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Love, Lingo & Labels: Inside the Modern Indian Dating Scene: आज की डेटिंग की दुनिया का भी एक अपना ही लहजा है। Breadcrumbing, ghosting, benching जैसे शब्द सुनने में जितने अजीब लगते हैं, असल में उतने ही ज़रूरी इशारे हैं इस बात के कि लोग अब प्यार में बेवकूफ नहीं बनना चाहते। डेटिंग ऐप क्वैकक्वैक के ताज़ा सर्वे से ये बात सामने आई है कि आज के युवा चाहे वो GenZ हों या Millennials अपने रिश्तों को लेकर कहीं ज़्यादा समझदार हो चुके हैं।
कभी Ghost किया, कभी Benched हुए? Millennials और GenZ कैसे कर रहे हैं डेटिंग ट्रेंड्स को हैंडल
10,000 से ज़्यादा यूज़र्स के साथ किए गए इस सर्वे में 18 से 35 साल के युवाओं से पूछा गया कि वो इन नए डेटिंग ट्रेंड्स को कैसे समझते हैं और उनसे कैसे डील करते हैं।
"क्लियर बात करो, वरना जाने दो" GenZ ने सिखा दी रिश्तों में स्पष्टता की नई परिभाषा
Gen Z की सबसे बड़ी खूबी है कि वो किसी भी रिश्ते में अधूरी उम्मीदों और उलझे इशारों को लेकर चुप नहीं रहते। Breadcrumbing यानी किसी को झूठी उम्मीदों पर टिका कर रखना ऐसे बर्ताव को 43% GenZ डेटर्स ने सीधे-सीधे नकार दिया।
दिल्ली की 23 वर्षीय टोन्या कहती हैं, "हम खुलकर पूछते हैं ‘क्या ये रिश्ता कहीं जा रहा है?’ अगर जवाब नहीं है, तो फिर मैं उस खेल का हिस्सा क्यों बनूं?"
मिलेनियल्स: जहां गहराई भी है, और गंभीरता भी
Millennials यानी 28 से 35 की उम्र वाले डेटर्स थोड़े अलग हैं। ये किसी भी रिश्ते को एक नाम देने से पहले दिल और दिमाग दोनों से सोचते हैं। सर्वे में 80% Millennials ने कहा कि वो इमोशनल लेवल पर ज़्यादा मैच देखने की कोशिश करते हैं, बजाए सिर्फ आकर्षण के।
बैंगलोर के 30 वर्षीय प्रोफेसर आदर कहते हैं, “हम GenZ की तरह फ्लैग्स तो पहचान लेते हैं, लेकिन सिर्फ रेड नहीं, ग्रीन भी देखते हैं। हमारा प्यार थोड़ा धीमा, लेकिन टिकाऊ होता है।”
टॉक्सिक ट्रेंड्स का दौर हो रहा है खत्म
Ghosting और benching जैसे ट्रेंड्स पहले जितने आम थे, अब उतने नहीं रहे। 28% GenZ और 33% Millennials ने माना कि पिछले 5 सालों में ऐसे व्यवहार कम हुए हैं। वजह साफ है लोग अब इरादों के साथ रिश्तों में उतरते हैं, और अधूरेपन को छोड़ना सीख चुके हैं।
प्यार की भाषा: टेक्स्ट बनाम इमोजी
जहां 30 से 35 साल के Millennials आज भी प्यार जताने के लिए खूबसूरत टेक्स्ट मैसेज को चुनते हैं, वहीं GenZ इमोजी, मीम और रील्स के ज़रिए अपने जज़्बात बयां करता है। लेकिन ये गैप धीरे-धीरे कम हो रहा है। 30 से कम उम्र के कई Millennials अब GenZ की इस नई भाषा को अपना रहे हैं।
मुंबई की अन्विता (28) कहती हैं, “फर्क तो है, लेकिन मकसद एक ही है—दिल की बात सही तरीके से कहना।”
सीख क्या मिली इस सर्वे से?
GenZ ने रिश्तों में बाउंड्रीज़ सेट करना सीखा है, तो Millennials ने उनमें गहराई बनाए रखी है। दोनों मिलकर प्यार को लेकर ज़्यादा सजग, इमानदार और इरादतन हो चुके हैं। और यही है आज की डेटिंग की असली तस्वीरजहां अब 'क्लैरिटी' है, 'कन्फ्यूज़न' नहीं।