Do We Really Respect Out Culture?: 'सुल्तान', 'सरबजीत' एवं 'हाईवे' जैसे लोकप्रिय फिल्मों में काम कर चुके रणदीप हुड्डा ने पिछले बुधवार को ही अपनी गर्लफ्रेंड लीन लैश्रम से उन्हीं के पारंपरिक मैतेई रिवाजों को मानकर शादी कीI लीन जोकि मणिपुर के राजधानी इम्फाल में पली बड़ी है, उन्होंने 'ओम शांति ओम', 'मैरी कॉम' और हाल ही में 'जाने जान' में काम किया हैI रणदीप और लीन दोनों ने अपने परिवार वालों एवं करीबी जनों की उपस्थिति में बगैर तामझाम के, एक सादा एवं सादगीपूर्ण शादी करने में यकीन रखाI जहां आज की कई शादियों में दूल्हा दुल्हन 'द बिग फैट इंडियन वेडिंग' के चक्कर में अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को काफी हद तक भूल जाते है वही लीन ने अपनी सभ्यता का मान रखा और उसी मैतेई संस्कृति को निभाते हुए शादी कीI लेकिन शायद हमारे देश के भाई- बंधुओं को यह बात बिल्कुल भी पसंद न आई इसलिए जैसे ही उन दोनों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में अपनी शादी की तस्वीरें शेयर की वैसे ही जनता अपने रोजमर्रा के पसंदीदा काम 'ट्रोलिंग' पर उतर आएI उनके कपड़ों से लेकर, उनके श्रृंगार और उनके सभ्यता का जी खोलकर तिरस्कार किया गयाI अब सवाल यही है कि "जब कोई अपनी शादी में किसी दूसरी संस्कृति का पालन करें (जोकि गलत नहीं है) तब आपको उससे शिकायत हैI लेकिन जब कोई अपनी संस्कृति को पूरे मन से माने तब वह मज़ाक के पात्र क्यों बन जाते है?"
क्या होती है मैतेई शादी की मान्यता?
शादी के वक्त रणदीप ने एक सफेद कुर्ता और पगड़ी मैं नजर आए तो वही लीन एक खूबसूरत मणिपुरी दुल्हन लग रही थीI लीन ने वहां के दुल्हन का महत्वपूर्ण पोशाक पोटलोई स्कर्ट पहना था जो गाढ़े फैब्रिक और बंबू से बनता हैI लेकिन क्या आपको उनके श्रृंगार के पीछे का अर्थ पता है? अपनी राय रखने से पहले यह जान ले की मैतेई शादी में दूल्हा दुल्हन को ऐसा इसलिए सजाया जाता है ताकि वह राधा और कृष्णा के भांति लगे रणदीप और लीन के माथे का तिलक भी यह साफ जाहिर करता हैI अगर आप जाने तो मणिपुरी डांस में भी कृष्ण को नमन किया जाता हैI जिस पावन धरती में कृष्ण की आराधना की जाए इस धरती में भगवान कृष्ण की याद में रचाई शादी का मजाक बनाया जाता है!
ऐसा क्यों किया गया?
आजकल सोशल मीडिया सकारात्मक से ज्यादा नकारात्मक प्रतिक्रियाओं की जगह बनकर रह गई है जहां लोगों को केवल एक माध्यम चाहिए किसी का मज़ाक बनाने का और उसे ट्रोल करने का चाहे वह कोई बच्चा ही क्यों ना हो और यहां तो लोग अपनी ही संस्कृति पर हंस रहे हैI हां, यह बात सच है कि हिंदुओं में ज्यादातर शादी में दुल्हन लाल रंग का जोड़ा ही पहनती है लेकिन जरूरी नहीं की हर कल्चर में लाल रंग ही अनिवार्य हो? हमारा देश विविध धर्मों के विविध संस्कृति एवं विचारों के आधार पर बना है जहां हर रंग की अपनी मान्यता होती है लेकिन क्या हमने कभी भी हमारे देश के
उन अलग-अलग धर्मों के बारे में जानने की कोशिश की है कि देश के कोने-कोने में ऐसी कितनी ही संस्कृति एवं सभ्यताओं का पालन किया जाता है? लेकिन हमें तो केवल लोगों के रंग, रूप और कद पर टिप्पणी करने की मानो आदत सी हो गई हैI इस क्रिटिसिज्म के भय से शायद एक वक्त आएगा जब कोई भी अपनी मनोभावना सोशल मीडिया पर नहीं बाटेगाI जहां लोग अपने ही देश के संस्कृति एवं सभ्यता का मान ना रख पाए अपितु कल मजाक उड़ाए, वह भारतीय कहलाने के लायक नहींI