हमारी विविध सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के बावजूद, एक चीज दुनिया भर की महिलाओं को बांधती है, वह है हमारी सेक्स डिजायर को दबाना। महिलाओं को सेक्सुअलिटी पर रोक तो हमें स्कूल से ही सीखना शुरू कर दिया जाता है। जब सेक्स की बात आती है तो समाज में जो दोहरा मापदंड होता है, वह यह बताता है कि महिलाओं के लिए किसी भी तरह का सेक्सुअल डिजायर रखना या इसके बारे में सोचना तक पाप है।
Sex Stereotype For Women: महिलाओं के लिए सेक्स डिजायर रखना है पाप
हमारी पैट्रिआर्की महिलाओं की यौन इच्छाओं को नियंत्रित करना चाहती है, इसके कारणों में से एक यह है कि उन्हें अपने पुरुष साथी की अक्षमता को देखने से रोका जाए। एक ऐसे समाज में जो अभी भी अरेंज मैरिज की वकालत करता है, वह महिलाओं को यौन स्वतंत्रता देने से अब भी हिचकता है।
हमेशा ये देखा जाता है कि महिलाओं को ये हक़ नहीं होता कि वो अपने इच्छा के अनुसार अपने सेक्स डिजायर को अपने पार्टनर को बताएं। लेकिन पुरुषों में ऐसा नहीं होता। अगर वह अपनी पार्टनर से खुश न हो या सेक्सुअली सटिस्फाइड न हों तो उन्हें ये बात बोलने में हिचक जरा भी नहीं होती। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि महिलाओं के पास शरीर होता है, लेकिन पुरुष इसके मालिक होते हैं। महिलाओं की यौन इच्छा को अक्सर बहुत नेगेटिव रूप में देखा जाता है।
महिलाओं में यौन इच्छाएं स्वाभाविक रूप से आती हैं और इस प्रकार उनकी अभिव्यक्ति एक मूर्खता नहीं बल्कि एक आवश्यकता है।इसके अलावा, किसी की यौन इच्छा और कामुकता का मालिक होना सबसे सशक्त चीजों में से एक है क्योंकि यह न केवल अभिव्यक्ति की भावना पैदा करता है बल्कि आत्म-प्रेम को बढ़ावा देता है।
हमारे समाज में सामाजिक मानदंडों का संरक्षक पैट्रिआर्की है जो खुले तौर पर पुरुषों का पक्ष लेती है। इस प्रकार नैतिक आचार संहिता को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह तथाकथित कमजोर सेक्स के व्यवहार पर नियंत्रण रखते हुए सभी पहलुओं में अपने पसंदीदा लिंग को लाभ पहुंचाती है।
महिलाओं के लिए भी यह बहुत इम्पोर्टेन्ट है कि वे अपनी इच्छाओं और जरूरतों को समझे और उसे समाज में बेहिचक सामने रखने की हिम्मत रखें। महिलओं को सेक्स के प्रति जागरूक होने की जितनी जरुरत है उससे भी कही अधिक जरुरत है अपनी फीलिंग्स को खुलकर एक्सप्रेस करने की।