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शादीशुदा खुशियाँ या सिंगल रहने की आज़ादी: दोनों में से क्या बेहतर?

आज के समय में युवाओं के पास ढेर सारे विकल्प हैं, ढेर सारे सपने हैं। वो यात्रा करना चाहते हैं, नया सीखना चाहते हैं, अपने करियर में ऊंचाइयाँ छूना चाहते हैं। ये सपने भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितनी शादी। तो क्यों न दोनों को साथ लेकर चलने की कोशिश की जाए?

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Vaishali Garg
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Marriage is great, But So Is Building A Fulfilling Life On Your Own Terms: क्या ज़िंदगी पूरी सिर्फ शादी के बाद ही मानी जाती है? क्या प्यार और खुशी सिर्फ एक साथी के साथ ही मिल सकती है? हम अक्सर सुनते आए हैं कि शादी हर किसी के जीवन का एक अहम पड़ाव है। ये बिल्कुल सच है, शादी एक खूबसूरत बंधन है जो प्यार, सम्मान और साथ लेकर आता है। लेकिन क्या यही जीवन का एकमात्र रास्ता है? क्या अपने सपनों को पूरा करने और खुश रहने के लिए शादी ज़रूरी है? मेरा मानना है कि शादी ज़रूर खुशहाल ज़िंदगी का एक रास्ता है, लेकिन ये अकेला रास्ता नहीं।

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आज के समय में युवाओं के पास ढेर सारे विकल्प हैं, ढेर सारे सपने हैं। वो यात्रा करना चाहते हैं, नया सीखना चाहते हैं, अपने करियर में ऊंचाइयाँ छूना चाहते हैं। ये सपने भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितनी शादी। तो क्यों न दोनों को साथ लेकर चलने की कोशिश की जाए? आइए देखें कि शादी और अपने दम पर खुशहाल ज़िंदगी बनाने में से कौन बेहतर है, या फिर दोनों को कैसे अपनाया जा सकता है।

शादी या सपने: ज़िंदगी का असली मंत्र कौन?

शादी का दायरा 

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शादी एक सामाजिक बंधन है जो सदियों से चला आ रहा है. इसमें दो लोग परस्पर जीवन भर साथ निभाने का वचन लेते हैं। शादी के कई फायदे हैं। शादी से प्यार, दुलार और अपनापन मिलता है। साथी सुख-दुख में हमेशा साथ रहता है। संतान पैदा करके परिवार आगे बढ़ाने का सिलसिला भी शादी से ही चलता है। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। शादी के भी कुछ नुक़सान हैं। शादी के बाद ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। आजादी थोड़ी कम हो जाती है। कभी-कभी रिश्तों में तनाव भी आ जाता है।

सपनों की उड़ान 

कुछ लोगों का मानना है कि शादी के बिना भी ज़िंदगी पूरी तरह से जानी जा सकती है। वो अपने दम पर खुश रह सकते हैं। आजकल महिलाएं भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। वो शादी किए बिना भी अपने करियर में सफल हो रही हैं, घूम रही हैं और ज़िंदगी को अपने तरीके से जी रही हैं। ऐसे लोगों के लिए ज़रूरी नहीं है कि वो शादी करके अपने सपनों का गला घोंट दें।

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दोनों रास्तों का संगम 

कई लोग ऐसे भी हैं जो शादीशुदा ज़िंदगी और अपने सपनों को साथ लेकर चलते हैं। शादीशुदा ज़िंदगी में साथी का साथ मिलता है। वहीं सपने पूरे करने से खुद की ख़ुशी मिलती है। अगर दोनों चीज़ों को संतुलित तरीके से अपनाया जाए तो ज़िंदगी और भी खूबसूरत बन सकती है।

शादी या अकेले रहना, ये एक व्यक्तिगत फैसला है। हर किसी की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। कुछ लोगों के लिए शादी ज़िंदगी का सुखद पहलू है तो कुछ लोग अकेले रहकर भी खुश रह सकते हैं।

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