भारतीय समाज में पुरानी रूढ़ियों का प्रचलन आज भी देखने को मिलता है। इन रूढ़ियों के कारण महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन रूढ़ियों के कारण महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
पुरानी रूढ़ियाँ: महिलाओं के अधिकारों के लिए एक बड़ी बाधा
भारतीय समाज में महिलाओं को सदियों से पुरुषों के अधीनस्थ माना गया है। यह मान्यता पुरानी, जड़ जमा चुकी रूढ़ियों का परिणाम है, जो महिलाओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित करती हैं। शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा - हर क्षेत्र में ये रूढ़ियाँ महिलाओं के विकास में बाधा बनती हैं।
आज के समय में भी, जब महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है, तब भी पुरानी रूढ़ियाँ समाज में गहरी जड़ें जमाए हुए हैं। इन रूढ़ियों को समझने के लिए हमें उन कारणों को भी समझना होगा जो उन्हें जीवित रखे हुए हैं:
1. अशिक्षा: शिक्षा की कमी के कारण लोग रूढ़ियों को सत्य मान लेते हैं। उन्हें इनके नकारात्मक प्रभाव का अंदाजा नहीं होता। शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जो लोगों को इन रूढ़ियों से मुक्ति दिला सकता है।
2. पारंपरिक सोच: कई लोगों में पुरानी सोच इतनी गहरी बैठी हुई है कि वे बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। उन्हें लगता है कि पुरुषों का ऊंचा स्थान और महिलाओं का अधीनस्थ स्थान सदियों से चला आ रहा है और यह यथावत रहना चाहिए।
3. धर्म और संस्कृति: धर्म और संस्कृति के नाम पर भी कई बार महिलाओं पर रूढ़ियाँ थोपी जाती हैं। यह धारणा बनाई जाती है कि पुरानी रूढ़ियों को मानना ही धर्म और संस्कृति का पालन करना है। यह एक गलत धारणा है। धर्म और संस्कृति का सार सबको समान अधिकार और सम्मान देने में है।
4. सामाजिक दबाव: कई बार लोग सामाजिक दबाव के कारण भी पुरानी रूढ़ियों को मानते हैं। उन्हें डर होता है कि अगर वे इन रूढ़ियों का विरोध करेंगे तो समाज उन्हें बहिष्कृत कर देगा। इसी डर के कारण रूढ़ियों के खिलाफ आवाज उठाने में लोग हिचकिचाते हैं।
इन पुरानी रूढ़ियों को मिटाने के लिए क्या करें?
जागरूकता अभियान: शिक्षा के माध्यम से लोगों को पुरानी रूढ़ियों के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। उन्हें यह समझाना जरूरी है कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त हैं।
कानून का सख्ती से पालन: महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना चाहिए। इससे महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी और उनका शोषण कम होगा।
मीडिया की भूमिका: मीडिया को भी महिलाओं को सशक्त बनाने और पुरानी रूढ़ियों को तोड़ने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। मीडिया को महिलाओं की सफलताओं को उजागर करना चाहिए और पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता पर जोर देना चाहिए।
पुरानी रूढ़ियाँ महिलाओं के विकास में एक बड़ी बाधा हैं। हमें इन रूढ़ियों को तोड़ने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा के क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए हर संभव मदद करनी चाहिए। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना ही एक विकसित और सुसंस्कृत समाज की पहचान है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम पुरानी रूढ़ियों को तोड़कर महिलाओं को एक सुरक्षित और समानतापूर्ण समाज प्रदान करें।