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Why Wearing Less Cloths Is Bad? इसमें गलत क्या है आखिर?

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भारतीय संस्कृति की महिलाएं शुरू से ही अपने पसंद और कंफर्ट के अनुसार कपड़े पहना करती थी। कहते हैं वक्त के साथ चीजें सुधर कर अच्छी हो जाती हैं। तो फ़िर हम वहां से यहां कैसे आ पहुंचे? सोशल मीडिया पर ट्रॉल्स में लोग कहते हैं कि जो लड़कियां छोटे कपड़े पहन कर अपना जिस्म दिखाती है उनके साथ निर्भया जैसे रेप होने चाहिए। यह एक फीमेल अध्यापक के द्वारा कहा गया।

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी इसी तरह की शर्मसार कर देने वाली टिप्पणी की। उन्होंने कहा था कि जो महिलाएं छोटे कपड़े पहनती हैं वह भला अपने बच्चों को क्या संस्कार देंगी। 

घूंघट का क्या है राज़?

शरीर को ढकने का यह रिवाज शुरू से कभी नहीं था। बहुत सारे पुराने लेखों में घूंघट या पर्दे का ज़िक्र मिला है। लेकिन उस घूंघट का मतलब वह नहीं है जो आज समझाया जाता है। 5 वीं सदी में महिलाएं घुंघट को एक साज श्रृंगार की तरह लिया करती थी। या फिर वे किसी खास अवसर पर खुद को अलग दिखाने के लिए पर्दा करती थी।

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कुछ का तो यह भी कहना है कि वे धूप से बचने के लिए भी घूंघट किया करती थी। लेकिन घूंघट कभी भी उनके शरीर को ढकने का माध्यम नहीं था। मुगलों के समय में हमारे पहनावे में बहुत बदलाव आए। 

आज हमारे देश की महिलाओं को अपने लिए कपड़े चुनने का पूरा अधिकार है। लेकिन फिर भी समाज के द्वारा उनकी आलोचना की जाती है।

1. कपड़ों का मकसद 

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कपड़ों का इस्तेमाल आखिर क्यों किया जाता है? कपड़े पहनने का मकसद अपने शरीर को छुपाना नहीं होता है। हम कपड़े इसलिए पहनते हैं ताकि हम अच्छे दिख सके और खुद को बदलती जलवायु और मौसम से सुरक्षित रख सकें। हमारे इतिहास में महिलाएं अपनी मर्जी से कपड़े पहना करती थी। 

महिलाओं के लिए ब्लाउज पहना कभी भी अनिवार्य नहीं था। यह ब्रिटिश राज के अंदर एक सामाजिक अनिवार्यता बन गई।

2. अपनी बॉडी की मालिक बनो

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हमारे शरीर पर ना ही किसी आदमी का और ना ही किसी समाज का हक है। हमारे शरीर पर केवल हमारा खुद का हक होता है। इसलिए हमें कुछ भी पहनने से पहले यह नहीं सोचना चाहिए कि समाज हमारे बारे में क्या सोचेगा। यह हमारा शरीर है हम उसके साथ जो चाहे वह कर सकते हैं।

3. दूसरों की प्रतिक्रिया के लिए आप ज़िम्मेदार नहीं हैं

भारतीय समाज में जब लड़कियां छोटे कपड़े पहनती हैं तो दूसरे लोग उन पर गलत गलत टिप्पणियां करते हैं। अगर किसी लड़की के साथ कोई रेप कर देता है या उसके साथ कोई गंदी हरकत करता है तो लड़की को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। वो कहते हैं कि लडकी को ऐसे कपड़े नहीं पहने चाहिए थे।

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हम किसी और की प्रतिक्रिया के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं। यह उनकी गंदी मानसिकता है हमारी नहीं। किस तरह के कपड़े पहनने हैं ये महिलाओं की पर्सनल चॉइस है। इसमें कोई दखल नहीं दे सकता।

4. यह सिर्फ स्किन है

छोटे कपड़े पहनने पर स्किन दिखना कोई बड़ी बात नहीं है। इसलिए लोगों को इस बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए। अपनी स्किन दिखाने से कोई लड़की अच्छी या बुरी नहीं हो जाती है।

छोटे कपड़े
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