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किन चुनौतियों से भरा हुआ रहता है Single Women का जीवन?

ओपिनियन: पितृसत्ता मानसिकता को दरकिनार कर अब बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी आजादी के लिए अकेले चलने का रास्ता अपनाकर सिंगल रहने का विकल्प चुन रही हैं। लेकिन महिलाएं द्वारा उठाए गए इस कदम का इस पितृसत्तात्मक समाज में कई चुनौतियां हैं।

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Ruma Singh
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single women life

(Credit Image- Naree)

What Challenges Are Faced By The Lives Of Single Women? भारत में सिंगल महिलाओं का जीवन काफी चुनौतियों से भरा हुआ हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में सिंगल महिलाओं को अक्सर अधूरी और असामान्य समझा जाता है और उन्हें फेमिनिस्ट होने का तंज कसा जाता है। शुरू से ही भारत में पारंपरिक रूप से लड़कियों की परवरिश कुछ इस तरह से की जाती है कि वह एक अच्छी मां और पत्नी बन सकें। उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य शादी रहता है। यहां महिलाओं के अस्तित्व की पहचान अक्सर उनके पिता या पति से की जाती हैं। उन्हें शुरू से ही महसूस कराया जाता है कि तुम एक पुरुष के बिना अधूरी हो। क्या एक स्त्री को अपनी पहचान बनाए रखने के लिए पुरुष की आवश्यकता जरूरी है? क्या उनका खुद का विचार, जीवन और निर्णय नहीं हो सकता? क्या एक स्त्री की जीवन सिर्फ और सिर्फ शादी और पुरुष के इर्द-गिर्द ही घूमती है? इन सारे बेबुनियादी पितृसत्ता मानसिकता को दरकिनार कर अब बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी आजादी के लिए अकेले चलने का रास्ता अपनाकर सिंगल रहने का विकल्प चुन रही हैं।

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किन चुनौतियों से गुजरना होता है सिंगल महिलाओं को?

औरत की संपूर्णता को शादी और बच्चे से जोड़ने वाला दृष्टिकोण वक़्त के साथ बदला है। अब महिलाओं की प्राथमिकता शादी और बच्चे पैदा करना ही नहीं रह गई हैं। अब वह करियर, मन मुताबिक जिंदगी और सामाजिक रुतबा को तवज्जो देने लगी हैं। यही कारण है कि अब महिलाएं एकल महिला की जिंदगी पर फोकस करती हैं लेकिन महिलाएं द्वारा उठाए गए इस कदम का इस पितृसत्तात्मक समाज में कई चुनौतियां हैं।

एकल महिलाओं के लिए इस पितृसत्तात्मक समाज में किराए पर घर लेना या अपने खुद की कोई संपत्ति खरीदना एक बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि समाज में इन्हें अविश्वसनीय समझा जाता है। लोग उन्हें किराए पर घर देने से संकोच करते हैं। उन्हें आत्मनिर्भर के तौर पर देखने के बजाय संदिग्ध नजरों से देखा जाता हैं।

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भारतीय समाज में आज भी लैंगिक असमानता देखी जाती है। जिस कारण एक महिला काबिल होने के बावजूद भी अपने जीवन में, करियर में पुरुषों की तुलना में असमान वेतन और लैंगिक भेदभाव का सामना कर रही है। खासतौर पर इन सब की वजह से सिंगल वूमेन के लिए काफी कठिनाइयां आती हैं, क्योंकि शादी न करने के कारण उन्हें पारिवारिक संपत्ति से भी बेदखल कर दिया जाता है या बराबरी का हक नहीं दिया जाता है।

सिंगल महिलाओं को देखने का नजरिया इस पितृसत्ता समाज में काफी अलग रहता है। उनके सामने स्वतंत्रता से संबंधी परेशानियां आती हैं। कभी भी उनके स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं किया जाता है। उन्हें हर स्तर पर सामाजिक सुरक्षा की कमी महसूस होती है।

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