Society Issues: आप सभी ने अक्सर न्यूज और अन्य मीडिया के माध्यम से तमाम खबरों को सुनकर और ऐतिहासिक कहानियों को सुनकर एक बात नोटिस की होगी कि पुरुष समाज अक्सर पुरुषों की भी गलती का बदला महिलाओं से लेता है। चाहे माँ-बहन की गाली देना हो या फिर महिलाओं को फिजिकल एब्यूज करना हो या फिर उनके साथ रेप जैसी घटिया हर्केतें क्यूँ ना हों। आखिर ऐसा क्यों होता है और क्यों ऐसा दिखाया जाता है कि गलती किसी की भी विक्टिम एक महिला है। क्राइम किसी ने भी किया हो सज़ा एक महिला को मिलेगी ऐसा क्यों है भारतीय समाज? यह भी कहा जाता है कि महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं उन्हें सभी अधिकार हैं और फिर किसी भी घटना के लिए किसी भी विवाद के होने पर अपराध सिर्फ महिलाओं के साथ होते हैं ऐसा आखिर क्यों हैं कभी विचार किया है आपने। अभी कुछ समय पूर्व आपने एक घटना मणिपुर की देखी जिसमे महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। लेकिन क्या उनके लिए वे जिम्मेदार थीं। एक दो दिन पूर्व एक खबर हमने महाराष्ट्र की सुनी जहां पति द्वारा लोन ना चुका पाने पर पत्नी के साथ रेप किया गया और ऐसी ना जाने कितनी घटनाएँ हम देखते हैं डेली न्यूज में, अखबार में और अन्य समाचार पत्रों में। इतना ही नहीं यह बात यहीं तक सीमित नहीं हैं बल्कि अगर हम इतिहास या धार्मिक ग्रंथों को भी उठाकर देखें को हमें यह पता चलता है कि ऐसा सदियों से चला आ रहा है। पांडव जुएँ में अपना सब कुछ हार जाते हैं लेकिन उसके बदले में वस्त्रहरण द्रौपदी को झेलना पड़ता है। सूपनखा की नाक-कान लक्ष्मण काटते हैं लेकिन हरण सीता जी का होता है। आखिर क्यों पुरुष समाज पुरुषों की गलती की सजा महिलाओं को देता है और क्यों ऐसा सदियों से चला आ रहा है। बदलाव हुए हैं लेकिन फिर भी इसे कभी रोका नहीं जा सका है। आइये जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है।
जानिए क्यों समाज भी चीज के लिए महिलाओं (Women) को गलत समझता है
1. पितृसत्तात्मक मानदंड
कई अन्य समाजों की तरह भारत में भी पितृसत्तात्मक मानदंडों का इतिहास रहा है। जहां पारंपरिक रूप से पुरुषों के पास अधिक शक्ति और निर्णय लेने का अधिकार होता है। ऐसी व्यवस्था में महिलाओं को अधीनस्थ या कम दर्जे वाली के रूप में देखा जा सकता है जिससे कथित गलतियों के लिए असंगत दंड या प्रतिशोध महिलाओं से लिया जाता है।
2. लैंगिक समानता का अभाव
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में अभी भी महिलाओं के साथ भेदभाव और असमान व्यवहार होता है। इसलिए अक्सर ऐसा होता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कमजोर माना जाता है और इसके चलते पुरुषों द्वारा की गई गलती की सजा भी महिलाओं को दी जाती है।
3. रूढ़िवादिता और सामाजिक कंडीशनिंग
रूढ़िवादिता और सामाजिक कंडीशनिंग महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को आकार देने में भूमिका निभाते हैं। भारतीय समाज महिलाओं को कम सक्षम या जिम्मेदार मानता है, तो इसलिए उनसे किसी भी प्रकार का बदला लेना ज्यादा आसान होता है और उन्हें पुरुषों की सम्पत्ति के तौर पर देखा जाता है जिसकी वजह से इस भावना से उनके साथ अपराध किया जाता है कि इससे उनसे जुड़े पुरुषों को दंड मिलेगा।
4. अपर्याप्त कानूनी सुरक्षा
भारत ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन ऐसे उदाहरण भी हैं जहां कार्यान्वयन में कमी है या कानून कमजोर हैं। इससे महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वालों में दण्ड से मुक्ति की भावना पैदा हो सकती है जिससे महिलाओं के प्रति अपराध अधिक बढ़ता है।
5. सामाजिक कलंक की भावना
कुछ समाजों में जहां महिलाएं दुर्व्यवहार के खिलाफ बोलती हैं। वहां उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता है जिसकी वजह से उनके परिवार के लिए कलंक साबित होता है। ऐसी सोच के तहत भी महिलाओं के साथ अपराध की भावना बढ़ती है।