Intimacy Fears: बच्चे के बाद या लंबे गैप के बाद इंटीमेसी से डर लगना सामान्य है?

रिश्तों में शारीरिक और भावनात्मक नज़दीकी इंटीमेसी एक बेहद जरूरी पहलू होती है जो दो लोगों को गहराई से जोड़ती है। यह एक सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया है

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Sanya Pushkar
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Photograph: (Freepik)

Intimacy Fears Feeling Afraid of Intimacy After Having a Baby or a Long Gap Is Completely Normal: रिश्तों में शारीरिक और भावनात्मक नज़दीकी इंटीमेसी एक बेहद जरूरी पहलू होती है जो दो लोगों को गहराई से जोड़ती है। लेकिन जीवन में कुछ ऐसे पड़ाव आते हैं जैसे बच्चे का जन्म या लंबे समय तक दूरी जब यह नज़दीकी टूट सी जाती है या उसमें झिझक आ जाती है। कई लोग ऐसे समय में अपने पार्टनर से इंटीमेसी के नाम पर डर संकोच या असहजता महसूस करते हैं। यह डर न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी व्यक्ति को प्रभावित करता है। लेकिन यह जानना बहुत जरूरी है कि यह डर असामान्य नहीं है। यह एक सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया है जिसे समझना स्वीकारना और धीरे धीरे उससे बाहर निकलना ही स्वस्थ रिश्ते की कुंजी है।

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बच्चे के बाद या लंबे गैप के बाद इंटीमेसी से डर लगना सामान्य है

1. शारीरिक परिवर्तन और आत्म छवि में गिरावट

बच्चे के जन्म के बाद शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं वजन बढ़ना स्ट्रेच मार्क्स थकान और हार्मोनल बदलाव। इन सबका असर महिलाओं की आत्म-छवि पर पड़ता है। उन्हें लगता है कि वे अब पहले जैसी आकर्षक नहीं रहीं। वहीं पुरुष भी लंबे गैप के बाद खुद को आत्मविश्वासहीन महसूस कर सकते हैं। इस कारण व्यक्ति अपने शरीर को लेकर शर्मिंदगी या असुरक्षा महसूस करता है और इंटीमेसी से दूर भागता है।

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2. मानसिक थकावट और जिम्मेदारियों का दबाव

बच्चा होने के बाद या जीवन के किसी भी व्यस्त चरण में मानसिक थकावट एक आम बात है। नए माता पिता विशेष रूप से 24 घंटे बच्चे की देखभाल में लगे रहते हैं। नींद की कमी नई जिम्मेदारियाँ और भविष्य की चिंताएँ उन्हें इंटीमेसी से दूर कर देती हैं। उन्हें यह लग सकता है कि अब रिश्ते में रोमांस के लिए जगह नहीं बची। यह भावनात्मक दूरी धीरे धीरे शारीरिक दूरी में बदल सकती है।

3. लंबे गैप के बाद असहजता और अजनबीयत का भाव

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कई बार रिश्तों में दूरी या ब्रेक के कारण इंटीमेसी से डर पैदा होता है। लंबे समय तक शारीरिक संबंध न होने के कारण एक अजीब सी अजनबीयत आ जाती है। यह डर सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि यह सोचकर भी आता है कि अगर अब सब पहले जैसा नहीं रहा तो अगर मैं उसे संतुष्ट नहीं कर पाया/पाई तो । यह असहजता संवाद की कमी से और भी बढ़ जाती है।

4. भावनात्मक सुरक्षा की कमी और अस्वीकृति का डर

इंटीमेसी सिर्फ शरीर की बात नहीं होती यह भावनात्मक जुड़ाव भी मांगती है। जब किसी को यह महसूस होता है कि उनका पार्टनर उन्हें अब पहले जितना पसंद नहीं करता या उनकी जरूरतें नहीं समझता तो एक असुरक्षा की भावना जन्म लेती है। उन्हें डर लगता है कि अगर उन्होंने इंटीमेसी की पहल की और वह अस्वीकृत हो गई तो आत्म सम्मान को ठेस पहुंचेगी। यह डर उन्हें पहल करने से रोकता है।

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5. समाधानसं वाद समय और समझ का सहारा लें

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस डर को दबाया न जाए बल्कि उस पर खुलकर बात की जाए। अपने पार्टनर से ईमानदारी से बातचीत करें अपने डर असहजता और भावनाओं को साझा करें। साथ ही एक दूसरे को समय दें जबरदस्ती न करें। इंटीमेसी की शुरुआत छोटी छोटी बातों से हो सकती है जैसे एक हल्का स्पर्श साथ में बैठकर बातें करना या एक प्यारा सा नोट देना। धीरे-धीरे भावनात्मक और शारीरिक दूरी कम होगी और विश्वास लौटेगा।

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