How to Not Let Comments Get to You: हम सब कभी न कभी दूसरों की टिप्पणियों, आलोचनाओं या नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का शिकार हुए हैं। चाहे वह सोशल मीडिया पर हो, कार्यस्थल पर हो, या यहां तक कि परिवार और दोस्तों के बीच भी हो, कभी न कभी तो चुभने वाली बातें सुननी ही पड़ती हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हमें हर बार इन बातों को अपने ऊपर हावी होने देना चाहिए? बिल्कुल नहीं! दूसरों की राय को अपनी खुशी और आत्मविश्वास को प्रभावित करने देना न केवल गलत है, बल्कि हानिकारक भी है। तो चलिए सीखते हैं कि दूसरों की बातों को अपने ऊपर हावी न होने दें और खुद को मजबूत बनाएं।
जानिए कैसे दूसरों की बातों को अपने ऊपर हावी न होने दें
पहचानिए अपनी कीमत (Know Your Worth)
हर किसी की अपनी खासियतें और कमियां होती हैं। खुद को दूसरों से तुलना करने या उनकी राय को अपनी योग्यता का मापदंड बनाने से बचें। अपनी ताकतों और उपलब्धियों को याद करें। उन कमियों पर काम करें जिन्हें आप सुधारना चाहते हैं, लेकिन सिर्फ खुद के लिए, किसी और को खुश करने के लिए नहीं। अपनी खुद की परिभाषा बनाएं और खुद पर विश्वास करें। जैसा कि महान स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "जितना कम आप दूसरों की राय का ख्याल रखेंगे, आप उतने ही खुश होंगे।"
दूसरों के इरादों को समझें (Understand Their Intentions)
कभी-कभी लोग बिना सोचे-समझे, गुस्से में या ईर्ष्या के कारण कुछ कह देते हैं। उनकी टिप्पणियों को सीधे-सीधे अपने बारे में सत्य मानने की गलती न करें। सोचें कि उनकी बातों के पीछे क्या कारण हो सकता है। क्या वे वास्तव में आपकी भलाई चाहते हैं या उनकी कोई नकारात्मक भावनाएं काम कर रही हैं? दूसरों के नजरिए से सोचने की कोशिश करें और स्थिति को समझने का प्रयास करें।
सीमाएं तय करें (Set Boundaries)
आप दूसरों को खुश करने के लिए हर किसी की राय नहीं मान सकते। यह जानना जरूरी है कि आप क्या सुनना चाहते हैं और क्या नहीं। असभ्य या अनुचित टिप्पणियों को सुनने से इनकार करें। स्पष्ट रूप से कह दें कि आपको उनकी राय पसंद नहीं आई और आप इस पर चर्चा नहीं करना चाहते।
आलोचना से सीखें (Learn from Criticism)
सभी आलोचनाएं नकारात्मक नहीं होतीं। कभी-कभी सच्ची और रचनात्मक आलोचना आपको सीखने और सुधारने का मौका देती है। यह महत्वपूर्ण है कि आप खुले दिमाग से किसी भी फीडबैक को लें और उसका मूल्यांकन करें। देखें कि क्या उसमें कोई सच्चाई है और क्या आप उससे कुछ सीख सकते हैं। लेकिन याद रखें, हर किसी की राय अंतिम सत्य नहीं होती। सिर्फ वही मानें जो आपके खुद के मूल्यों और लक्ष्यों के अनुरूप हो।
सकारात्मक रहें (Stay Positive)
अपने आस-पास सकारात्मक लोगों को रखें। वही लोग आपका उत्साह बढ़ाएंगे और आपकी सफलता का जश्न मनाएंगे। नकारात्मक लोगों से दूरी बनाकर रखें। खुद को खुश रखने के लिए ऐसे शौक और गतिविधियों में शामिल हों जो आपको पसंद हों। ध्यान, योग या व्यायाम जैसी कोई भी चीज जो आपको तनाव से मुक्त करे और मानसिक शांति दे, उसका अभ्यास करें।
Criticism : जानिए कैसे दूसरों की बातों को अपने ऊपर हावी न होने दें
ओपिनियन: हम सब कभी न कभी दूसरों की टिप्पणियों, आलोचनाओं या नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का शिकार हुए हैं। चाहे वह सोशल मीडिया पर हो, कार्यस्थल पर हो, या यहां तक कि परिवार और दोस्तों के बीच भी हो, कभी न कभी तो चुभने वाली बातें सुननी ही पड़ती हैं।
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How to Not Let Comments Get to You: हम सब कभी न कभी दूसरों की टिप्पणियों, आलोचनाओं या नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का शिकार हुए हैं। चाहे वह सोशल मीडिया पर हो, कार्यस्थल पर हो, या यहां तक कि परिवार और दोस्तों के बीच भी हो, कभी न कभी तो चुभने वाली बातें सुननी ही पड़ती हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हमें हर बार इन बातों को अपने ऊपर हावी होने देना चाहिए? बिल्कुल नहीं! दूसरों की राय को अपनी खुशी और आत्मविश्वास को प्रभावित करने देना न केवल गलत है, बल्कि हानिकारक भी है। तो चलिए सीखते हैं कि दूसरों की बातों को अपने ऊपर हावी न होने दें और खुद को मजबूत बनाएं।
जानिए कैसे दूसरों की बातों को अपने ऊपर हावी न होने दें
पहचानिए अपनी कीमत (Know Your Worth)
हर किसी की अपनी खासियतें और कमियां होती हैं। खुद को दूसरों से तुलना करने या उनकी राय को अपनी योग्यता का मापदंड बनाने से बचें। अपनी ताकतों और उपलब्धियों को याद करें। उन कमियों पर काम करें जिन्हें आप सुधारना चाहते हैं, लेकिन सिर्फ खुद के लिए, किसी और को खुश करने के लिए नहीं। अपनी खुद की परिभाषा बनाएं और खुद पर विश्वास करें। जैसा कि महान स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "जितना कम आप दूसरों की राय का ख्याल रखेंगे, आप उतने ही खुश होंगे।"
दूसरों के इरादों को समझें (Understand Their Intentions)
कभी-कभी लोग बिना सोचे-समझे, गुस्से में या ईर्ष्या के कारण कुछ कह देते हैं। उनकी टिप्पणियों को सीधे-सीधे अपने बारे में सत्य मानने की गलती न करें। सोचें कि उनकी बातों के पीछे क्या कारण हो सकता है। क्या वे वास्तव में आपकी भलाई चाहते हैं या उनकी कोई नकारात्मक भावनाएं काम कर रही हैं? दूसरों के नजरिए से सोचने की कोशिश करें और स्थिति को समझने का प्रयास करें।
सीमाएं तय करें (Set Boundaries)
आप दूसरों को खुश करने के लिए हर किसी की राय नहीं मान सकते। यह जानना जरूरी है कि आप क्या सुनना चाहते हैं और क्या नहीं। असभ्य या अनुचित टिप्पणियों को सुनने से इनकार करें। स्पष्ट रूप से कह दें कि आपको उनकी राय पसंद नहीं आई और आप इस पर चर्चा नहीं करना चाहते।
आलोचना से सीखें (Learn from Criticism)
सभी आलोचनाएं नकारात्मक नहीं होतीं। कभी-कभी सच्ची और रचनात्मक आलोचना आपको सीखने और सुधारने का मौका देती है। यह महत्वपूर्ण है कि आप खुले दिमाग से किसी भी फीडबैक को लें और उसका मूल्यांकन करें। देखें कि क्या उसमें कोई सच्चाई है और क्या आप उससे कुछ सीख सकते हैं। लेकिन याद रखें, हर किसी की राय अंतिम सत्य नहीं होती। सिर्फ वही मानें जो आपके खुद के मूल्यों और लक्ष्यों के अनुरूप हो।
सकारात्मक रहें (Stay Positive)
अपने आस-पास सकारात्मक लोगों को रखें। वही लोग आपका उत्साह बढ़ाएंगे और आपकी सफलता का जश्न मनाएंगे। नकारात्मक लोगों से दूरी बनाकर रखें। खुद को खुश रखने के लिए ऐसे शौक और गतिविधियों में शामिल हों जो आपको पसंद हों। ध्यान, योग या व्यायाम जैसी कोई भी चीज जो आपको तनाव से मुक्त करे और मानसिक शांति दे, उसका अभ्यास करें।