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बेटियों की सफलता का जश्न, शादी से कम क्यों?

ओपिनियन : बेटी की शादी का जश्न हर घर में धूमधाम से मनाया जाता है। हर तरफ बस यही नज़ारा होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बेटी की किसी बड़ी उपलब्धि, करियर में तरक्की या किसी खास मुकाम को हासिल करने पर भी क्या वैसा ही उत्साह दिखता है?

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Vaishali Garg
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Marriage (Pinterest)

बेटी की शादी का जश्न हर घर में धूमधाम से मनाया जाता है. रौशनी, मिठाई, फूल, रस्में, खुशियां - हर तरफ बस यही नज़ारा होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बेटी की किसी बड़ी उपलब्धि, करियर में तरक्की या किसी खास मुकाम को हासिल करने पर भी क्या वैसा ही उत्साह दिखता है? नहीं ना?

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आखिर क्यों बेटी की सफलता को हम उसी धूमधाम से नहीं मनाते, जिस तरह उसकी शादी को मनाते हैं?

इस सवाल के पीछे कई परंपरागत सोच और सामाजिक मान्यताएं छिपी हैं:

विवाह का सामाजिक दबाव: समाज का एक बड़ा वर्ग बेटी की शादी को उसकी सबसे बड़ी सफलता मानता है। मानो शादी के बिना उसकी जिंदगी अधूरी है  यही वजह है कि शादी का जश्न इतना बड़ा होता है।

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करियर को दूसरा दर्जा: बेटी का शिक्षित होना और कामयाब होना अच्छा माना जाता है, लेकिन अक्सर उसकी शादी को उसके जीवन का असली लक्ष्य समझा जाता है। करियर को तो एक "अच्छा अतिरिक्त" माना जाता है, न कि एक स्वतंत्र उपलब्धि।

पारंपरिक लिंग भूमिकाएं: सदियों से चली आ रही सोच है कि बेटी का घर संभालना और परिवार की देखभाल करना ही उसका प्राथमिक कर्तव्य है। करियर को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता है। इसीलिए बेटी की सफलता को उतना महत्व नहीं दिया जाता।

लेकिन अब वक्त है कि हम इन सोचों को बदलें। बेटी की शादी एक खुशी की बात ज़रूर है, लेकिन उसकी शिक्षा, करियर और सपनों को पूरा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आइए, बेटियों की उपलब्धियों को भी उसी शान से मनाएं, जिस तरह उनकी शादी को मनाते हैं:

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बेटी की पढ़ाई में करें साथ: बेटी की पढ़ाई में उसका साथ दें। उसकी रुचि को समझें और उसे उसके मनचाहे क्षेत्र में आगे बढ़ने का हौसला दें।

बेटी के कामयाबी पर करें गर्व: जब बेटी कोई मुकाम हासिल करे, तो उसकी खुशियों में शामिल हों। उसे तोहफा दें, पार्टी करें, सोशल मीडिया पर उसकी उपलब्धि बांटें। उसे महसूस कराएं कि आप उसकी सफलता पर कितने गर्व करते हैं।

बदलें परंपरागत सोच: बेटी के करियर और शादी को अलग-अलग न देखें. दोनों ही उसकी ज़िंदगी के अहम पहलू हैं। एक उसकी आत्मनिर्भरता और क्षमता दिखाता है, तो दूसरा प्यार और साथ का एहसास देता है। दोनों का सम्मान करे।

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बेटी की सफलता का जश्न मनाने से सिर्फ एक दिन का उत्साह नहीं बढ़ता, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी देता है। यह बताता है कि बेटी होना किसी बोझ नहीं, बल्कि गर्व की बात है। बेटी शिक्षित हो, कामयाब हो, अपने सपने पूरे करे - यही तो असली खुशी है। आइए, मिलकर बेटियों की जिंदगी में नई रोशनी जलाएं और उन्हें वो पंख दें, जिनसे वो ना सिर्फ शादी के बल्कि हर मंजिल को फतह कर सकें।

शादी बेटी की शादी
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