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हमारे समाज में ज्यादातर लोगों को सेक्सुअल कंसेंट का मतलब ही नहीं पता है। उनके लिए ऐसी कोई चीज अस्तित्व में ही नहीं है। फिल्मों से लेकर कार्टून में सेक्सुअल कंसेंट को मजाक के रूप में लिया जाता है। उनके लिए यह है महत्वपूर्ण विषय नहीं है। ज्यादातर महलाएं अपने पहले सेक्स को करते वक्त नहीं, यह गलत है, मुझे पता नहीं, छोड़ो, आदि जैसे वाक्य बोलती हैं। इसका मतलब है कि वे इस से सहमत नहीं।
Sexual coercion क्या है?
इसे sexual coercion कहते हैं। इसका मतलब होता है किसी को भी सेक्स के लिए मजबूर करना। जरूरी नहीं है कि उस व्यक्ति को शारीरिक रुप से ही मजबूर किया जाए। उन्हें बहलाया जा सकता है, उन पर प्रेशर बनाया जा सकता है , धमकाया जा सकता है या फिर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जा सकता है।
क्यों खुद को अपराधी माने?
बहुत से लोगों को लगता है कि यह कंसेप्ट केवल रिलेशनशिप के बाहर ही होता है। लेकिन यह रिलेशनशिप में भी होता है। शादी करने का मतलब यह नहीं होता कि आपको किसी के शरीर पर अधिकार मिल चुका है। उसके साथ कोई भी सेक्शुअल एक्टिविटी करने से पहले आपको उसकी सहमति जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि इससे फर्क नहीं पड़ता कि किसी का किसी के साथ क्या रिश्ता है, ना का मतलब ना ही होता है।
बहुत सी महिलाएं सेक्स करने के लिए मना करने से खुद को अपराधी महसूस करती हैं। लेकिन ऐसा क्यों? अपने ही शरीर पर अपना अधिकार जमाने में कैसी शर्म? बहुत बार तो ऐसा होता है कि लड़की की ना को भी उसकी हां ही समझ लिया जाता है। उन्हें लगता है कि शायद लड़की शर्मा रही है। लेकिन नहीं, उसकी ना का मतलब ना ही है।
औरत के फैसले वो खुद ले सकती है
लड़कों को शुरु से ही यह सिखाया जाता है कि उन्हें अपने घर की महिलाओं के लिए फैसले लेने होंगे। भाई अपनी बहन के फैसले लेगा, पिता अपनी बेटी के लिए और पति अपनी पत्नी के लिए । इसलिए जब लड़की सेक्स के लिए ना बोलती है तो उन्हें लगता है कि इसका मतलब है कि इसे आगे बढ़ाओ। और वह बिना उसकी सहमति के इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं।
महिलाएं खुद को सेक्स के लिए मना करने पर अपराधी महसूस करती है। वह अपने पति की आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना चाहती। लेकिन यह सेक्शुअल सहमति आपका अधिकार है और आपकी ज़रूरत भी। अपनी सेक्शुअल सहमति को महत्व दें। इस पर किसी और का काबू न होने दें। और इसमें कोई गलत बात भी नही है।