Why Do We View the Mother-in-Law and Daughter-in-Law Relationship Negatively? सास और बहू के रिश्ते को अक्सर भारतीय समाज में एक तनावपूर्ण और संघर्षपूर्ण रिश्ते के रूप में देखा जाता है। इस रिश्ते को लेकर कई तरह की नकारात्मक धारणाएं हैं, जैसे कि सास हमेशा बहू पर चिल्लाती रहती है, बहू सास की बात नहीं मानती है, और दोनों के बीच हमेशा झगड़े होते रहते हैं।
हम सास बहू के रिश्ते को negatively क्यों देखते हैं?
ऐसी नकारात्मक धारणाओं के कई कारण हैं। एक कारण यह है कि भारतीय समाज में लैंगिक भूमिकाएं बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं। पुरुषों को परिवार का मुखिया माना जाता है और महिलाओं को घर की देखभाल करने वाली। इस धारणा के कारण, सास को अक्सर बहू पर अधिकार जमाने वाली और उसे नियंत्रित करने वाली के रूप में देखा जाता है। दूसरी ओर, बहू को अक्सर सास की बात नहीं मानने वाली और उसे चुनौती देने वाली के रूप में देखा जाता है।
दूसरा कारण यह है कि भारतीय समाज में सास बहू के रिश्ते को अक्सर प्रतिस्पर्धा के रूप में देखा जाता है। सास को अक्सर यह लगता है कि बहू उसकी जगह लेना चाहती है, जबकि बहू को अक्सर यह लगता है कि सास उसे अपना प्रतिद्वंद्वी मानती है। इस प्रतिस्पर्धा के कारण, दोनों के बीच अक्सर तनाव और झगड़े होते हैं।
तीसरा कारण यह है कि भारतीय समाज में सास बहू के रिश्ते को अक्सर एक संघर्ष के रूप में देखा जाता है। सास को अक्सर यह लगता है कि बहू घर के कामों में उसकी मदद नहीं करती है, जबकि बहू को अक्सर यह लगता है कि सास उसे घर के कामों में ज्यादा काम देती है। इस संघर्ष के कारण, दोनों के बीच अक्सर मनमुटाव होता है।
हालांकि, सास बहू के रिश्ते को हमेशा नकारात्मक रूप से नहीं देखा जाता है। कई परिवारों में, सास और बहू के बीच बहुत अच्छा रिश्ता होता है। वे एक-दूसरे के दोस्त और सलाहकार होती हैं। वे एक-दूसरे की मदद करती हैं और एक-दूसरे का समर्थन करती हैं।
सास बहू के रिश्ते को नकारात्मक रूप से देखने के बजाय, हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि यह एक जटिल रिश्ता है। इस रिश्ते को सफल बनाने के लिए दोनों पक्षों को कुछ चीजों पर ध्यान देना चाहिए।
सास को चाहिए कि वह बहू को अपना सम्मान दे। उसे बहू की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए और उसे अपने परिवार का हिस्सा महसूस कराना चाहिए। बहू को चाहिए कि वह सास का आदर करे। उसे सास की सलाह सुननी चाहिए और उसकी मदद करनी चाहिए। दोनों को चाहिए कि वे एक-दूसरे की बातें सुनें और समझने की कोशिश करें। उन्हें एक-दूसरे के नजरिए से चीजों को देखने की कोशिश करनी चाहिए।