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क्या शादी किसी के प्रेशर में आकर करनी चाहिए?
शादी लाइफ का एक इंपॉर्टेंट डिसीजन होता है। तो किसी से शादी करना आपकी खुद की चॉइस होनी चाहिए। अपने मां-बाप के प्रेशर में आकर शादी का डिसीजन लेना गलत है। हमारे देश में आज भी ऐसे कई लड़के और लड़कियां हैं जो सिर्फ़ इसलिए शादी के लिए हां कर देते हैं क्योंकि उनके माता-पिता उन पर दबाव डाल रहे हैं। क्या शादी सिर्फ़ एक काम भर है जिसे निपटाने की आपको इतनी जल्दी पड़ी है?
क्या शादी एक काम या ज़िम्मेदारी है?
हमारे देश में शादी एक इवेंट की तरह देखी जाती है जिसमें कम से कम 2500 से ज्यादा लोग हो, 4-5 डिफरेंट तरह के फंक्शंस हों जो कम से कम 3-4 दिनों तक चले, खाने के बहुत सारे काउंटर हो और पता नहीं क्या-क्या। इन सब अरेंजमेंट्स की सारी जिम्मेदारी लड़का लड़की के बजाय उनके माता-पिता पर होती है और शायद इसी कारण वे शादी को एक काम, एक जिम्मेदारी की तरह समझते हैं जिसे वे जल्द से जल्द पूरा कर देना चाहते हैं।
क्या शादी की वाकई में कोई सही उम्र है?
हमारे यहां तो एक ही रूल है कि जब तक माता-पिता को ऐसा लग रहा है कि वें सही सलामत हैं, उनके पास जॉब है, कमाई है, वे लोन ले सकते हैं या फिर सब कुछ अफोर्ड कर सकते हैं तब उनकी इच्छा है कि उनके बच्चों को वे सेटल कर दें। इसलिए वे अक्सर बच्चों को प्रेशराइज करते हैं जल्दी शादी करने के लिए।
शादी करने का सही वक्त क्या है?
हमें यह सिखाया जाता है कि हर चीज को करने का एक सही वक्त होता है। यही बात शादी करने और बच्चे करने पर भी लागू होती है। लेकिन क्या माँ-बाप ने कभी यह सोचा है कि अपनी इस रिस्पांसिबिलिटी या सो - कोल्ड मैरिज इवेंट को पूरा करने में वें कहीं अपने बच्चों को लाइफ लोंग कॉम्प्लिकेशंस तो नहीं दे रहे? हमें शादी तभी करनी चाहिए जब हम उसके लिए पूरी तरीके से तैयार हो ना कि माँ-बाप के प्रेशर में आकर।