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" नॉट ऑल मैन " : कब मैन ये बोलना बंद करेंगे?

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Swati Bundela
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ऐसे इश्यूज पर हमें आदमियों के साथ और सपोर्ट की आवश्यकता है नाकि किसी #नॉट ऑल मैन ट्रेंड की।


1) वीमेन मूवमेंट्स को इंपोर्टेंस दें

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जब भी कोई औरत अपने साथ हुई नाइंसाफी की बात करती है, तब आदमी पहले से ही इस बात को क्लियर कर देना चाहते हैं कि वे सैफ मैन है। हां, हम जानते हैं कि सभी मर्द रेपिस्ट या एब्यूजर्स नहीं होते हैं। परंतु किसी भी ऐसे इंपॉर्टेंट विषय से ध्यान हटाकर अपने आप को सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन बनाने की कोशिश ना करें। वीमेन इश्यूज और मूवमेंट्स बहुत ज़रूरी है, तो इसमें उनका साथ दें।
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2) आदमी वीमेन राइट्स की परवाह नहीं करते


जब #नॉट ऑल मैन जैसे ट्रेंड चलते हैं तो इससे औरतों को ऐसा लगता है कि मर्दों को वीमेन राइट्स की कोई परवाह नहीं है, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता की औरत के जीवन पर इसका क्या असर पड़ेगा। मर्द यह सोचते हैं कि उनका तो कुछ नहीं बिगड़ रहा है, उनका तो सब सही है।
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3) लड़की का एक्सपीरियंस ज्यादा मायने रखता है


जब भी कोई महिला हिम्मत करके पब्लिक में आकर अपनी आपबीती या अपने साथ हुई नाइंसाफी का जिक्र करती है, तब किसी भी मर्द द्वारा यह कहना कि, "सब मर्द एक जैसे नहीं होते" या "मैं उन मर्दों में से नहीं हूं"। यह दर्शाता है कि आप कितना गलत है। उसके साथ जो हुआ है वह एक्सपीरियंस आप के इस स्टेटमेंट से कई ज्यादा मायने रखता है।
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4) मर्द बदलना ही नहीं चाहते


#नॉट ऑल मैन बोलकर क्या प्रूफ करना चाहते हैं आप? क्या आप यह कहना चाहते हैं कि औरतों के साथ जो रोजमर्रा की जिंदगी में होता है उसमें हम कुछ नहीं कर सकते? अपने स्वभाव को देखो, जो निर्णय तुमने लिए हैं क्या वह सही है यह सोचो? सोचो कि क्या तुमने कभी जानबूझकर या अनजाने में भी किसी लड़की को अनकंफर्टेबल महसूस कराया है? यदि औरतों को इक्वल राइट्स दिलवाने हैं, तो हमें साथ मिलकर इस पैट्रियार्की को हराना होगा।
#फेमिनिज्म #नॉट ऑल मैन
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