हमारे समाज में एक लड़की या औरत को करेक्टरलेस का सर्टिफिकेट हासिल करना, अपना नाम लिखने से भी आसान है। लड़की कुछ भी करे उसे भरपूर जज किया जाता है। वह क्या पहनती है, कैसे बैठती है, क्या खेलती है, कैसे हस्ती है, कैसा डांस करती है, सब जज किया जाता है। स्कूल के बच्चियों को भी जज किया जाता है। चाहे समाज को जज करने में जितना भी आनंद आता हो, ऐसी कुछ चीज़ें हैं जो किसी को करेक्टरलेस नहीं बनती हैं।
यह चीज़े लड़की के कैरेक्टर नहीं बताती:
1. कपडे
कपड़ों से करैक्टर का पता नहीं चलता है। चाहे लड़की सारी या सलवार पहने या जीन्स, स्कर्ट, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर फर्क पड़ता तो सूर्पनखा जीन्स या स्कर्ट पहन रही होती।
कपड़ों का काम है आपको कम्फर्ट देना, पर इस युग में फैशन और कपड़े, पेंटिंग के तरह, खुद को एक्सप्रेस करने के साधन भी हैं। ज़रूरी केवल यह है की आप चाहे पारम्परिक कपड़े पहने या मॉडर्न, आपकी मर्ज़ी और कम्फर्ट होनी चाहिए।
2. सेक्सुअल अब्यूस
जब किसी लड़की का रेप या असाल्ट होता है, उसे करेक्टरलेस मान लिया जाता हैं। कहा जाता है की उसी ने रेप इनवाइट किया होगा, उसने छोटे कपडे पहने होंगे, देर रात बाहर होगी, आदि। अगर लड़की करवाही करती है, तो इससे केवल यह पता चलता है की महिला शक्तिशाली है। वह बहादुर है, और न्यायप्रिय है।
सेक्सुअल अब्यूज, विक्टिम का नहीं बल्कि अब्यूसर के बुरे चरित्र का प्रूफ है।
3. रिलेशनशिप
एक लड़की का शादी से पहले रोमांटिक रिलेशनशिप उसे ‘करेक्टरलेस’ का सर्टिफिकेट दिलाता है। रिलेशनशिप में होने को ‘चक्कर’ कहा जाता है। लड़कियों से उम्मीद की जाती है की वह सारी ज़िंदगी किसी पुरुष से बात न करे, और अचानक शादी के बाद एक अजनबी के साथ बिस्तर शेयर करे।
4. पेशा
फेमिनाइन पेशे में टीचर, नर्स और दर्ज़ी का काम आता है। अगर औरत को काम चुनना है, तो उसे इन फेमिनाइन काम में से चुनना होगा। वह डांसर या एक्टर हो, तो उसका चरित्र ढीला होगा। महिला एक्टर का चरित्र ख़राब, और पुरुष एक्टर भगवान? इसमें लॉजिक कहाँ है?
5. कमाई
जब औरतें ज़्यादा कमेटी हैं या उन्हें प्रमोशन मिलता है, कम से कम एक व्यक्ति कहता है की उसका उसके बॉस के साथ अवैध रिश्ते हैं। इसका क्या लॉजिक है? क्या लड़की अपने मेहनत से नहीं कमा सकती? क्या वह अपनी मेहनत से प्रमोशन नहीं पा सकती?
एक और जजमेंट का फैक्टर है अगर वह अपने पति से ज़्यादा कमेटी है तो वह डोमिनेटिंग होगी, ख़राब पत्नी होगी, किसी का बात नहीं सुनती हैं। हाँ, जो औरत कमेटी है, वह आत्म निर्भर होती है, इसलिए अपने रे पेश करने से डर्टी नहीं है, पर इसमें गलत क्या है?
अगर आपको किसी को जज करना ही है, तो देखें कि वे लोगों से सम्मान से बात करते हैं या नहीं, दूसरों की मदद करते हैं या नहीं, झूठ बोलते हैं या सच, मेहनती हैं या आलसी, डिसिप्लिंड है या नहीं, और ऐसी चीज़ें।