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आँसू कोई कमज़ोरी नहीं, बस एक इमोशन है: रोना बिल्कुल ठीक है

ज़िंदगी रंगों का खूबसूरत गुलदस्ता है, जहाँ हँसी-खुशी के हल्के रंगों के साथ ही ग़म और दुख के गहरे रंग भी शामिल हैं। ऐसे में कई बार आँसू हमारे जज़्बातों को बयां कर देते हैं, फिर चाहे वो खुशी के हों या ग़म के।

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Vaishali Garg
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महिलाओं के आंसू

It's Okay to Cry, Tears Don't Define Weakness : ज़िंदगी रंगों का खूबसूरत गुलदस्ता है, जहाँ हँसी-खुशी के हल्के रंगों के साथ ही ग़म और दुख के गहरे रंग भी शामिल हैं। ऐसे में कई बार आँसू हमारे जज़्बातों को बयां कर देते हैं, फिर चाहे वो खुशी के हों या ग़म के। लेकिन अक्सर समाज में आँसुओं को कमज़ोरी से जोड़ दिया जाता है, खासकर पुरुषों के लिए। तो आज हम बात करते हैं इस मिथक को तोड़ने की, ये समझने की कि आँसू सिर्फ कमज़ोरी नहीं बल्कि एक स्वाभाविक इमोशन हैं और रोना बिल्कुल ठीक है।

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आँसू: इमोशन्स का स्वाभाविक ज़रिया (Tears: A Natural Outlet for Emotions)

अमेरिकन साइकोलॉजिकल असोसिएशन के मुताबिक, रोना एक सामान्य और हेल्दी रिस्पॉन्स है जो हमारे इमोशन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। दुख, गुस्सा, हताशा, डर जैसे कई नेगेटिव इमोशन्स को दबाकर रखने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। आँसू इन इमोशन्स को बाहर निकालने का एक सुरक्षित रास्ता देते हैं, जिससे तनाव कम होता है और मन हल्का महसूस होता है।

रोने के फ़ायदे (Benefits of Crying)

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सिर्फ इमोशन्स को बाहर निकालने ही नहीं, रोने के कई शारीरिक और मानसिक फ़ायदे भी हैं। कुछ शोध बताते हैं कि आँसू में स्ट्रेस हॉर्मोन को कम करने वाले तत्व मौजूद होते हैं, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। साथ ही, रोने से शरीर में प्राकृतिक दर्दनिवारक रसायन भी रिलीज़ होते हैं, जो शारीरिक दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।

पुरुष भी रो सकते हैं, ये कोई कमज़ोरी नहीं (It's Okay for Men to Cry Too)

समाज में अक्सर ये धारणा होती है कि पुरुषों को रोना नहीं चाहिए। लेकिन ये सोच पूरी तरह से ग़लत है। इमोशन्स किसी लिंग से बंधे नहीं होते और हर किसी को अपने जज़्बातों को ज़ाहिर करने का हक है। पुरुषों को भी दुख, गुस्सा या हताशा महसूस हो सकती है और उन्हें भी रोने में कोई बुराई नहीं है। बल्कि, अपनी भावनाओं को दबाकर रखने से उनकी मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।

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कैसे करें स्वस्थ तरीके से रोना (How to Cry in a Healthy Way)

कुछ लोगों को रोना मुश्किल लगता है, तो कुछ ज़्यादा रोने लगते हैं। अगर आप रोना चाहते हैं लेकिन रोक लेते हैं, तो किसी शांत जगह पर जाकर अकेले में रोना अच्छा विकल्प हो सकता है। आप कोई भावुक फ़िल्म देख सकते हैं या कोई ऐसा गाना सुन सकते हैं जो आपको छू ले। अगर आप बहुत ज़्यादा रो रहे हैं और इससे आपका रूटीन प्रभावित हो रहा है, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करना ज़रूरी है।

आँसू कमज़ोरी नहीं, बल्कि हमारे इमोशन्स को ज़ाहिर करने का एक स्वाभाविक तरीका है। रोने में कोई शर्म नहीं है, बल्कि ये मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फ़ायदेमंद हो सकता है। तो अगली बार जब आपको रोना आए, तो अपने आप को रोकें नहीं। बेझिझक रोएँ और अपने इमोशन्स को बाहर निकालें। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं और रोना बिल्कुल ठीक है।

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