हमारे समाज में औरतें जो सेक्सुअली एक्टिव होती हैं, और जिन्हें सेक्स का आनंद लेने में शर्म नहीं आता, को कैरेक्टरलेस माना लिया जाता है। सोच ऐसी है की सेक्स केवल पुरुष के आनंद की चीज़ है, और महिलाओं को इसकी मांग नहीं करनी चाहिए या इसके बारे में बात भी नहीं करनी चाहिए। पर ऐसा क्यों? जानने के लिए इस ओपिनियन ब्लॉग को आगे पढ़ें।
सेक्स चाहने वाले लड़कियों को ख़राब क्यों माना जाता है?
इसके लिए कई सामाजिक कारण हो सकते हैं। सेक्स चाहने और सेक्सुअली एक्सपीरिएंस्ड लड़की से लोग शादी नहीं करना चाहते क्योंकि विर्जिनिटी का कांसेप्ट समाज में इतना ज़रूरी है।
वर्जिनिटी का कांसेप्ट
कहा जा सकता है कि शरीर के वश में चाहे औरत हो, मालिक मर्द ही होता है। इसका सीधा संबंध पैट्रिआर्की से है। पुरुष एक सेक्सुअल अनुभव के बिना लड़की को अपना पार्टनर या जीवन साथी बनाना चाहते हैं क्योंकि वे अपने मेल ईगो को बचाना चाहते हैं। कुछ पुरुष सोचते हैं की अगर वे एक ऐसी लड़की से शादी करेंगे जिसके पूर्व सेक्सुअल पार्टनर्स थे, उनका सेक्स लाइफ अच्छा नहीं होगा। उनके अनुसार ऐसी महिला उन्हें उनके कमियों के बारे में बताएगी।
ज़रूरी नहीं है की यह एक बुरी बात हो। एक सेक्सुअली एक्सपेरिएंस्ड महिला समझती है की उसे सेक्स में आनंद और ऑर्गेज्म के लिए क्या चाहिए। इससे दोनों पार्टनर की ऑर्गैस्मिक इक्वालिटी होगी। इस समय हेट्रोसेक्सुअल रिलेशनशिप्स में लगभग 40% महिलाएँ अपने पार्टनर के साथ सेक्स के समय ओर्गास्म नहीं कर पाते, पर मास्टरबेशन के समय कर सकते हैं। यह बताता है की सेक्स के समय महिला का अपने पसंद के बारे में बात करना कितना ज़रूरी है।
महिला को प्रॉपर्टी समझा जाता है
सब तो नहीं, पर आज भी बहुत लोग ऐसे है जो सोचते हैं की महिला को “यूज़” किया जा सकता हैं, इसलिए एक सेक्सुअली एक्टिव महिला कई पुरुषों द्वारा “यूज़” किया गया होगा। नॉन वर्जिन महिलाओं को कुछ लोग “डैमेज्ड गुड्स” या “यूज़्ड गुड्स”, यानि ख़राब और प्रयोग किया गया “सामान” कहते हैं। लोग महिला को, उसके शरीर को एक वस्तु के तरह समझते हैं जिसे प्रयोग किया जा सकता है।
सेक्स एडुकेशन की कमी
सेक्स एडुकेशन की कमी के कारण अधिकतर लोग हॉर्मोन्स, मेंस्ट्रुअल साइकिल, जैसी सेक्सुअल हेल्थ वाले टॉपिक्स नहीं समझते हैं। बहुत लोग हैं जो यह नहीं समझते की सेक्स ड्राइव या सेक्स करने की इच्छा कैसे कंट्रोल होती है। ऐसे भी लोग हैं जो फोरप्ले नहीं समझते। कई लोग सोचते हैं की महिलाओं के शरीर में ओर्गास्म की कोई सिस्टम ही नहीं है। कई ऐसे भी हैं जो सोचते हैं की केवल पुरुष मास्टरबेट करते हैं। वैसे ही, लोगों को क्लाइटोरिस नाम के ऑर्गन के बारे में कुछ पता नहीं होता। यह पूरी तरह सेक्स एडुकेशन की कमी और सेक्स के टॉपिक पर बात करने को टैबू समझने से आती हैं।
महिलाओं को पुरुषों के वासनाओं का सेवक मानना
दुर्भाग्यवश ऐसे कई लोग हैं जो सोचते हैं की महिला का काम केवल पुरुष के सेक्सुअल अरमानों को पूरा करना है। इसका दोष किसका है यह बताना मुश्किल है। इसे पैट्रिआर्की से जोड़ा जा सकता है। इसे पोर्न के कुछ टाइप्स से भी जोड़ा जा सकता है। BDSM पोर्न और इस प्रकार के वायलेंट पोर्न इस सोच के पीछे की वजह हो सकती है। पोर्न तो बहुत ही नई चीज़ है, यह सोच सदियों से चली आ रही है।
मैं यह कहकर ख़तम करना चाहूंगी की सेक्स बहुत ही नार्मल बॉडी फंक्शन है और अगर एक महिला या पुरुष को सेक्स की इच्छा हो, इस बात से यह पता चलता है की उसके हॉर्मोन्स बैलेंस्ड है और उसका शरीर हर रूप से स्वस्थ है।