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Why teenage girls do not get correct information about sex: भारत जैसे देश में जहाँ देवी की पूजा होती है, वहीं लड़कियों से जुड़ी यौन शिक्षा को आज भी शर्म और चुप्पी की चादर में लपेट दिया जाता है। टीनएज लड़कियों को अपने शरीर, periods, pregnancy, और Sex से जुड़ी जरूरी जानकारी स्कूल में भी अधूरी मिलती है और घर में तो इस पर बात करना ही मना होता है। ऐसे में सवाल उठता है क्या लड़कियों को सही सेक्स एजुकेशन देना वाकई इतना मुश्किल है? क्यों उन्हें वो बातें नहीं बताई जातीं जो उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी हैं?
सेक्स की सही जानकारी क्यों नहीं मिलती टीनएज लड़कियों को?
sex education को लेकर समाज में डर और चुप्पी
सेक्स और उससे जुड़ी बातें हमारे समाज में अक्सर वर्जित मानी जाती हैं। पेरेंट्स और टीचर्स सोचते हैं कि अगर बच्चों को सेक्स की जानकारी दे दी गई, तो वे बिगड़ जाएंगे या समय से पहले एक्सपेरिमेंट करने लगेंगे। लेकिन असलियत इससे बिलकुल उलट है। जब किसी टीनएज लड़की को अपने शरीर, सुरक्षा, कंसेंट और प्रेग्नेंसी से जुड़ी बातें नहीं बताई जातीं, तो वो इंटरनेट या दोस्तों से आधी-अधूरी और अक्सर गलत जानकारी लेती है, जो आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकती है।
स्कूलों में अधूरी या गायब शिक्षा
भारत के ज़्यादातर स्कूलों में सेक्स एजुकेशन या तो नाम मात्र की होती है, या फिर उसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। बायोलॉजी की किताब में रिप्रोडक्शन चैप्टर को या तो जल्दी से रटा दिया जाता है, या फिर बिना चर्चा के छोड़ दिया जाता है। लड़कियों के मन में उठने वाले सवाल जैसे पहला पीरियड क्यों आता है?, सेक्स क्या होता है?, "गर्भधारण कैसे होता है इनका जवाब उन्हें साफ और सम्मानजनक तरीके से नहीं मिलता। और जब सवाल दबा दिए जाते हैं, तो डर और भ्रम जन्म लेते हैं।
पिता या मां से खुलकर बात क्यों नहीं हो पाती?
कई टीनएज लड़कियां चाहती हैं कि वे अपनी मां या पापा से इन सवालों के जवाब पाएं, लेकिन घरेलू माहौल इतना बंद सा होता है कि वहाँ इन मुद्दों पर बात करना शर्मिंदगी जैसा महसूस होता है। माता-पिता को ये समझने की ज़रूरत है कि सेक्स एजुकेशन देने का मतलब अश्लीलता सिखाना नहीं है, बल्कि यह उनकी बेटी को समझदार, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाना है।
गलत जानकारी का खतरा
जब सही जानकारी नहीं मिलती, तो गलत जानकारी आसानी से जगह बना लेती है। पोर्न, ग़लत वेबसाइट्स, या असंवेदनशील दोस्त टीनएज लड़कियों के दिमाग में सेक्स को लेकर डर, शर्म और भ्रम भर देते हैं। ये गलतफहमियां आगे चलकर रिश्तों में परेशानी, शारीरिक नुकसान और मानसिक तनाव का कारण बन सकती हैं।
बदलाव की ज़रूरत और जिम्मेदारी
सेक्स एजुकेशन को स्कूल के कोर्स में पूरी गंभीरता के साथ शामिल करना चाहिए। टीचर्स को भी इस विषय पर संवेदनशीलता से बात करना सिखाना होगा। माता-पिता को अपनी बेटियों से खुले दिल से बातचीत करनी होगी, ताकि वे सवाल पूछने से डरें नहीं। साथ ही, लड़कियों को ये समझाना ज़रूरी है कि उनका शरीर उनका अपना है और उसे समझना, उसका ध्यान रखना और उसकी मर्यादा जानना उनका अधिकार है।
सेक्स एजुकेशन कोई लग्ज़री नहीं है, ये हर टीनएज लड़की का हक है। जिस समाज में बेटियों को देवी का रूप माना जाता है, वहाँ उन्हें अपने ही शरीर से अंजान रखना एक बड़ा अन्याय है। अगर हमें एक जागरूक, मजबूत और सुरक्षित पीढ़ी तैयार करनी है, तो हमें सेक्स एजुकेशन को शर्म नहीं, ज़रूरत मानना होगा, आज नहीं तो कल, लेकिन जितना जल्दी समझें, उतना बेहतर।