/hindi/media/media_files/bsRWWqzGZiTlbHR873z8.png)
शादी के बाद महिलाओं की ज़िंदगी में कई बदलाव आते हैं। नई ज़िम्मेदारियाँ, नए रिश्ते और समाज की उम्मीदें इन सबके बीच खुद को भूल जाना आम बात हो जाती है। लेकिन क्या ये सही है? नहीं! हर महिला को शादी के बाद कुछ फैसले खुद के लिए ज़रूर लेने चाहिए ताकि उसकी पहचान सिर्फ किसी की पत्नी, बहू या माँ तक सीमित न रह जाए, बल्कि वो अपनी खुद की भी एक अलग पहचान बनाए। आइए जानते हैं वो पांच फैसले जो हर शादीशुदा महिला को ज़रूर लेने चाहिए।
महिलाओं को शादी के बाद खुद के लिए ये 5 फैसले ज़रूर लेने चाहिए
1. आर्थिक स्वतंत्रता को बनाए रखना
शादी के बाद महिलाओं को अक्सर परिवार की ज़िम्मेदारियों में इस कदर उलझा दिया जाता है कि उनका करियर या आर्थिक आत्मनिर्भरता पीछे छूट जाती है। लेकिन ये बेहद ज़रूरी है कि शादी के बाद भी महिलाएं अपनी कमाई का जरिया बनाए रखें। अगर आप नौकरी कर रही हैं तो उसे जारी रखें और अगर नहीं कर रही हैं तो कोई स्किल डेवलप करें, कोई वर्क-फ्रॉम-होम ऑप्शन देखें या खुद का छोटा बिज़नेस शुरू करें। आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहने से न सिर्फ आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि भविष्य में किसी भी परिस्थिति में आप खुद को असहाय महसूस नहीं करेंगी।
2. अपनी सेहत और मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देना
शादी के बाद महिलाएं अपने पति, बच्चों और परिवार का तो पूरा ख्याल रखती हैं, लेकिन खुद की सेहत और मानसिक शांति को नजरअंदाज कर देती हैं। ये आदत जितनी जल्दी बदली जाए, उतना बेहतर है। आपको अपने स्वास्थ्य का भी उतना ही ध्यान रखना चाहिए जितना आप अपने परिवार का रखती हैं। नियमित हेल्थ चेकअप, अच्छा खाना, पर्याप्त नींद और थोड़ा समय खुद के लिए निकालना बेहद ज़रूरी है। मानसिक शांति के लिए मेडिटेशन करें, किताबें पढ़ें या अपनी कोई हॉबी फॉलो करें।
3. अपने फैसले खुद लेना और अपनी आवाज़ बुलंद करना
भारतीय समाज में आज भी महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वे हर फैसला पति या ससुरालवालों की मर्जी से लें। लेकिन आपको अपने फैसले खुद लेने का हक है, फिर चाहे वो करियर से जुड़ा हो, बच्चों की परवरिश से या आपकी व्यक्तिगत पसंद नापसंद से। शादी का मतलब यह नहीं कि आप अपनी इच्छाओं को दबा दें। अगर आपको किसी बात पर असहमति हो, तो खुलकर अपनी राय रखें। रिश्ते में आपसी सम्मान और बराबरी ज़रूरी है।
4. अपनी पहचान को बनाए रखना
शादी के बाद महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वे अपने पति और ससुराल को प्राथमिकता दें और खुद को उनके अनुसार ढाल लें। लेकिन क्या ये ज़रूरी है कि आप खुद को पूरी तरह बदल दें? नहीं! अगर आपको कुछ पसंद है चाहे वो करियर हो, कपड़े पहनने का तरीका हो या दोस्तों के साथ घूमना तो उसे सिर्फ शादी के कारण छोड़ना ठीक नहीं। अपनी पहचान को बनाए रखना उतना ही ज़रूरी है जितना नए रिश्तों को अपनाना।
5. रिश्तों की परिभाषा खुद तय करना
शादी के बाद अक्सर महिलाओं पर रिश्तों को निभाने की ज़िम्मेदारी ज्यादा डाल दी जाती है। उन्हें यह सिखाया जाता है कि हर हाल में एडजस्ट करो, सहन करो और सबको खुश रखो। लेकिन यह ज़रूरी है कि आप अपने रिश्तों को खुद परिभाषित करें कौन आपके लिए महत्वपूर्ण है और किन रिश्तों में आपको खुद को कमतर महसूस करना पड़ रहा है। अगर कोई रिश्ता आपकी खुशी और आत्मसम्मान पर असर डाल रहा है, तो उसे निभाने की जबरदस्ती न करें।