमें एक आइडल शरीर होना सुंदरता, सेल्फ कॉन्फिडेंस और सफलता की पहचान बन गया है। ऐसे में अगर किसी का शरीर इस फ्रेम में फिट नहीं बैठता, तो उसे अक्सर कम समझा जाता है कभी तानों के ज़रिए, तो कभी नज़रों के ज़रिए।
समाज ये भूल जाता है कि इंसान की काबिलियत, अच्छाई, या खुश रहने की ताकत उसके वज़न से तय नहीं होती। हर शरीर अलग होता है, उसकी ज़रूरतें और बनावट भी अलग होती है। किसी के मोटे या दुबले होने का मतलब ये नहीं कि वो "अनफ़िट" है। फिटनेस का असली मतलब है फिजिकल, मेंटल और इमोशनल रूप से स्वस्थ होना। इसीलिए चलिए जानते हैं और भी चीज़ें इससे जुड़ी हुई।
क्या इस समाज में फिट होने के लिए किसी एक वज़न का होना ज़रूरी है?
1. सिर्फ़ वज़न फिटनेस नहीं है
फिजिकल फिटनेस में ताकत, सहनशक्ति, फ्लेक्सिबिलिटी और मेंटल हेल्थ भी शामिल है। केवल स्केल पर एक निश्चित नंबर तक लिमिटेड होना, फिट होने का सही पैमाना नहीं है।
2. शेप और मेटाबॉलिज्म अलग होता है
किसी का शरीर स्वाभाविक रूप से पतला हो सकता है, किसी का भारी दोनों इक्वल हो सकते हैं। जेनेटिक्स, हार्मोन और लाइफस्टाइल से शरीर का वजन पर असर पड़ता है।
3. मेंटल हेल्थ पर असर
"परफेक्ट वजन" पाने की कोशिश में कई लोग खाने से डरने लगते हैं या ईटिंग डिसऑर्डर से जूझते हैं। आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान ज़रूरी हैं, न कि समाज की धारणाओं पर जीना।
4. समाज के ताने
हमारे समाज में एक आइडल शरीर बना दिया गया है और जो इस फ्रेम में नहीं आता है या तो वो बीमार है या फिर अनफिट। समाज ये कौन होता है डिसाइड करने वाला की हमारा वज़न कितना होना चाहिए। हमारे वज़न से हम कैसे दिखने चाहिए।
5. खुद से प्यार करें
जो लोग अपने शरीर को जैसा है वैसे ही स्वीकार करते हैं, वे ज्यादा मानसिक रूप से मजबूत होते हैं। फिटनेस खुद के लिए होनी चाहिए, दूसरों को खुश करने के लिए नहीं। याद रखें कि आप ही अपने शरीर के साथ हैं न कि ये ताने देने वाले।