महिलाएं क्या पहन सकती है और क्या नही समाज यह तय करने का अधिकार अपना समझता है। महिलाओं को उनके पहनावे के लिए हमेशा से सुनना पड़ता है। एक महिला जिस तरह के कपड़े पहनती है उस हिसाब से यह समाज उनका चरित्र परिभाषित कर देता है। छोटे कपडे या ऐसे कपडे जो 'रिवीलिंग' हो यानी जिनमें शरीर के हिस्से ज्यादा दिख रहे हो ऐसे कपड़े पहनने वाली लकडियां या महिलाएं तो हमेशा समाज के तानों का शिकार बनी रहती हैं।
क्लीवेज से समाज को आपत्ति क्यों?
क्लीवेज यानी एक महिला के स्तनो के बीच का भाग जो थोड़ा उजागर किया जाता है। पर क्यों हमारा समाज क्लीवेज जैसे छोटी चीज़ों को सहन नहीं कर पाता है। क्यों इस कारण महिलाओं को गलत चरित्र होने का प्रमाण दे दिया जाता है? यह पूरी तरह से एक महिला का अधिकार है। उसे अपने शरीर का कौनसा हिस्सा दिखाना है और कौनसा नहीं यह तय करने का हक केवल उसका खुद का होना चाहिए। अगर एक महिला किसी प्रकार का कपड़ा पहन कर खुश है, वह कॉन्फीडेंट महसूस करती है तो उसमें गलत क्या है। गलत वह नज़र और नजरिया है जिससे आप एक महिला को देखते हैं या यूं कहे कि घूरते हैं। हमे कपड़े नही नजरिया बदलने की जरूरत है।
क्लीवेज को सेक्सुअल ही क्यों माना जाता है?
क्लीवेज महिला शरीर का एक प्रमुख हिस्सा है। किसी भी चीज़ को यौन तौर पर समझने पे हमें हमारा नजरिया और सोच ही मजबूर करती हैं। समाज क्लीवेज को यौन रूप में ही देखता है। यहां तक की इस अधार पर महिलाओं को जज भी किया जाता है। उनको तानों का सामना करना पड़ता है। 'तुम्हारे पास तो कुछ नही हैं!', 'अरे! ये तो सामने से फ्लैट है।', देखो! सी इज़ रेवेलिंग टू मच!' जैसे वाक्यों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की टिप्पणियां एक महिला का आत्मविश्वास डगमगा देती है। खासकर तब जब यह सब अपने परिवार या दोस्तों के द्वारा बोला जाए।
आप खुद से प्यार करें
महिलाओं को समाज के इस रवैये से लड़ते हुए काफी लंबा समय हो चला है। समाज में सुधार हुआ है लेकिन अभी भी बहुत सुधार की गुंजाइश है। महिलाओं को समाज की स्वीकृति की कोई आवश्यकता नहीं है। खासकर अपने शरीर को लेकर तो कतई नही। प्रत्येक महिला को खुद से प्यार करना चाहिए और अपने लिए सही गलत का चुनाव खुद करना चाहिए। आप जो पहनना चाहते हैं उसे पहने और अपने शरीर से प्यार करें और इस प्रति सकारात्मकता फैलाएं।