Why We Need to Rethink Expectations for Women ?आधुनिक समाज में महिलाएं बड़ी तेजी से तरक्की कर रही हैं। वे हर क्षेत्र में, चाहे वह कॉर्पोरेट जगत हो या अंतरिक्ष विज्ञान, अपनी धाक जमा रही हैं। लेकिन क्या सचमुच हम महिलाओं को सशक्त कह सकते हैं? आज भी समाज में एक आम धारणा है कि महिलाओं को कैरियर, किचन और परिवार की जिम्मेदारियां एक साथ संभालनी चाहिएं। ये तीनों ही क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं, लेकिन क्या यह उम्मीद करना जायज है कि महिलाएं हर जगह परफेक्ट हों?
महिलाओं से हर मोर्चे पर जीत की उम्मीद क्यों?
कैरियर की ऊंचाइयों को छूने का हक
आज की महिलाएं शिक्षित हैं, महत्वाकांक्षी हैं और अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं। वह उच्च पदों पर पहुंचना चाहती हैं, लीडर बनना चाहती हैं। लेकिन अक्सर उन्हें सुनना पड़ता है, "बच्चे हो जाएंगे तो ऑफिस का काम कैसे संभालेंगी?" या "घर का ख्याल कौन रखेगा?" ये सवाल न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को कम करते हैं बल्कि आगे बढ़ने की राह में रोड़े अटकाते हैं।
घर संभालना बनाम महिलाओं की जिम्मेदारी
घर संभालना एक ज़रूरी काम है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन यह सिर्फ महिलाओं की ज़िम्मेदारी नहीं होनी चाहिए। यह सहयोग से चलने वाला काम है। खाना बनाना, बच्चों को संभालना, और घर की साफ-सफाई दोनों पार्टनर मिलकर कर सकते हैं। इससे न सिर्फ महिलाओं को करियर पर ध्यान देने का समय मिलेगा बल्कि पारिवारिक रिश्ते भी मजबूत होंगे।
समाज को बदलने की ज़रूरत
जरूरत है समाज की सोच बदलने की। हमें यह समझना होगा कि सफलता का पैमाना सिर्फ रसोईघर में पकाए गए व्यंजनों की संख्या या घर की चमक-धमक नहीं है। सफलता महिला की अपनी परिभाषा है। वह चाहे तो कार्यकारी महिला (working woman) बनना चाहती हैं या घर-गृहस्थी (homemaker) बनना चाहती हैं, ये उनका फैसला होना चाहिए।
कैरियर, किचन और परिवार तीनों ही महिला के जीवन का अहम हिस्सा हैं। लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि हर महिला को हर जगह बराबर तवज्जो देनी पड़े। समाज को महिलाओं को हर मोर्चे पर जीत की उम्मीद करना बंद कर देना चाहिए। हर महिला को अपनी पसंद से जीने का हक है और उसी रास्ते पर सफलता हासिल करने का भी। आइए, मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जहां महिलाएं अपने सपनों को पूरा करने के लिए बेझिझक उड़ान भर सकें।