हमारे समाज में पहले से ही औरत और मर्द की भूमिकाओं को निर्धारित किया गया है। जैसे घर का काम करना औरत की जिम्मेदारी है और बाहर जाकर पैसा कमाना मर्द की जिम्मेदारी है। अगर दोनों में से कोई भी इन भूमिकाओं से उलट काम करता है तो वह इस समाज के खिलाफ जा रहा है। इसके अलावा हमारे समाज में औरतों के लिए एक अलग राय होती है अगर वही काम मर्द करे तो उसके लिए अलग राय होती है तो आज हम समाज के इन्हीं डबल स्टैंडर्ड्स के बारे में बात करेंगे।
क्यों आज भी सोसाइटी में डबल स्टैंडर्ड्स हैं?
- खाना बनाना: जब घर में लड़का खाना बना रहा हूं तो कहा जाता है कि, "तुम्हारी पत्नी कितनी भाग्यशाली होगी कि उसे तुम जैसा पति मिला वो जो तुम को कमाकर भी दे रहा है और घर का काम भी कर रहा है वह महारानी तो आराम की जिंदगी जी रहे हो"। अगर वही औरत घर का काम करके नौकरी पर जाए और नौकरी से आकर भी घर का काम करें तो इससे उसकी ड्यूटी कहा जाता है क्यों आज भी हमारे समाज में यह दोगलापन है?
- बिल का भुगतान करना हो: अक्सर यह माना जाता है कि जब भी किसी चीज का भुगतान करने की बात हो तो वह लड़कों को ही करना चाहिए। अगर औरत किसी चीज का भुगतान कर दे चाहें वह रेस्टोरेंट में खाने का बिल हो चाहे घर के खर्चे हो तो इस पर मर्दों को हमेशा जज किया जाता है कहा जाता है कि कितना निकम्मा आदमी है इसे तो अपना घर भी नहीं संभलता। अगर वही मर्द जो सारे बिलों का भुगतान कर दे तो कहा जाता है कि हां ऐसे ही फिर समाज कुछ नहीं बोलता फिर कहता है कि यहां यह तो एक मर्द की ही ड्यूटी है कि उसे घर के सारे बिल भुगतान करने चाहिए।
- घर पर रहना: जैसे हमने पहले भी बात की है कि समाज ने औरत और मर्द की भूमिका उनको पहले से ही निश्चित किया गया है। अगर लड़का कहे कि मुझे घर रहना है मैं बाहर जाकर कम करना नहीं चाहता तो सोसाइटी उस लड़के को निकम्मा मानती है ।
अगर वही औरत घर पर रहकर खाना बनाए अपने परिवार का ख्याल रखे तो उस औरत को सुशील माना जाता है वहीं दूसरी तरफ अगर औरत कह रही कि नहीं मुझे घर पर नहीं रहना मुझे भी बाहर जाकर नौकरी करनी है तो समाज उस औरत को बुरा कहने में जरा भी देरी नहीं करती - करियर: हम कैरियर की बात करें तो समाज ने इसे भी निर्धारित किया हुआ है उनके हिसाब से सिर्फ मर्द को ही कैरियर पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उसे ही आगे जाकर नौकरी करनी है औरत अगर अपने करियर पर ना भी ध्यान दें तो फिर भी चलेंगा।
कब जाएगा हमारे समाज में से दोगलापन?
हमारा समाज आज के जमाने में भी औरत और मर्द को बराबर नहीं मानता। उसने जो औरत और मर्द के लिए जो काम निर्धारित किए गए हैं वह चाहता है कि वह दोनों उसी के हिसाब से चले अगर कोई उस ऑर्थोडॉक्स नियमों को और स्टीरियोटाइप्स को तोड़ता है तो वह समाज की नजरों में बुरा बन जाता है।