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हमारे देश में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा बहुत ज्यादा है। यहां अगर हम रेप के मामलों की बात करें तो उसमें कोई भी गिरावट देखने को नहीं मिलती है। इससे भी दुखदाई है है कि हमारी सरकार के पास इस समस्या का कोई प्रबल समाधान ही नहीं है। लेकिन आपने अक्सर सुना होगा कि रेप के बाद जो मामले कोर्ट में जाते हैं उनमें अधिकतर समय जज साहब या खुद रेप पीडिता की फैमिली यह फैसला लेते हैं कि जिसने रेप किया है वह रेप पीडिता से शादी कर ले। यह तरीका क्यों रेप के लिए एक सोल्यूशन के तौर पर देखा जाता है? क्या सिर्फ शादी कर लेना रेप करने के अपराध को कम कर देता है या फिर शादी करना रेप करने का एक लाइसेंस होता है?
क्या शादी करना है रेप करने का लाइसेंस होता है?
रेप पीड़िता से ही दोषी की शादी करवा देना यही दर्शाता है कि हमारे समाज में शादी जैसे पवित्र बंधन को केवल रेप करने का या सेक्स करने का एक लाइसेंस समझा जाता है। हमारे देश में अभी तक भी मैरिटल रेप को लेकर कोई ठोस कानून नहीं बना है और ऐसे में यह सभी फैसले आना शादी की नींव को और भी खोखला करता है। अगर इस तरह के फैसले हमारी न्यायपालिका देती रही तो मैरिटल रेप तो कभी भी रेप की श्रेणी में नहीं आ पाएगा।
दूसरी बात यह है कि केवल शादी करवा देना रेप के अपराध को कम कैसे कर देता है? इससे तो समाज में पुरुषों के लिए यही संकेत जाता है कि आप किसी भी लड़की या महिला के साथ रेप कर सकते हैं लेकिन अगर आप बाद में उससे शादी करने को तैयार हो जाते हैं तो आपने कुछ गलत किया ही नहीं है बल्कि आपके द्वारा उससे शादी किया जाना समाज की नजरों में एक बेहतर विक्लप के रूप में देखा जाता है।
क्या रेप के बाद एक महिला की जिंदगी नहीं बचती है?
'अरे! इसका रेप हो गया है, अब इसका क्या होगा? 'अब कौन इससे शादी करेगा, बेचारी की जिंदगी बर्बाद हो गई।' ऐसी वाक्य रेप पीड़िता को अक्सर सुनने को मिलते हैं। क्योंकि हमारा समाज यह मानता है कि रेप के बाद तो एक महिला की जिंदगी कुछ बचती ही नहीं है। एक रेप पीड़िता के लिए दुख महसूस करने से अधिक समाज को उनकी शादी की चिंता होती है और यही कारण है कि हर कोई रेप पीड़िता को उसके दोषी से शादी करवाने का सुझाव देता है।
इसके दो प्रमुख कारण है- एक तो समाज महिलाओं को इंडिपेंडेंट नहीं देख सकता है, उनको वह महिला शादी के बंधन में बंधी हुई जरूर दिखनी चाहिए और दूसरा समाज का यह सोचना कि रेप पीड़िता से केवल उसका दोषी ही शादी कर सकता है यह सीधे-सीधे समाज द्वारा महिलाओं को केवल यौन तौर पर देखने का संकेत है क्योंकि रेप के बाद महिलाओं के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को छोड़कर समाज उनकी शादी पर ध्यान देता है। इस बदलाव को लाने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि महिलाओं को सिर्फ यौन रूप से ना देखा जाए और ना ही समझा जाए।