घरवाले शुरू से ही लड़कियों को कहने लग जाते है शादी कि बाद अपने पति की हर बात मानना जैसे वह कहे वैसा ही करना। कभी शिक्यात का मौक़ा मत देना लेकिन कभी कोई लड़के को यह नही कहता तुम अपनी पत्नी की हर बात मानना या उसके कहे को मानना। मसला यह नहीं कौन किसकी बात मानेगा बल्कि यह है कि क्यों हमारे समाज में आज भी औरतों को अपने पति से नीचे रहने के लिए क्या जाता है? क्यों बराबरी की बात नहीं होती?
हर बार औरत ही क्यों सहन करे?
आज भी औरत की यहीं शिक्षा दी जाती है तुमने सहन करना है क्यों हर बार औरत को हि सहन करना पड़ता है। वे चाहे शादी में खुश हो या ना फिर भी उसे उस शादी में रहने के लिए कहा जाता है। कहा जाता है अगर तुम अच्छी होती तो यह शादी कभी ना टूटती। रिश्ते के टूटने पर सारा दोष औरत के ऊपर डाला जाता है।
पति की इजाज़त की क्यों है ज़रूरत
बहुत बार ऐसा होता है पति कहने लग जाते है तुमे आज तक कभी किसी चीज़ से रोका है। जैसे चाहे मर्ज़ी कपड़े पहनो, जहां मर्ज़ी जाओ, पार्टी में जाओं और दोस्तों से मिलो आदि कभी मना किया। सवाल यहाँ यह उठता है क्यों औरत को मर्द की इज़्जात चाहिए। पहले अपने पिता और भाई से अब अपने पति से। वह इतनी सक्षम है कि अपने फ़ैसले खुद ले सके।
औरत अपना सही ग़लत जानती है
शादी के बाद औरत को कहा जाता पति की हर बात मानना । इसका मटलब समाज औरत को अभी भी उतना समझदार नहीं मानती वे अभी भी औरत को मर्द के ऊपर निर्भर समझती है । जो औरत अपना बच्चा पाल सकती पूरे घर के लोगों को सम्भाल सकती है। वह अपने फ़ैसले भी ले सकती है।
कब मिलेगी औरत को बराबरी
आज भी औरत अपने हक़ों के लिए लड़ रही है। कोई उसे हिजाब पहनने के लिए मजबूर और कोई ना पहनने के लिए। आज भी सब उसे अपने ही इशारों पर नचाना चाहते है। कोई उसे उसकी मर्ज़ी नही पूछता। घर में वे अपनो हक़ों के निरंतर लड़ रही है। 21 सदी आ चुकी है लेकिन औरत का अपने अधिकारों लड़ना अभी भी खतम नहीं हुआ है।