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Girls Mature Faster Than Boys? इस सोच के पीछे का कारण और संभव प्रभाव

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Monika Pundir
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यह एक धरना है की लड़कियाँ लड़कों से पहले मच्योर होती हैं। यह कुछ हद तक सच है, पर पूरी तरह से नहीं। लड़कियों का जल्दी मच्योर होना, लड़कों को उनके शरारतों के कारण लड़कियों के गुस्से से बचाने के लिए प्रयोग होने वाला एक आम बहाना है। दोनों के माता पिता लड़कियों से कहते हैं की “लड़के देर से मच्योर होते हैं, बात को जाने दो”।

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क्यों माना जाता है की लड़किया जल्दी मच्योर होती हैं?

एवरेज में पाया गया है की लड़कियों की प्यूबर्टी लड़कों से लगभग एक दो साल पहले शुरू होती है। लड़कियों को 11-14 वर्ष के बीच अपनी पहली पीरियड आ जाती है, जबकि लड़कों के लिए प्यूबर्टी पहचानना ज़रा मुश्किल है। आवाज़ में बदलाव हलकी हलकी मूछ जैसे चिन्ह को आने में बहुत समय लगता है। कुछ लड़को में 18 वर्ष(क़ानूनी रूप से एडल्ट) के बाद भी पूरी तरह दाढ़ी नहीं आती है। इसलिए मान लिया जाता है की लड़की पहले मच्योर होती हैं। हलाकि लड़कियों में भी बॉडी और प्यूबिक हेयर का आना काफी समय लगा सकता है, पीरियड्स को मच्योरिटी मान लिया जाता है।

इस सोच के दुष्परिणाम: 

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लड़की के मच्योर होने को कॉम्पलिमेंट माना जा सकता है, लेकिन लम्बे समय में यह हानिकारक होता है। इसके कुछ उदाहरण नीचे पढ़ें:

1. लड़कों के ख़राब हरकतों को माफ़ कर देना 

कई बार लड़के बहुत ही घटिया हरकत करते हैं, लेकिन लोग उन्हें माफ़ कर देते हैं यह सोच कर की लड़के देर से मच्योर होते हैं। पाया गया है की कोएड स्कूलों में लड़के कई बार लड़कियों के साथ माइनर सेक्सुअल हरासमेंट करते हैं, जैसे की उनके स्कर्ट को उछालना या उनके ब्रा के स्ट्राप को तानना। इन चीज़ों को लड़कियों को माफ़ करने कहा जाता है, इस बहाने के दुरूपयोग से।

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2. लड़कों को घर के काम नहीं सिखाए जाते 

अगर घर में भाई और बहन दोनों हो, तो अक्सर केवल बहन घर के काम सीखती और करती है। यह तब भी होता है अगर लड़की छोटी बहन हो। घर पर गेस्ट आने पर भी पाया जाता है की लड़की को मदद के लिए भेजा जाता है। अगर लड़का मदद के लिए उठे, तो उसकी इतनी सराहना की जाती है जैसे की वो महान हो, पर लड़की उठे तो नॉर्मल माना जाता है।

3. लड़कों को ईम्मच्योर माना जाता है 

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अगर आप कह रहे हो की लड़के धीरे मच्योर होते हैं, आप घुमा फिर कर यह कह रहे हैं की आपके सामने या आपके परिवार में जो भी लड़के हैं वे मच्योर नहीं है। अपने बारे में ऐसी बात सुनने में अच्छा नहीं होता है। अपनी बुराई कोई नहीं सुनना चाहता। टीनेज के वर्षों में सब जल्द से जल्द बड़े होना चाहते हैं, ज़िम्मेदारिया लेना चाहते हैं, लाइफ एक्सप्लोर करना चाहते हैं। ऐसे में अगर वह सुने की उसे इम्मैच्योर या गैरज़िम्मेदार माना जाता है, उसे ठेस पहुंच सकती है।

4. शादी से संबंधित समस्या 

बाल विवाह का एक बड़ा कारण है की 13-15 वर्ष के बच्चियों को “औरत” मान लिया जाता था, और उस उम्र में वे माँ बनते थे। यह बच्चे के लिए हानिकारक होता ही है, पर उस लड़की के शरीर पर बहुत भारी पड़ता है, और उसकी मृत्यु का कारण भी बनता था। 

अपने से छोटे उम्र के पुरुष से शादी करना आज भी इसी वजह से ख़राब माना जाता है। साथ ही, अगर दोनों का उम्र समान भी है, औरत को अक्सर ज़्यादा डोमिनेटिंग मान लिया जाता है।

लड़कियाँ जल्दी मच्योर होती हैं, यह केवल एक सेक्सिस्ट स्टीरियोटाइप है। पीरियड्स केवल यह बताते हैं की लड़की के शरीर में कुछ हॉर्मोन्स आना शुरू हो गए हैं। वह उसे औरत नहीं बना देती हैं। मेंटल मच्योरिटी हॉर्मोन्स से नहीं परवरिश, शिक्षा और पर्यावरण से आती है। आज के समय, लड़का और लड़की, दोनों समान उम्र में समान शिक्षा पाते हैं, तो एक की मेंटल मच्योरिटी दूसरे से जल्दी कैसे आ सकती है? हाँ, अगर आप लड़की पर ज़िम्मेदारियाँ डाल दे और उसी उम्र के लड़के को बिना ज़िम्मेदारी के रहने दे, लड़की पहले मच्योर होगी, और समाज ऐसा ही करता है, जो की ठीक नहीं है। 

स्टीरियोटाइप मच्योर
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