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Photograph: (Freepik )
Consent Matters Understanding and knowing consent is extremely important for sex: किसी भी रिश्ते में प्यार भरोसा और समझदारी की सबसे मजबूत नींव होती है सहमति जब दो लोग शारीरिक संबंध में जुड़ते हैं तो उनके बीच आपसी सहमति होना अनिवार्य है। सहमति का मतलब सिर्फ हाँ कहना नहीं बल्कि पूरी समझ और अपनी मर्ज़ी से हाँ कहना होता है। सेक्स जैसे संवेदनशील विषय पर बिना सहमति के कोई भी कदम रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है और यह कानूनन भी गलत है।
सहमति का महत्व सेक्स के लिए सहमति जानना और समझना बेहद अहम है
1. सहमति क्या है और क्यों जरूरी है
सहमति का मतलब केवल हाँ कहना नहीं होता। इसका मतलब है कि व्यक्ति मानसिक शारीरिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से तैयार हो और वह बिना किसी दबाव या डर के खुलकर अपनी मर्ज़ी ज़ाहिर करे। यह ज़रूरी है कि व्यक्ति नशे गुस्से या डर जैसी किसी भी हालत में न हो क्योंकि तब उसकी सहमति असली नहीं मानी जा सकती। सहमति केवल तभी मान्य है जब वह स्वेच्छा से दी गई हो।
2. ना का मतलब हमेशा ना होता है
अगर कोई व्यक्ति सेक्स के लिए ना कहता है तो उसका मतलब है कि वह तैयार नहीं है और उसे ज़बरदस्ती मनवाना या मनाना गलत है। चुप रहना झिझकना या कुछ न कहना यह सहमति नहीं मानी जाती। कई बार लोग सोचते हैं कि ना कहने का मतलब शरमाना है लेकिन यह मानसिकता बहुत खतरनाक है। यदि सामने वाला सहज नहीं है तो संबंध को वहीं रोक देना चाहिए। ना का मतलब हमेशा ना होता है चाहे वो किसी भी परिस्थिति में कहा जाए।
3. रिश्तों में भी सहमति की ज़रूरत
यह एक आम भ्रांति है कि अगर आप शादीशुदा हैं या लंबे समय से रिलेशनशिप में हैं तो सहमति की जरूरत नहीं होती। लेकिन हर व्यक्ति को अपने शरीर पर पूरा हक है चाहे वह पति हो पत्नी हो या कोई भी पार्टनर। हर बार जब शारीरिक संबंध की बात हो तो दोनों की सहमति जरूरी होती है। यह रिश्ते की इज़्ज़त और भरोसे को और गहरा बनाता है। शादी के अंदर भी बिना सहमति के सेक्स को वैवाहिक बलात्कार माना जाता है और यह नैतिक तौर पर भी गलत है।
4. सहमति और संचार का रिश्ता
एक हेल्दी रिश्ते में दोनों पार्टनर के बीच संवाद ज़रूरी है। क्या वे सहज हैं क्या दोनों इस संबंध को आगे बढ़ाना चाहते हैं अगर कोई असहज महसूस करता है तो उसकी भावनाओं को समझना ज़रूरी है। सहजता और खुला संवाद ही सच्ची सहमति की पहचान है। जब लोग बिना झिझक अपनी इच्छाएं और सीमाएं बता सकें तभी संबंध सुरक्षित और सुखद होता है। संचार जितना खुला होगा सहमति उतनी ही स्पष्ट होगी।
5. सहमति: कानून, अधिकार और सम्मान
भारत में अब यौन अपराधों को लेकर सख्त कानून हैं और सहमति के बिना बनाए गए शारीरिक संबंधों को अपराध माना जाता है। आयी पी सी की धारा तीन सौ पचहत्तर में सहमति के बिना सेक्स को बलात्कार कहा गया है और इसके लिए कठोर सज़ा तय की गई है। लेकिन सिर्फ कानून ही नहीं सहमति एक इंसान के आत्मसम्मान से जुड़ी चीज़ है। किसी की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर कोई भी कदम उठाना उस व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन है। सहमति देना या न देना हर किसी का व्यक्तिगत निर्णय है और इसका आदर करना हर इंसान की ज़िम्मेदारी है।