शादी भारत में बहुत पवित्र मानी जाती है।ऐसा माना जाता है यह लोगों के बीच नहीं दो परिवार के बीच होतीं है।भारती लोग शादियों में हद से ज़्यादा पैसा खर्च करते है। ज़्यादातर लोग शादी अपने वंश या अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए होती है।जब भी शादी होती है कुछ समय बाद ख़ासकर लड़कियों से पूछा जाता है ‘ख़ुशख़बरी’ कब देनी वाली हो। ख़ुशख़बरी का मतलब बच्चा कब करने वाले हों। क्या शादी के बाद बच्चा करना ज़रूरी है? आज हम इस टॉपिक पर बात करेंगे।
बच्चा करना या ना करना व्यक्तिगत चयन है
शादी के बाद घरवाले कहने लग जाते है कि अब जल्दी से हमें बच्चे की शकल दिखा दो। घर में बूढ़ी दादी कहने लग जाती है कि मेरा पता नहीं कब तक ज़िंदा हो अब बस मुझे अपने बच्चे से मिलवा दो। शादी के बाद कब बच्चा करना है या नहीं ये पूरी तरह से कपल पर निर्भर करता है। ऐसे उन पर इसके लिए दबाव डालना ग़लत बता है। क्या पता है वह अभी बच्चा करना चाहते भी है या नही?
शादी का मतलब बच्चे पैदा करना नहीं है
शादी का मतलब केवल बच्चे पैदा करना नहीं है। शादी दो लोगों साथ है जिन्हें हर हालत चाहे वह अच्छे हो या बुरे उन में एक दूसरे का साथ देना है। इसका मतलब यह नहीं कि अगर शादी हो गई है औरत ने घर सम्भालना और बच्चे पैदा करने है और मर्द में बाहर जाकर काम करना है। वे शादी के बाद भी अपनी ज़िंदगी जी सकते है।
ज़रूरी नहीं है वह बच्चा पैदा करें उसे गोद भी ले सकते है।
आज भी बहुत से भारती घरों बच्चे को गोद लेना अच्छा नहीं समझते है। उन्हें लगता यह हमारा खून नहीं है। अफ़सोस है कि आज भी कुछ लोग ऐसी सोच रखते है अगर कोई कपल बच्चा गोद लेना चाहते है बहुत कम परिवार है जो उनका साथ देता नहीं तो बहुत से परिवार ऐसे मामलों में साथ नहीं देते।
लोग जज करने लगते है
अगर कोई कपल बच्चा नहीं कर रहा तो लोग उन्हें जज करते है। उनके बारे में अलग-अलग बातें बनाते है जैसे लड़की में कोई कमी होगी तभीबच्चा नहीं हो रहा। शादी के इतने साल होगे अभी तक बच्चा नहीं हुआ अगर कोई कपल बच्चा करना चाहता है उनके किसी कारण नहीं हो पा रहा तब भी उनको जज किया जाता है लोग सबसे पहले लड़की में कमी निकालने लग जाते है।
बच्चा करना या ना करना किसी का व्यक्तिगत मुद्धा है। किसी को भी इस पर कपल पर ज़ोर नहीं डालना चाहिए या फिर उन्हें जज नहीं करना चाहिए।