5 Ways To Build Trust In Relationship: आजकल की जनरेशन को रिश्तों की अहमियत तब समझ आती है जब वे अकेले पड़ जाते हैं। अपने रिलेशन को बचाने के लिए विश्वास का होना बहुत जरूरी है। विश्वास के बिना बनाए रिश्ते खोखले होते हैं और लॉन्ग टर्म तक नहीं चलते। रिश्तों में विश्वास बरकरार रखने के लिए आइए जानते हैं कुछ उपाय-
विश्वास क्या है?
ये वही अनमोल कड़ी है जो रिश्तों को संजो कर रखती है। वो रिश्ता चाहे माता-पिता–बच्चों का हो, भाई–बहन का हो, प्रेम का हो या फिर दोस्ती का ही क्यों न हो। एक रिलेशनशिप को आगे बढ़ाने के लिए एक-दूसरे पर ट्रस्ट होना बेहद जरूरी है। बिन विश्वास के लोग एक-दूसरे के साथ मानसिक रूप से जुड़ नहीं पाते हैं और ट्रस्ट इश्यू होने की वजह से रिश्ता कायम रखने में सफलता नहीं मिलती।
रिश्तों में विश्वास बढ़ाने के 5 उपाय
1. रिश्तों में स्पष्टता रखें
रिश्तों में स्पष्टता रखना बेहद जरूरी है। इससे लोग एक-दूसरे को समझते हैं और अगर सारी बातें स्पष्ट रहेंगी तो रिलेशन में म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग रहेगी। अपनी बातों को शेयर करने में हिचकिचाहट और ट्रस्ट इश्यू की समस्या नहीं होगी।
2. बातों को केवल सुनें नहीं बल्कि समझें भी
केवल बातों को सुनना काफी नहीं है बल्कि उसे समझना भी सीखें। अगर आप बातों को समझ रहे हैं तो सामने वाला आपको अपना समझेगा और उसके मन में एक विश्वास की उत्पत्ति होगी जो एक सफल रिश्ते की शुरुआत होगी।
3. अपनी गलतियों को स्वीकार करें
गलतियों को स्वीकार कर लेना मतलब रिश्ते को बचा लेना होता है। अपने ईगो और एटीट्यूड से हटकर अगर माफी मांग लेने से रिश्ते सुधर जाते हैं तो शर्म कैसी? रिश्तों को बचा कर रखना आपके हाथों में होता है।
4. अपने वादों और शब्दों को न भूलें
वादों को निभाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। अगर आप किसी से वादा कर रहे हैं तो वो आपसे यही उम्मीद करता है कि आप उसे पूरा करें। वादे और कसमें सिर्फ बोलने तक ही नहीं बल्कि निभाकर साबित करें कि आप एक भरोसेमंद साथी हैं।
5. पर्सनल स्पेस भी जरूरी
रिलेशनशिप हमारे जीवन का एक हिस्सा है वैसे ही जैसे फैमिली और हमारा करियर है। कभी-कभी हम एक-दूसरे में इतना उलझ जाते हैं कि इन सब पर ध्यान देना ही भूल जाते हैं। बाद में यही चीज हमारे रिश्ते में दरार ला सकती है। एक-दूसरे को पर्सनल स्पेस देने से कम उलझन हो सकती है और साथ ही हम जीवन के दूसरे पहलुओं पर भी ध्यान दे सकते हैं।
सूचना: इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक लेखन स्नेहा यादव का है।