Online Dating: भावनात्मक शोषण और सहमति की सही सीमा कहाँ तक है?

आज के समय में डिजिटल दुनिया के चलते रिश्ते और पार्टनर जैसे नाजुक फैसले online होने लगे हैं। अक्सर ऐसे विषयों में महिलाएं कई challenges का सामना करती हैं।

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Nainsee Bansal
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आज के समय में डिजिटल दुनिया के चलते रिश्ते और पार्टनर जैसे नाजुक फैसले online होने लगे हैं। अक्सर ऐसे विषयों में महिलाएं कई challenges का सामना करती हैं। महिलाएं जब रिश्तों में भावनात्मक शोषण को महसूस करती हैं और इनसे बाहर निकलना चाहती हैं तो साइबर स्टॉकिंग और साइबर बुलीइंग का शिकार होती हैं। ऐसे में यह उन पर उस रिश्ते को जारी रखने और शोषित बने रहने का दबाव बना रहता है, और कई बार बिना सहमति के intimacy, जो rape की category में आता है, उसे भी सहमति के साथ किया गया अपराध समझ लिया जाता है।

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Online Dating: भावनात्मक शोषण और सहमति की सही सीमा कहाँ तक है?

1. गिल्ट ट्रिपिंग

यह अपराधबोध का जाल है और बार-बार यह महसूस कराना कि पार्टनर के साथ आपने गलत किया है। स्वयं को पीड़ित दिखाते हुए भावनात्मक ब्लैकमेल करना और आपको guilty महसूस कराना—यह अपराधबोध का उन्हें नियंत्रण में रखने का जाल है।

2. मनचाही सहमति लेना

भावनात्मक दबाव डालकर किसी से निजी तस्वीरें, जानकारी या भावनात्मक निवेश लेना।

3. घातक तुलना

अक्सर महिलाओं को उनके शारीरिक बदलाव और भावनात्मक देखभाल के लिए दबाव डालना और अन्य रिश्तों से तुलना करना, जिससे उन्हें स्वयं को लेकर हीनता महसूस होती है।

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4. ब्लॉक और अनब्लॉक गेम

बार-बार संपर्क तोड़ने और जोड़ने से रिश्ते तो अस्थिर रहते ही हैं, साथ ही मानसिक दबाव भी बना रहता है। यह आगे बढ़ने और सही निर्णय लेने से भी रोकता है।

Online dating और relationship में भी सही तरीके से सहमति आवश्यक है। स्वतंत्र और स्पष्ट निर्णय बिना दबाव और डर के होना आवश्यक है, और यह समझना कि "ना" का मतलब "ना" होता है। "ना" को भावनात्मक शोषण करके बदलना भी सही नहीं।

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