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Image: (Freepik)
Why Getting Married Could Be The Only Goal Of Indian Woman According To Society: लड़कियों को बचपन से ही कई तरह की चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। कभी वो क्यों इस दुनिया में आईं, कभी उन्हें पढ़ने की या घर से बाहर निकलने की आजादी किसने दी तो कभी जितनी जल्दी हो सके इसकी शादी करा दो! और यह हर ताने में सबसे अव्वल का ताना है। शादी! जो समाज के अनुसार एक ऐसा सबसे जरूरी काम है जिसे कराने के लिए शायद यहां रहने का हर शख़्स एक लड़की के जन्म लेने से ही खुद को तैयार कर लेता है कि उसे एक दिन लड़की की शादी कराकर समाज सेवा करनी है। लेकिन शादी कब करोगी! इतना समय क्यों लगा रही हो! लड़की बड़ी हो गई है लड़का ढूंढकर ब्याह दो! ऐसे ताने या बातें हैं जो समाज के लिए भले ही मनोरंजन का कारण बन जाएं लेकिन एक लड़की को कई तरह की मानसिक चुनौतियों से घेर सकता है। जानिए ऐसी ही बातें जो हर वो लड़की शायद महसूस करे जिसने अपनी जिंदगी में यह सुना ही कि, "लड़की बड़ी हो गई है, कब ब्याह रहे हो?" ऐसी बातें समाज के लिए भले ही आम हों लेकिन यह किसी लड़की के मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। यह ताने सिर्फ बाहरी दबाव नहीं बनाते, बल्कि लड़की को कई मानसिक और भावनात्मक संघर्षों में डाल सकते हैं।
शादी का दवाब बनाने के महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव
असहजता और आत्म-संदेह
मैं 13 या 14 साल की थी जब पहली बार घर पर शादी का जिक्र चला। गर्मियों की छुट्टियां थी तो घर मेहमानों से भरा हुआ था और मजाक-मजाक में जब बात हुई शादी की तो मैंने भी बोला, "मैं शादी नहीं करूंगी" और मेरी नादानी भरे इस जवाब पर पास में बैठीं रिश्तेदार एकदम से बोलीं, "अरे! अगर शादी नहीं करेगी तो क्या पूरी जिंदगी अपने पापा पर बोझ बनी घूमेगी!" इस बात ने मुझे बेहद दुखी किया और मैं छुपकर बड़ी देर तक रोती रही। मेरी बात को बचपन की नादानी समझकर मजाक में ले जाया सकता था पर लड़की की शादी कभी मजाक का मुद्दा हो ही नहीं सकती क्योंकि सभी की आँखें शायद इसी पर टिकी होती हैं कि कब शादी होगी और लोग आकर खाने और दहेज में कमियां निकालेंगे। जब एक लड़की बार-बार यह सुनती है कि उसकी शादी ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है या मुद्दा है तो खुद पर संदेह करने लगती है कि क्या वह सच में बिना शादी अधूरी है? क्या उसकी पढ़ाई, करियर और सपने मायने नहीं रखते? और वो यह तब और ज्यादा सोचती है जब शायद उसने अपने आस पास पूरी जिंदगी किसी ऐसी लड़की को शादी के बाद बर्बाद होते देखा हो क्योंकि हमारे आसपास ऐसी महिला जरूर मिलेंगी जिन्हें शादी के सपने दिखाकर उनसे शादी के बाद जीने तक का हक छीन लिया गया हो! इसलिए यह सवाल लड़कियों को अक्सर परेशान करते हैं और उनके आत्मविश्वास को भी बेहद कमजोर कर देते हैं।
गैर-जरूरी दबाव और तनाव बढ़ता है
शादी के तानों से लड़कियों पर ही मानसिक दबाव भी बढ़ता है। लड़की की अगर पढ़ाई हो, सपने हों, करियर हो या कोई और वजह अगर वह किसी भी कारण से चाहें शादी में देरी करना चाहती है या शादी नहीं करना चाहती तो भी समाज उसे चैन से जीने नहीं देता। जैसे कि 13 साल की वो बच्ची जिसने कहा था कि शादी नहीं करेगी आज 20 की हो चुकी है लेकिन बेधड़क अभी भी यही बोलती है कि वो शादी नहीं करेगी। लेकिन आज भी अक्सर लोग ये बात सुनकर मजाक उड़ाने लग जाते हैं, "अरे! कहने की ही बात है, सबसे पहले तेरी शादी होगी देखना", "ऐसे कैसे नहीं करेगी, कुंवारी घरपर बिठाकर घरवाले इज्जत खराब थोड़ी करेंगे", "तू शादी नहीं करेगी तो छोटे भाई की शादी कैसे होगी" यह दबाव या बातें कभी-कभी मुझे मानसिक रूप से थका देती हैं और कई बार मैं ये सोचकर बेवजह की टेंशन का शिकार बन जाती हूं कि क्या सच में अगर मुझे शादी नहीं करनी है तो इसका मतलब मैं अपने घरवालों पर बेवजह बोझ बन जाऊंगी या क्या अगर मेरा मन सच में नहीं बदला तो मुझे जीवनभर ये बातें सुनने को मिलेंगी! और ऐसा हर उस लड़की के साथ होता होगा जो शादी न करने या देर से करने की अपनी बात को सबके सामने रखती होगी जो लोगों की काफी परेशान करने वाली हरकत है।
करियर और व्यक्तिगत विकास में दिक्कतें
एक लड़की अगर अपने करियर पर ध्यान देना चाहती है और कुछ बेहतर करना चाहती है तो उसे शादी करने की सीख समाज फिर भी देनी नहीं छोड़ता और लोग जो उसके अपने रिश्तेदार या करीबी ही होते हैं, शादी के ताने देकर गिल्ट फील कराते रहते हैं जो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है और उसकी ग्रोथ में रुकावट का कारण भी बन सकता है। एक लड़की को हर समय यह अहसास दिलाना कि वो चाहें जो भी कर ले, कितना भी जीवन में नाम, पैसा और इज्जत कम ले लेकिन एकमात्र शादी ही उसके पूरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है जिसे अगर उसने नहीं हासिल किया तो वो जिंदगी में विफल हो जाएगी ये सारी बातें उसके करियर और पर्सनल जीवन के विकास में सबसे बड़ी बाधा का कारण कभी कभी बन जाती हैं और एक लड़की को आगे नहीं बढ़ने देती।
भावनात्मक अस्थिरता आती है
एक लड़की जब बार-बार शादी से जुड़े तानों को सुनती है तो यह उसके मेंटल स्टेबिलिटी को भी बिगाड़ सकता है। साथ ही उसे हर समय यह डर भी सताने लगता है कि अगर वह शादी नहीं करेगी तो समाज उसे स्वीकार नहीं करेगा। जैसे हाल ही में एक वाकया हुआ कि मैं एक जगह पर अपने कुछ जानने वालों के साथ बैठी थी तो मुझसे किसी ने पूछा कि मैं किसी रिलेशनशिप में हूं या नहीं! मैने बोला नहीं मैं रिलेशनशिप में नहीं हूं और मुझे शादी भी नहीं करनी और अगर की तो अच्छे से समय लेकर या सोच समझकर करूंगी। मेरे साथ बैठे एक दोस्त ने हंसते हुए बड़े जोर से बोला, तू तो बेवकूफ है, तुझे पता नहीं है अगर लड़की की शादी न हो तो दुनियावाले उसके मां-बाप को चैन से नहीं रहने देते, लड़की हमेशा ताने सुनाते है और पता नहीं क्या क्या! लेकिन उसके ये बोलने के बाद घंटों ये सब बातें मेरे दिमाग में घूमती रहीं। कई बार ऐसा कुछ हमारे आस-पास के लोग हमारी शादी न करने की बात सुनकर कुछ ऐसा बोल देते हैं कि उन बातों का डर इतना बढ़ जाता है कि लड़कियां अपने फैसलों, खुशियों, प्राथमिकताओं और सपनों से समझौता करने की बातें सोचने लगती हैं और इमोशनली डैमेज होने लगती हैं।
"अरे! आपकी तो बेटी है, इसकी टाइम से शादी कर दो", ये ताना केवल ताना ही नहीं बल्कि एक गंभीर बात है जो लड़कियों को मानसिक रूप से प्रभावित कर देता है। यह उनके आत्मविश्वास और मानसिक शांति को प्रभावित कर देता है। इसलिए हमारे समाज और यहां रहने वाले लोगों को यह समझने की जरूरत है कि शादी कोई जबरदस्ती थोप देने की चीज नहीं बल्कि एक लड़के या लड़की का बहुत व्यक्तिगत फैसला है और शादी से पहले या इसके अलावा भी लड़कियों को सपनों को पूरा करने, अपनी पहचान बनाने, खुद को आत्मनिर्भर बनाने और अपने जीवन के फैसले खुद लेने का पूरा हक मिलना चाहिए। और इस बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी होगी – घर और परिवार के लोगों खासकर महिलाओं को अपनी बेटी को शादी के ताने देने की जगह उसके सपनों को पंख देने और उसके फैसलों में उसका साथ देने की जरूरत है!