भारत में महिलाओं के अधिकारों और समानता की दिशा में कई सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं, लेकिन महिलाओं की इच्छाओं, खासकर यौन इच्छाओं के बारे में बात करना अब भी एक बड़ी चुनौती है। कई लोगों के लिए यह एक बहुत ही संकोची और शर्मनाक विषय बन चुका है, और समाज इसे सामान्य रूप से स्वीकारने के लिए तैयार नहीं दिखता। हाल ही में, मैंने कुछ कॉलेज की लड़कियों से इस विषय पर बातचीत की और जानने की कोशिश की कि वे इस मुद्दे के बारे में क्या सोचती हैं। आइए, जानते हैं कि उनकी राय क्या है।
क्यों भारत में महिलाओं की इच्छाओं के बारे में बात करना अब भी एक टैबू है?
"अभी भी लड़कियों को इस बारे में बात करने में शर्म आती है"
श्रुति एक कॉलेज की छात्रा, मानती है कि महिलाएं आज भी इस विषय पर खुलकर बात करने से हिचकिचाती हैं। उनका कहना था,
"हमारे समाज में लड़कियों को हमेशा से ही सिखाया गया है कि उन्हें अपनी इच्छाओं और भावनाओं को दबाना चाहिए। हम जब भी यौन इच्छाओं या अपनी पसंद-नापसंद के बारे में बात करते हैं, तो हमें तुरंत 'अच्छी लड़की' की तरह पेश होने का दबाव महसूस होता है।"
"बात करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो अजनबी सा लगता है"
राशिका ने कहा, "हमारे बीच में अब इस पर बात करना थोड़ा आसान हो गया है। लेकिन जब ये बात दूसरों के सामने होती है, तो हम अपने अनुभवों और इच्छाओं को खुलकर व्यक्त नहीं कर पातीं। ये बहुत मुश्किल होता है क्योंकि समाज में अब भी यह एक 'अपराध' जैसा लगता है।"
उनके अनुसार, ये बदलाव धीरे-धीरे आ रहे हैं, लेकिन असल में इस मुद्दे पर खुली और सच्ची चर्चा की राह लंबी है।
"क्यों नहीं हम अपनी इच्छाओं के बारे में खुले तौर पर बात कर सकते?"
रिया ने इस पर अपनी राय दी, "क्यों सिर्फ लड़कों को अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने का हक होना चाहिए? हमें भी अपनी इच्छाओं को बिना शर्म के व्यक्त करने का अधिकार होना चाहिए। मुझे लगता है कि अब लोग इसे थोड़ा समझने लगे हैं, लेकिन बात अभी भी टैबू की तरह है।"
समाज में बदलाव की दिशा
हालांकि, कई लड़कियां मानती हैं कि इस मुद्दे पर बात करने में अब बदलाव आ रहा है, लेकिन ये बदलाव बहुत धीरे-धीरे हो रहे हैं। समाज का दृष्टिकोण अब पहले जैसा कड़ा नहीं है, और लड़कियां अपने साथी और दोस्तों के साथ इस पर खुलकर बात करने की कोशिश करती हैं। लेकिन जब बात परिवार या बड़े समाज की होती है, तो अक्सर इसे दबा दिया जाता है।
एक लंबा सफर तय करना बाकी है
हालांकि, स्थिति में बदलाव की उम्मीद है, लेकिन यह बदलाव पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं हुआ है। लड़कियां अब भी समाज के दबाव और शर्म से जूझ रही हैं। समाज के भीतर महिलाएं अपने अधिकारों को समझने और अपनी इच्छाओं को स्वीकार करने में अब भी कतराती हैं।
भारत में महिलाओं की यौन इच्छाओं के बारे में बात करना आज भी एक बड़ा टैबू है, लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आ रहा है। अब अधिक महिलाएं इस मुद्दे पर बात करने में सक्षम हो रही हैं, और समाज का दृष्टिकोण भी थोड़ा सा बदल रहा है। हालांकि, अभी भी एक लंबा सफर तय करना बाकी है जब तक महिलाएं बिना किसी डर या शर्म के अपनी इच्छाओं और पसंद को पूरी तरह से व्यक्त कर सकें।