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Why shame on girls body hair Is it always necessary to be clean: हमारे समाज में महिलाओं से जुड़ी सुंदरता की परिभाषा वर्षों से एक जैसे ढांचे में ढली हुई है साफ़-सुथरी त्वचा, चमकदार बाल, पतली कमर और बिना बॉडी हेयर। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि ये नियम बने किसने? और क्यों एक लड़की के शरीर के नैचुरल बाल शर्म की वजह बन जाते हैं? क्या बॉडी हेयर होना गंदगी है या एक सामान्य जैविक प्रक्रिया? इस लेख में हम बात करेंगे उस सामाजिक दबाव की, जो महिलाओं को "क्लीन" दिखने के नाम पर मानसिक और शारीरिक बोझ देता है।
लड़कियों के बॉडी हेयर पर शर्म क्यों? क्या हमेशा क्लीन होना ज़रूरी है
body hair
हमारे शरीर पर बाल आना पूरी तरह से एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लड़के हों या लड़कियां, सभी के शरीर पर बाल आते हैं, क्योंकि यही हमारे हार्मोन का हिस्सा है। लेकिन जब बात लड़कियों की आती है, तो बॉडी हेयर को गंदा, Unidentical या शर्मनाक माना जाता है। जैसे-जैसे लड़कियां बड़ी होती हैं, उन्हें बार-बार ये एहसास दिलाया जाता है कि अगर उनकी त्वचा पर बाल दिख रहे हैं तो वो सुंदर नहीं हैं, साफ नहीं हैं, और उन्हें तुरंत वैक्स या शेव कर लेना चाहिए।
सौंदर्य मानकों की बेड़ियाँ
बॉडी हेयर से जुड़ी ये शर्म सौंदर्य के उस झूठे आदर्श का हिस्सा है जिसे विज्ञापनों, फिल्मों और #socialmedia ने गहराई से हमारे दिमाग में बैठा दिया है। जब भी कोई actress skin show करती है, उसकी त्वचा बिलकुल स्मूद और बिना बालों वाली दिखाई जाती है। इससे ये मैसेज जाता है कि एक लड़की की त्वचा भी हमेशा वैसी ही होनी चाहिए "परफेक्टली क्लीन"। लेकिन हक़ीक़त ये है कि ये परफेक्शन एक मिथ है, जिसे बनाए रखने के लिए महिलाएं दर्द, खर्च और मानसिक दबाव झेलती हैं।
क्या हर बार बाल हटाना ज़रूरी है?
बॉडी हेयर को हटाना एक निजी पसंद होनी चाहिए, न कि सामाजिक अनिवार्यता। कई महिलाएं खुद को ज़्यादा कंफर्टेबल महसूस करती हैं जब उनकी त्वचा साफ होती है, और ये पूरी तरह वैध है। लेकिन इसका उल्टा भी उतना ही सही है अगर कोई लड़की अपने बॉडी हेयर के साथ सहज है, तो समाज को उसे शर्मिंदा करने का कोई अधिकार नहीं है। बॉडी पॉज़िटिविटी का असली मतलब है कि हम अपने शरीर को जैसा है, वैसे स्वीकारें, चाहे उसमें बाल हों या न हों।
बदलाव की शुरुआत कहां से हो?
बॉडी हेयर से जुड़ी शर्म को मिटाने के लिए सबसे पहला कदम है बातचीत। जब तक हम इस विषय पर खुलकर बात नहीं करेंगे, तब तक ये मुद्दा टैबू बना रहेगा। पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपनी बेटियों को इस बात की आज़ादी दें कि वे अपने शरीर को अपने हिसाब से अपनाएं। स्कूलों में इस पर हेल्थ एजुकेशन के ज़रिए जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। साथ ही, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और पब्लिक फिगर्स को चाहिए कि वे इस बारे में ईमानदारी से बात करें और नैचुरल बॉडी हेयर को सामान्य बनाएं।
क्लीन होना एक ऑप्शन है, मजबूरी नहीं। लड़कियों के शरीर पर बाल होना न शर्म की बात है और न ही गंदगी की निशानी। ये सिर्फ एक जैविक तथ्य है, जिसे नज़रअंदाज़ करने के बजाय स्वीकारने की ज़रूरत है। सुंदरता का मतलब सिर्फ बिना बालों की त्वचा नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से भरा चेहरा है चाहे उस पर बाल हों या नहीं।