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Feminism Misconceptions : क्या नारीवाद का मतलब पुरुषों से नफ़रत करना है?

क्या नारीवाद पुरुषों से नफ़रत करने का दूसरा नाम है? जानिए फेमिनिज़्म से जुड़े बड़े मिथक और सच्चाई। समझें कि यह विचारधारा वास्तव में क्या कहती है।

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Vaishali Garg
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The True Meaning Of Feminism For Women And How To Embrace It

Feminism Misconceptions: जब भी "नारीवाद" या "फेमिनिज़्म" की बात होती है, तो कई लोगों के मन में यह धारणा बन जाती है कि यह पुरुषों के खिलाफ कोई आंदोलन है। कुछ लोगों को लगता है कि नारीवादी वे महिलाएं होती हैं जो पुरुषों से नफ़रत करती हैं, उन्हें दबाना चाहती हैं या फिर उनसे आगे निकलने की होड़ में लगी रहती हैं। लेकिन क्या वास्तव में फेमिनिज़्म का मतलब यही है? चलिए, इस मिथक को तथ्यों के ज़रिए समझते हैं।

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क्या नारीवाद का मतलब पुरुषों से नफ़रत करना है?

फेमिनिज़्म क्या है?

फेमिनिज़्म का मूल उद्देश्य लैंगिक समानता (Gender Equality) है। यह विचारधारा समाज में महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार, अवसर और स्वतंत्रता देने की बात करती है। यह किसी भी लिंग के खिलाफ नहीं बल्कि पितृसत्ता (Patriarchy) के खिलाफ है, जो सदियों से महिलाओं को सीमाओं में बांधता आया है।

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फेमिनिज़्म बनाम पुरुष विरोध (Misandry)

फेमिनिज़्म और मिसैंड्री (पुरुषों से नफ़रत) दो बिल्कुल अलग चीज़ें हैं। मिसैंड्री का अर्थ है पुरुषों के प्रति घृणा रखना, जबकि फेमिनिज़्म का उद्देश्य केवल समानता स्थापित करना है। यह ठीक उसी तरह है जैसे कि किसी विशेषाधिकार (privilege) का विरोध करने का मतलब उस विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति से नफ़रत करना नहीं होता।

फेमिनिज़्म पुरुषों के खिलाफ क्यों नहीं है?

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पुरुषों के लिए भी फायदेमंद: फेमिनिज़्म सिर्फ महिलाओं के अधिकारों की बात नहीं करता, बल्कि पुरुषों के लिए भी कई सकारात्मक बदलाव लाता है। यह पुरुषों पर थोपे गए सामाजिक दबावों (जैसे "मर्द रोते नहीं", "मर्द को हमेशा मजबूत बनना चाहिए") को खत्म करने की बात करता है।

समान अवसर की मांग: नारीवाद का लक्ष्य पुरुषों को दबाना नहीं, बल्कि महिलाओं को भी उन्हीं अवसरों तक पहुँच दिलाना है जो पुरुषों को स्वाभाविक रूप से मिलते हैं।

घरेलू हिंसा और कुरीतियों के खिलाफ: यह घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, यौन शोषण और कार्यस्थल पर भेदभाव जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए काम करता है, जिससे समाज के हर वर्ग को लाभ होता है।

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पुरुष भी हो सकते हैं नारीवादी: कई पुरुष भी फेमिनिज़्म का समर्थन करते हैं क्योंकि वे समानता और न्याय में विश्वास रखते हैं। नारीवादी होने के लिए महिला होना ज़रूरी नहीं है।

फेमिनिज़्म के बारे में फैले कुछ बड़े मिथक

मिथक 1: फेमिनिज़्म पुरुषों को नीचे गिराना चाहता हैसच्चाई: फेमिनिज़्म पुरुषों को नहीं, बल्कि असमानता को खत्म करना चाहता है।

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मिथक 2: नारीवाद सिर्फ महिलाओं के लिए हैसच्चाई: यह समाज के हर व्यक्ति को समानता दिलाने की कोशिश करता है, जिसमें पुरुष भी शामिल हैं।

मिथक 3: सभी नारीवादी पुरुषों से नफ़रत करते हैंसच्चाई: अधिकांश नारीवादी सिर्फ बराबरी चाहते हैं, न कि पुरुषों के खिलाफ कोई साजिश रच रहे हैं।

तो क्या हमें फेमिनिज़्म को सपोर्ट करना चाहिए?

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अगर आप समानता, न्याय और अवसरों में संतुलन को महत्व देते हैं, तो निश्चित रूप से फेमिनिज़्म का समर्थन करना चाहिए। यह किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी के हक में काम करने वाली विचारधारा है। इसलिए अगली बार जब कोई कहे कि "फेमिनिज़्म का मतलब पुरुषों से नफ़रत करना है," तो उसे सही जानकारी देकर यह भ्रम दूर करें।

क्या आप भी फेमिनिज़्म को केवल महिलाओं का मुद्दा मानते थे? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं

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