FOMO VS JOMO: क्या Gen-Z को सबकुछ जानने की जरूरत है?

Gen Z के लिए FOMO (Fear of Missing Out) बनाम JOMO (Joy of Missing Out) कितना जरूरी है? जानें कैसे डिजिटल लाइफ में बैलेंस बनाना फायदेमंद हो सकता है।

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Vedika Mishra
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FOMO VS JOMO

FOMO VS JOMO Photograph: (Canva)

आज की डिजिटल दुनिया में जहां हर अपडेट पलक झपकते ही हमारे फोन स्क्रीन पर आ जाता है Gen-Z को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है FOMO (Fear of Missing Out) बनाम JOMO (Joy of Missing Out)। यह पीढ़ी सोशल मीडिया और इंटरनेट के ज़रिए लगातार कनेक्टेड रहती है जिससे उनके अंदर हर चीज़ को जानने और किसी भी मौके को न चूकने का दबाव बना रहता है लेकिन क्या वाकई हर चीज़ को जानना ज़रूरी है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं :

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FOMO VS JOMO: क्या Gen-Z को सबकुछ जानने की जरूरत है?

FOMO: हमेशा जुड़े रहने की चाह

FOMO यानी "Fear of Missing Out" का मतलब है किसी खास पल, जानकारी या अवसर को खो देने का डर। Gen-Z में यह ट्रेंड बहुत आम हो गया है और इसके कई कारण हैं :

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  • सोशल मीडिया का प्रभाव: इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हर पल नए अपडेट आते हैं जिससे लोगों को लगता है कि अगर वे ऑनलाइन नहीं रहेंगे तो कुछ मिस कर देंगे।
  • हर इवेंट में मौजूद रहने की चाह: पार्टी, वेबिनार, ब्रांड लॉन्च या फिर कोई वायरल ट्रेंड , Gen-Z को लगता है कि उन्हें हर चीज़ का हिस्सा बनना चाहिए।
  • करियर और स्किल डेवलपमेंट का दबाव: आज की पीढ़ी सिर्फ सोशल नहीं बल्कि करियर ग्रोथ और अपस्किलिंग को लेकर भी FOMO महसूस करती है। उन्हें लगता है कि अगर वे किसी नए ट्रेंडिंग स्किल को नहीं सीखेंगे तो पीछे रह जाएंगे।
  • "पिक्चर परफेक्ट" लाइफ का प्रेशर: सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी जिंदगी को परफेक्ट दिखाने की कोशिश करता है जिससे दूसरों को यह डर सताता है कि वे पीछे छूट रहे हैं।

JOMO: चीजों को मिस करने में भी खुशी है

इसके उलट, JOMO यानी "Joy of Missing Out" एक नया ट्रेंड बन रहा है जिसमें लोग जानबूझकर डिजिटल दुनिया से खुद को दूर रखते हैं और अपनी निजी जिंदगी में संतुष्टि पाते हैं।

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  • मेंटल हेल्थ पर फोकस: लगातार जुड़े रहने से मानसिक थकावट होती है। JOMO अपनाने वाले लोग खुद के लिए समय निकालते हैं, डिजिटल डिटॉक्स करते हैं और शांति महसूस करते हैं।
  • सही चीजों को प्राथमिकता देना: हर जानकारी या हर इवेंट में शामिल होना जरूरी नहीं है। JOMO का मतलब है कि आप खुद तय करें कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं।
  • सोशल मीडिया ब्रेक: Gen-Z अब धीरे-धीरे महसूस कर रही है कि सोशल मीडिया से दूर रहना, किताबें पढ़ना, परिवार के साथ समय बिताना और खुद के लिए वक्त निकालना ज्यादा जरूरी है।
  • धीमी और संतुलित जिंदगी: "हर चीज़ को जानना" ज़रूरी नहीं है बल्कि अपने दिमाग और शरीर को आराम देना अधिक महत्वपूर्ण है।

क्या Gen-Z को सबकुछ जानने की जरूरत है?

Gen-Z के लिए यह समझना ज़रूरी है कि हर चीज़ को जानना, हर ट्रेंड को फॉलो करना या हर मौके को पकड़ना उनकी लाइफ को बेहतर नहीं बनाएगा। ज़रूरी यह है कि वे खुद को मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखें।

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  • हर जानकारी जरूरी नहीं होती।
  • खुद को समय देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
  • FOMO से बचकर JOMO अपनाना मानसिक शांति के लिए फायदेमंद हो सकता है।

FOMO और JOMO के बीच संतुलन बनाना सबसे अच्छा विकल्प है। जहां कुछ चीजें जानना और अपडेटेड रहना जरूरी है वहीं खुद को डिजिटल दुनिया से समय-समय पर अलग रखना भी महत्वपूर्ण है। Gen-Z को समझना होगा कि हर चीज़ में भाग लेने से ज्यादा जरूरी है, सही चीजों को चुनना और खुद के लिए समय निकालना।

FOMO Gen Z