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Girls Being Single: क्या सोसाइटी महिलाओं को सिंगल एक्सेप्ट करने को है तैयार?

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ओह! क्या वो अभी तक सिंगल है? बेचारी! आपको लाइफ में किसी न किसी की जरुरत तो होती ही है। अकेले लाइफ जीना बहुत मुश्किल होता है। इस तरह के थॉट्स अक्सर आजकल के लोगों में आते हैं, जो सिंगल गर्ल्स या सिंगल महिलाओं को बेचारी और अकेली की नज़र से देखते हैं। उनका मानना है कि सिंगल महिलाएं डिप्रेशन में चली जाती हैं और ज़िन्दगी से फ़्रस्ट्रेटेड रहती हैं। लेकिन यह बिलकुल भी सच नहीं है। अब टाइम पहले से काफी बदल गया है। महिलाएं अब सेल्फ डिपेंडेंट हो गयी हैं और अपने लाइफ के मेजर डिसिशन खुद ले रही हैं। और सिंगल होना भी उनकी खुद की ही चॉइस बन गया है।    

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Girls Being Single By choice: सिंगल होना मजबूरी नहीं हमारी चॉइस है 

भारत में एक बड़े जनसंख्या में महिलाएं सिंगल रहने का चुनाव करती हैं। आंकड़ों के हिसाब से 72 मिलियन भारतीय महिलाएं इस समय सिंगल हैं या अलगाव स्थिति में हैं। जिसका मतलब है या तो वह तलाकशुदा हैं, विधवा हैं, और अपने चॉइस से सिंगल रहना चाहती हैं। 

यह कुल संख्या यूनाइटेड किंगडम और स्विट्ज़रलैंड की पापुलेशन को मिला दे तो बनेगी। महिलाएं तो खुद को सिंगल और हैप्पी एक्सेप्ट कर रही हैं लेकिन क्या सोसाइटी उनके इस डिसिशन को एक्सेप्ट कर पाएगी? 

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सिंगल महिलाओं को समाज में किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? 

  • सिंगल महिला को रेंट पर घर नहीं मिलता: अक्सर यह समस्या देखने को मिलती है कि ज्यादातर लैंडलॉर्ड अकेली या सिंगल महिला को किराये पर रखने में हिचकिचाते हैं। उनका मानना है कि अकेली लड़की को रखना खतरनाक हो सकता है। आखिर क्यों? सिंगल होना कोई गुनाह नहीं, क्या सिंगल होना क्रिमिनल होने जैसा है?   
  • सिंगल महिलाएं नहीं कर सकती बच्चा अडॉप्ट: समाज में सिंगल महिलाओं को ऐसे देखा जाता है जैसे वह बेचारी, कमजोर हो। अक्सर सिंगल लेडीज को बच्चे अडॉप्ट करने में प्रॉब्लम आती है। यहाँ भी सोसाइटी के गिरी हुई सोच सामने आती है। असल में, समाज का मानना है कि जो औरत अपना घर या अपने साथी के साथ जीवन नहीं निभा सकी और अपने रिश्ते को नह बचा सकी, वह किसी बच्चे की देखभाल और केयर भला कैसे करेगी। इसीलिए बहुत जगहों पर सिंगल, विडो और डिवोर्सी महिलाओं के लिए एडॉप्शन के दरवाज़े पूरी तरह बंद हैं।   
  • होती है स्लट शेमिंग: जब भी कोई महिला किसी डॉक्टर के यहाँ अपना बॉडी चेकअप करने गयी या किसी सिलसिले में स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिली तो वहां उनको स्लट शेमिंग का अनुभव करना पड़ा। समाज के कुछ लोग पहले ही अपनी गन्दी सोच से कहानिया बना लेते हैं; न जाने कितनो के साथ इसके सम्बन्ध होंगे? न जाने कैसा होगा इसका पिछला पार्टनर? आखिर बॉडी में यह सब प्रॉब्लम की वजह मल्टीप्ल पार्टनर्स रखना ही होगा?    
  • बच्चे के पिता कौन है? यह फर्क नहीं पड़ता कि आप सिंगल मॉम हो, सेपरेटेड हो या आपका तलाक हो गया है। कभी किसी मार्केट, पार्टी, या स्कूल जाओ तो सबसे पहले यही सवाल पूछा जाता है कि आखिर बच्चे का पिता कौन है? आखिर क्यों? समाज में महिलाओं का दर्जा इतना कम क्यों? खास कर अगर वह महिला सिंगल हो तो समाज उसे दो तरफ़ा परेशानियों का सामना करने पर मजबूर कर देता है। पहले तो समाज उसे बेचारी-अकेली होने का तमगा देता है और फिर बाद में उसके कैरेक्टर पर उंगली उठता है।      
सिंगल महिला
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