/hindi/media/media_files/rYOJZrw584fNe2giYe3j.png)
(Image source: Hindustan Times)
One More Farmer Dead In Ongoing Farmers Protest: पूरे देश में मची हुरदंग, फार्मर प्रोटेस्ट को लेकर अब मानो बढ़ती ही जा रही है। दिन पर दिन लोगों पर होते अत्याचार और टॉर्चर की न्यूज़ आती ही जा रही है। हर दिन किसी ना किसी की जान जाने की खबर देश के लिए एक बहुत ही डिस्टर्बिंग माहौल बनाये जा रहा है। यह समझाना कि किसानों का हमारे देश में क्या एहमियत है, बेवकूफी हो होगी क्यूंकि पूरा देश जानता है कि हमारे इकॉनमी को सपोर्ट करने वाले सबसे मेहनती हाथ इन्हीं किसानों के होते हैं जिन्हे आज मोर्चे लगाने के लिए उठाने पड़ रहे हैं। देखने और समझने की बात है कि गरीबों और लाचार की गुहार को आज इतनी रिहाई भी नहीं मिल रही की उनके मांगों को लगातार अनसुना किया जा रहा है सरकार द्वारा।
एक और किसान की हुई मृत्यु, हक़ के लिए और कितनी हिंसा?
हाल ही में एक और किसान की मृत्यु, फार्मर्स प्रोटेस्ट के दौरान हो गयी। पूरा देश उसके लिए शोक में हैं। 22 साल का जवान बेटा, अपने पीछे एक मानसिक तौर से बीमार बाप और एजुकेशन लोन उठायी बहन को छोड़ गया। हालाकि सरकार ने मुआफ़ज़े के तौर पर उसके परिवार को 1 करोड़ और सरकारी नौकरी देने का वादा किया है, लेकिन परिवार के लोगों की ज़िंदगियों को पैसो से रिप्लेस करना कबसे इतना आसान हो गया?
निधन हुए किसानों के शरीर का ना तो पोस्टमार्टम हो रहा है ना ही उसे घर भेजा जा रहा है। किसी भी परिवार के लिए ये कितने दुःख की बात हो सकती है, यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। अब सवाल यह है कि अपने हक़ के लिए और कितने किसानो को अपनी ज़िन्दगी गवानी होगी? आखिर और कितनी जानों की आहुति पर सरकार की आँखें खुलेंगी गरीब और लाचार किसानों की मांग के लिए? आखिर कब तक अपने हक़ के लिए उन्हें हिंसा का पात्र बनते रहना होगा?
इन सवालों के जवाब हम और आप दे तो नहीं सकते लेकिन सरकार से ये गुज़ारिश ज़रूर कर सकते हैं कि देश के रीढ़ की हड्डियों को भी उतनी ही इज़्ज़त मिलनी चाहिए जितना किसी भी और अमीर बिज़नेस वालों को मिलता है, क्यूंकि देश और देश वासिओं को चलाने वाले किसान भी हैं।