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भारतीय समाज में गोरेपन का जुनून, एक दाग जिसे मिटाना जरूरी है

ओपिनियन: भारतीय समाज में गोरेपन का जुनून एक जटिल और जड़ जमाए हुए मुद्दा है। सदियों से चली आ रही यह धारणा कि गोरापन सुंदरता और उच्च सामाजिक स्थिति का प्रतीक है, हमारे समाज में असमानता और भेदभाव के गहरे घावों को पैदा करती है।

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Vaishali Garg
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भारतीय समाज में गोरेपन का जुनून एक जटिल और जड़ जमाए हुए मुद्दा है। सदियों से चली आ रही यह धारणा कि गोरापन सुंदरता और उच्च सामाजिक स्थिति का प्रतीक है, हमारे समाज में असमानता और भेदभाव के गहरे घावों को पैदा करती है। यह लेख गोरेपन के जुनून के विभिन्न पहलुओं, इसके नकारात्मक प्रभावों और इससे लड़ने के संभावित तरीकों पर गहन विचार करेगा।

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हम इस बात की पड़ताल करेंगे कि कैसे मीडिया, विज्ञापन और ऐतिहासिक कारक गोरेपन को सुंदरता के एकमात्र मानक के रूप में प्रचारित करते हैं। यह अन्वेषण करेगा कि कैसे गोरेपन का जुनून लोगों के आत्मविश्वास को कम करता है, सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देता है और हानिकारक त्वचा को गोरा करने वाले उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देता है।

भारतीय समाज में गोरेपन का जुनून, एक दाग जिसे मिटाना जरूरी है

इस जुनून के पीछे कई कारण हैं। एक ओर, गोरापन को अक्सर सुंदरता, सफलता और उच्च सामाजिक स्थिति का प्रतीक माना जाता है। इस धारणा को मीडिया और विज्ञापन-जगत द्वारा लगातार प्रचारित किया जाता है, जो गोरे रंग के लोगों को अधिक आकर्षक और योग्य के रूप में चित्रित करते हैं।

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दूसरी ओर, गोरेपन को शुद्धता और उच्च जाति का प्रतीक भी माना जाता है। यह धारणा भारत के औपनिवेशिक अतीत से जुड़ी हुई है, जहां अंग्रेज शासकों को गोरे रंग के कारण श्रेष्ठ माना जाता था। इस तरह की मान्यताओं ने भारतीय समाज में रंग के आधार पर भेदभाव को गहरा किया है।

गोरेपन का जुनून कई तरह से हानिकारक है। सबसे पहले, यह लोगों को उनके प्राकृतिक रंग के लिए असुरक्षित और कम आत्मविश्वास महसूस कराता है। दूसरे, यह त्वचा को गोरा करने वाले उत्पादों के अत्यधिक उपयोग को बढ़ावा देता है, जो अक्सर हानिकारक रसायनों से भरे होते हैं और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। तीसरे, यह सामाजिक असमानता और भेदभाव को बढ़ावा देता है, जिससे गहरे रंग के लोगों को अवसरों से वंचित किया जाता है।

इस जुनून को खत्म करने के लिए, हमें अपने समाज में रंग-भेद को दूर करने की आवश्यकता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि सुंदरता विभिन्न प्रकार की होती है और किसी एक रंग को श्रेष्ठ नहीं माना जा सकता। साथ ही, हमें मीडिया और विज्ञापन-जगत को विविधता को बढ़ावा देने और सभी रंगों के लोगों को समान रूप से चित्रित करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

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गोरेपन का जुनून एक गंभीर समस्या है जिसे हमें गंभीरता से लेने की जरूरत है। हमें इस जुनून को खत्म करने और एक ऐसा समाज बनाने के लिए काम करना चाहिए, जहां हर व्यक्ति को अपने प्राकृतिक रंग के लिए स्वीकार किया जाए और सम्मान दिया जाए। गोरेपन के जुनून को समाप्त करने के लिए एक लंबे और कठिन संघर्ष की आवश्यकता है। लेकिन अगर हम इस मुद्दे को सक्रिय रूप से हल करने का प्रयास करते हैं, तो हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहां हर व्यक्ति को अपने प्राकृतिक रंग के लिए स्वीकार किया जाता है और सम्मान दिया जाता है। यह एक ऐसा समाज है जिसके लिए हमें सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

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