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Process Of Court Marriage: कोर्ट मैरिज से जुडी बेसिक जानकारी

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Swati Bundela
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process of court marriage

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया

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कोर्ट मैरिज शब्द आज भी भारतीय सामाजिक ढाँचे में फिट नहीं होता है। हमारे समाज में शादियाँ बहुत धूमधाम से करने का चलन है। लेकिन अब कुछ लोग कम लोगों और कम शोर-शराबे के साथ शांति से कोर्ट मैरिज करना पसंद करते हैं। कोर्ट मैरिज का भी अपना एक रिवाज़ यानी एक प्रक्रिया है, जिसे फॉलो करने के बाद ही आप कानूनी तौर पर शादीशुदा कहलाते हैं। आइए जानते है इस प्रक्रिया के बारे में-

कोर्ट मैरिज क्या है?

कोर्ट मैरिज में आप कानूनी तौर पर शादी रजिस्ट्रार के सामने तीन गवाहों की मौजूदगी में करते हैं। भारत में कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम के अंदर होती है। यह किसी भी धर्म, संप्रदाय या जाति के लोगों के बीच हो सकती है। कोर्ट मैरिज करने के लिए आप और आपके पार्टनर का कानूनी रूप से बालिक होना आवश्यक है। साथ ही कोर्ट मैरिज के लिए जो सभी शर्तें होती है वो आप पूरी करते हो, जैसे कि-
• आप पहले से शादी-शुदा नही होने चाहिए।
• आप लीगली रेडी हो - यह नियम मुख्य तौर पर हिन्दु समुदाय के लिए है। इसके तहत आप अपने संबंधो जैसे- बहन, बुआ, मौसी आदि के साथ शादी नही कर सकते हैं।
• आप कानून द्वारा कोर्ट मैरिज के लिए निर्धारित उम्र को पूरा करते हो। जो पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष होनी चाहिए।
• इसके अलावा आप और आपका पार्टनर मानसिक रूप से स्वस्थ हो ।

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Process Of Court Marriage

• कोर्ट मैरिज के लिए रजिस्ट्रार को सबसे पहले लिखित में एक नोटिस भेजना होता है जिसमें आप कोर्ट मैरिज करने की इच्छा जाहिर करते हैं।
• इसके बाद रजिस्ट्रार इस नोटिस की एक कॉपी कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाता है।
• अगर इस नोटिस पर किसी संबंधित को आपत्ति होती है तो वो 30 दिन के अंदर राजिस्ट्रार के पास आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। अगर रजिस्ट्रार इस आपत्ति को सही ठहराता है तो शादी समाप्त भी हो सकती है। लेकिन इसके खिलाफ आप जिला न्यायालय में अपील भी कर सकते हैं।
• कोर्ट मैरिज होने से पहले शादी करने वाले जोड़े और उनके साथ आए गवाहों को रजिस्ट्रार के पास एक घोषणापत्र पर दस्तख़त करने होते हैं। जिसमें वह यह परमाणित करता है कि आप शादी अपनी मर्जी से कर रहे हैं ना कि किसी के दबाव में आकर।
• शादी के स्थान के लिए एक तय फीस जमा करनी होती है। यह स्थान रजिस्ट्रार के ऑफिस या उसके आस-पास कहीं भी हो सकता है।
• कोर्ट मैरिज के सभी तय नियमों के अनुसार शादी हो जाने पर रजिस्ट्रार मैरिज सर्टीफिकेट जारी करता है। यह मैरिज सर्टीफिकेट आपका कानूनी तौर पर शादीशुदा होने का पुखता प्रमाण होता है।
इन सभी प्रक्रियाओं के बाद ही एक कोर्ट मैरिज पूरी होती है।

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