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Working Woman or Homemaker? क्या हर औरत को करियर चुनना चाहिए?

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Monika Pundir
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जो महिलाएं गृहिणी बनना पसंद करती हैं, उन्हें समाज के पैट्रिअरकल नियमों के सामने झुकने के लिए जज किया जाता है। करियर बनाना ज़रूरी है पर गृहिणी बनने का निर्णय लेना एक विकल्प है।

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आज से कुछ दशक पहले तक औरतों को ज़बरदस्ती घर पे रखा जाता था। बेटियों को ज़्यादा पढ़ाया नहीं जाता था क्योंकि मान ही लिया जाता था की वह गृहणी होगी। कमाने का सारा भार लड़कों या पति पर होता था। यह 100% गलत था।

पत्नी के काम न करने के बुरे परिणाम:

  1. क्योंकि कमाने वालों की संख्या खाने वालों से कम होती है, बचत का ज़्यादा स्कोप नहीं होता। रिटायरमेंट प्लानिंग भी मुश्किल होता है।
  2. औरत को हर छोटी चीज़ के लिए अपने पति से पैसे मांगने पड़ते हैं। वह चाहे तो अपने पैसों से किसी को तोहफा भी नहीं दे सकती है। यह उसके आत्म सम्मान को ठेस पहुँचा सकती है।
  3. आज भी लाखों औरतें लवलेस या अब्यूसिव शादियों में केवल इसलिए रहती हैं क्योंकि वे पूरी तरह अपने पति पर निर्भर हैं। रिश्ता टूटने से उनके पास जाने को कोई जगह नहीं होगी। क़ानूनी तौर पर वे मेंटेनन्स की हक़दार होती हैं, पर अक्सर यह काफी नहीं होता।
  4. किसी कारण अगर खर्चा बढ़ जाए, जैसे बीमारी, नया बच्चा, आदि, आदमी के लिए बहुत स्ट्रेस भरा स्थिति हो जायेगा। घर में अशांति बढ़ने की भी संभावना होती है।
  5. अगर किसी कारण से पति की नौकरी चले जाए, परिवार का इनकम बिलकुल ही शून्य हो जाएगा।
  6. जैसा की हमने कोरोना महामारी के समय देखा, लाखों गृहणियाँ विधवा हो गई है। ऐसी स्थिति में उनके पास कमाने का कोई साधन नहीं है। मेरी माँ की मित्र, के पति कैंसर के कारण स्वर्गवास को प्राप्त हुए। आंटी ने खुद अपने मुँह से कहा की उनके बच्चों की पढ़ाई अपूर्ण होने के कारण, उनके परिवार पर आर्थिक तंगी हो गयी है। आंटी ने शादी के बाद नौकरी छोड़ दी थी। पढ़ी लिखी होने बावजूद, उन्हें नौकरी ढूढ़ने में कठिनाई हो रही है क्योंकि उनका करिअर ब्रेक बहुत लम्बा हो गया है।
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यहाँ हमने देखा की औरतों को कमाने की, करियर बनाने की अनुमति न देने की कितने बुरे परिणाम हो सकते हैं। पर क्या इसका मतलब है की हर एक औरत को काम करना चाहिए? 

क्या हर औरत को करियर माइंडेड होना चाहिए?

लोग सोचते हैं कि यदि आप नारीवादी हैं, खुद को फेमिनिस्ट कहते हैं, तो आपका जवाब हाँ होना चाहिए, पर यह सही नहीं है। काम करना या न करना, कैसा काम करना, यह चॉइस की बात है। यह चॉइस सिर्फ औरतों को नहीं आदमियों को भी होती है, और होनी चाहिए। स्थिति के अनुसार परिवार को मिलकर फैसला लेना चाहिए की क्या पति-पत्नी, दोनों काम करेंगे या सिर्फ एक। दोनों में से कौन काम करेगा, यह भी चॉइस होनी चाहिए न की समाज द्वारा निश्चित। ऐसा भी ज़रूरी नहीं की कोई सारी ज़िन्दगी के लिए अपना करियर छोड़ दे। व्यक्ति करियर ब्रेक भी ले सकता है। हर इंसान के पास फाइनेंशियल स्वतंत्रता होनी चाहिए, चाहे वह विरासत से मिली हो, सेविंग्स से, हर रोज़ मेहनत से कमा के।

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आप काम करते हैं या नहीं, कंपनी का काम करते हैं या घर का, यह आपकी चॉइस होनी चाहिए समाज की नहीं। 

फेमिनिस्ट
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