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Is Being a 'Good Woman' Just About Fulfilling Others Expectations: कल्पना कीजिए कि आप किसी सामाजिक कार्यक्रम में जाएं। चारों ओर हंसी-मजाक हो रहा हो, लोग अपनी कहानियां साझा कर रहे हों, और फिर आपकी नजर एक कोने में बैठी महिला पर पड़ती है। वह चुपचाप अपने काम में व्यस्त है, कभी एक हाथ में चाय का कप पकड़े, तो कभी बर्तन धोते हुए, बिना किसी शिकायत के। और फिर आपको अचानक यह सवाल आता है – क्या वही 'अच्छी महिला' है? क्या एक महिला का मतलब सिर्फ यह होता है कि वह चुप रहे, दूसरों की उम्मीदों को बिना किसी विरोध के पूरा करे, और अपनी खुद की इच्छाओं को किनारे कर दे? समाज ने हमेशा से महिलाओं के लिए एक परिभाषा बनाई है – एक 'अच्छी महिला' वही है जो दूसरों की भलाई के लिए खुद को हमेशा पीछे रखे, जो कभी खुद के लिए नहीं, बल्कि हमेशा दूसरों के लिए जीती है।
लेकिन क्या सच में यही एक महिला का सबसे बड़ा कर्तव्य है? क्या हमें अपनी परिभाषाओं को बदलने की जरूरत नहीं है? क्या महिला का अस्तित्व सिर्फ दूसरों की इच्छाओं को पूरा करने में समाहित है, या उसकी पहचान उसकी स्वायत्तता, अधिकार और स्वतंत्रता से भी जुड़ी हो सकती है? यही सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है क्या 'अच्छी महिला' होने का मतलब सिर्फ दूसरों की उम्मीदों को पूरा करना है?
क्या महिलाओं का जीवन दूसरों की उम्मीदों पर आधारित होना चाहिए?
समाज में महिलाओं से यह उम्मीद की जाती है कि वे हर समय दूसरों की संतुष्टि के लिए जीती रहें। अगर वह खुद के लिए कुछ करती हैं, तो उन्हें खुदगर्ज़, स्वार्थी या विरोधी मान लिया जाता है। लेकिन जब हम सोचते हैं, तो क्या महिलाओं को केवल दूसरों के हक में अपने सपने, अपने हक, और अपनी पहचान को भूलकर जीना चाहिए? क्या महिला के जीवन का उद्देश्य केवल दूसरों की इच्छाओं को पूरा करना है? क्या यह सही है?
क्या सहनशीलता और चुप्प को महिला का गुण मानना गलत नहीं है?
जब मैंने उन महिलाओं को देखा जो चुपचाप अपना काम कर रही थीं, तो मुझे यह महसूस हुआ कि एक अजीब सी सोच ने हमें यह विश्वास दिलाया है कि एक 'अच्छी महिला' वही है जो चुप रहे, जो कुछ भी सहन करें और किसी विरोध के बिना अपनी जिम्मेदारियों को निभाए। लेकिन क्या यह सच है? क्या एक महिला का जीवन केवल सहनशीलता और चुप्प रहने तक सीमित हो सकता है? क्या यह वह समाज है जिसे हम अपनी 'अच्छी महिला' की परिभाषा मानते हैं?
क्या ‘अच्छी महिला’ की परिभाषा में बदलाव की आवश्यकता नहीं है?
यह समय है कि हम 'अच्छी महिला' की परिभाषा पर पुनर्विचार करें। क्या यह सही नहीं होगा कि हम महिलाओं को उनकी स्वायत्तता, उनकी स्वतंत्रता, और उनके अधिकारों के आधार पर परिभाषित करें? क्यों नहीं हम एक महिला को उसकी सोच, निर्णय और खुद के लिए खड़े होने के लिए सराहें? क्या हम समाज में यह बदलाव ला सकते हैं कि एक 'अच्छी महिला' वही है जो अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जीती है, जो आत्मसम्मान के साथ अपनी बात रखती है और अपनी पहचान बनाती है?
महिलाओं के अधिकारों की वास्तविक पहचान
यह सवाल हमें यह सोचने पर मजबूर करता है – क्या हम महिलाएं को सिर्फ सहनशीलता और चुप्प रहने की इजाजत दे सकते हैं, या हमें उन्हें अपनी आवाज़ उठाने, अपनी इच्छाओं का पालन करने, और अपनी असली पहचान बनाने का पूरा अधिकार देना चाहिए? एक महिला की शक्ति और उसकी पहचान उसकी खुद की स्वायत्तता और निर्णय से जुड़ी होनी चाहिए, न कि दूसरों की उम्मीदों से। क्यों हम महिलाओं को केवल एक भूमिका में बांधते हैं, जब वे अपनी पूरी क्षमता को पहचानने और उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हो सकती हैं?
कल के दृश्य ने मेरे मन में यह सवाल उठाया कि क्या 'अच्छी महिला' होने का मतलब केवल दूसरों की उम्मीदों पर खरा उतरना है? जब हम यह सवाल खुद से पूछते हैं, तो हमें यह समझना होगा कि एक महिला की असली पहचान उसकी स्वतंत्रता, उसके अधिकार, और उसके आत्म-सम्मान से है। समाज को यह स्वीकार करना होगा कि एक महिला को अपनी आवाज़ उठाने, अपने सपनों को पूरा करने और अपनी पहचान बनाने का उतना ही हक है जितना किसी और को। तभी हम सच में उस परिभाषा को बदल पाएंगे, जो एक 'अच्छी महिला' को केवल दूसरों की इच्छाओं को पूरा करने तक सीमित करती है।